शिमला: महिला पुलिस अधिकारियों के लिए पुलिस मुख्यालय में तीन दिन तक चलने वाले क्षमता निर्माण कार्यक्रम के दूसरे दिन विभिन्न क्षेत्रों के विषेशज्ञों के आठ सत्र आयोजित किए गए. इस अवसर पर प्रधान सचिव विधि यशवंत सिहं चोगल ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं के बारे में जानकारी दी.
यशवंत सिहं चोगल ने भारतीय दंड संहिता की धाराएं 354-ए,बी,सी,डी, 166-ए और 376-ए,बी,सी,डी पर विषेश रूप से यौन उत्पीड़न और एसिड हमलों आदि के मामलों को दर्ज करने में संशोधनों का उल्लेख किया.
इस मौके पर यशवंत सिहं ने कहा कि कानून का दायरा वास्तव में बहुत बढ़ गया है. जिससे इन संशोधनों के कारण महिलाओं के खिलाफ अपराधों में पुलिस को अपना कर्तव्य ठीक से निभाना चाहिए. मामूली से कारणों के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने से मना करने में संकोच न करें.
मौके पर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के एडवोकेट रूचि सेखरी ने 498-ए, 506, 304-बी भारतीय दंड संहिता और दहेज उत्पीडऩ और हत्या के मामलों, प्राथमिकी दर्ज करने, सबूतों को जब्त करने के मामलों की जांच पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने सजा सुनिश्चित करने के लिए सभी तथ्यों को चार्जशीट में शामिल करने पर जोर दिया.
प्रोफेसर आईजीएमसी शिमला डॉ. पियूश कपिला द्वारा फोरेंसिक मेडिसिन और पोस्मार्टम परीक्षा के विषय पर बात की डॉ. कपिला ने मर्ग रिपोर्ट के फार्म को सही ढंग से भरने, शरीर पर लगी चोटों को सावधानी पूर्वक जांच करने और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए उनके द्वारा दी गई रिपोर्ट पर फोरेंसिक विषेशज्ञों से स्पष्टीकरण मांगने के महत्व को समझाया.
उप-निदेशक (सेवानिवृत) एफएसएल ने भौतिक सुराग प्राप्त करने और घटनास्थल की फोरेंसिक जांच के संदर्भ में विस्तार से बात की. उन्होंने अपराध को अभियुक्त से जोडऩे के लिए घटनास्थल से सबूत एकत्रित करने के विभिन्न तरीकों के बारे में बताया.