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स्पेशल: शादी की न्यूनतम उम्र को 21 साल करने के पक्ष में प्रदेश की नारी शक्ति

केंद्र सरकार लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल करने पर विचार कर रही है. ETV भारत ने इस मुद्दे पर युवतियों और महिलाओं से राय जानी. सभी का मानना है कि सरकार का यह फैसला महिलाओं के जीवन में एक नई उम्मीद ले कर आएगा और उन्हें मजबूरन 18 साल की उम्र में ना चाहते हुए भी शादी के बंधन में नहीं बंधना पड़ेगा.

women of hp in favor of central govt on the idea of increasing the minimum age of marriage
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Published : Sep 12, 2020, 4:38 PM IST

Updated : Sep 14, 2020, 6:23 AM IST

शिमला: भारत में लड़कों के लिए शादी करने की न्यूनतम उम्र 21 और लड़कियों के लिए 18 वर्ष है. बाल विवाह रोकथाम कानून 2006 के तहत इससे कम उम्र में शादी गैरकानूनी है. ऐसा करने पर 2 साल की सजा और 1 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है. अब सरकार लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र की सीमा बढ़ाकर 21 वर्ष करने पर विचार कर रही है.

सितंबर महीने में शुरू होने वाले मानसून सत्र में केंद्र सरकार लड़कियों की शादी की उम्र को बढ़ाने को लेकर बिल ला सकती है. ऐसे में प्रदेश की युवतिआं और महिलाएं केंद्र सरकार के इस फैसले के पक्ष में हैं. युवतिओं और महिलाओं का कहना है कि सरकार यह विचार सही है और इस पर जल्द ही फैसला सरकार को ले लेना चाहिए.

वीडियो.

सरकार का यह फैसला महिलाओं के जीवन में एक नई उम्मीद ले कर आएगा और उन्हें मजबूरन 18 साल की उम्र में ना चाहते हुए भी शादी के बंधन में नहीं बंधना पड़ेगा. अभी सरकार की ओर से युवतियों की शादी की उम्र 18 वर्ष तय की गई है. ऐसे में इस उम्र में पहुंचते ही उन पर शादी का दबाव बनाया जाता है और उनकी पढ़ाई बीच में ही छुड़वाकर उनकी शादी कर दी जाती है.

ऐसे में अगर सरकार उनकी शादी की आयु को 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष कर देती हैं तो उस से लड़कियों को मजबूरन 18 वर्ष की आयु में इस शादी के बंधन में नहीं बंधना पड़ेगा पर वह अपनी उच्च शिक्षा को भी पूरा कर सकेंगी.

युवतियों का कहना है कि 18 साल की उम्र एक ऐसी उम्र है जिस समय एक लड़की की पढ़ाई भी पूरी नहीं होती है. शारीरिक रूप से तो वह भले ही शादी के लिए तैयार हैं, लेकिन मानसिक रूप से वह शादी और इसकी जिम्मेदारियों और परिवार को आगे बढ़ाने जैसी सोच के लिए पूरी तरह से तेयार नहीं होती हैं.

युवतियों का कहना है कि कई लड़कियों को तो अपनी पढ़ाई भी शादी की वजह से बीच में ही छोड़नी पड़ जाती है. परिवार उन पर शादी की उम्र का हवाला देकर शादी के लिए दबाव बनाते है. ऐसे में अगर इस शादी की तय उम्र को ही बढ़ा दिया जाता है तो उन्हें जो समय मिलेगा उसे वह आत्मनिर्भर और अपनी उच्च शिक्षा को पूरा करने में लगा सकेंगी.

युवतियों का कहना है कि जेंडर इक्वलिटी की बात हम करते हैं वह भी केंद्र सरकार के इस फैसले से महिलाओं को प्राप्त हो पाएगी. देश में जो पुरुषों की शादी की आयु 21 वर्ष रखी गई है तो महिलाओं की 18 वर्ष की. सरकार को चाहिए कि अगर उन्हें महिलाओं को समानता का अधिकार देना है तो उन्हें महिलाओं की शादी की आयु को भी 21 वर्ष कर देनी चाहिए.

इसके साथ ही सरकार को इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि अभी जो आयु 18 वर्ष शादी की निर्धारित की गई है, उसके बावजूद भी प्रदेश के कई जनजातीय और दूरदराज के क्षेत्रों ऐसे हैं जहां पर 18 वर्ष से कम आयु में लड़कियों की शादी की जा रही है.

वहीं, महिलाओं का कहना है कि यूनीसेफ की सर्वे रिपोर्ट देखी जाए तो उसमें 27 प्रतिशत लड़कियां ऐसी हैं जिनकी शादी 18 साल से पहले कर दी जाती है. ऐसे में अब यह आवश्यक हो गया है कि आज के इस समय में जब महिलाएं हर क्षेत्र में अपना बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं तो उन्हें जल्दी शादी करने के लिए मजबूर ना किया जाए.

महिलाओं का कहना है कि सरकार को इस पर विचार करना चाहिए और इस आयु को बढ़ा देना चाहिए. आयु को बढ़ाने के साथ ही इस तय उम्र में ही युवतियों की शादी हो इसके लिए भी कानूनी प्रावधान सख्त करने की भी आवश्यकता है.

शिमला: भारत में लड़कों के लिए शादी करने की न्यूनतम उम्र 21 और लड़कियों के लिए 18 वर्ष है. बाल विवाह रोकथाम कानून 2006 के तहत इससे कम उम्र में शादी गैरकानूनी है. ऐसा करने पर 2 साल की सजा और 1 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है. अब सरकार लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र की सीमा बढ़ाकर 21 वर्ष करने पर विचार कर रही है.

सितंबर महीने में शुरू होने वाले मानसून सत्र में केंद्र सरकार लड़कियों की शादी की उम्र को बढ़ाने को लेकर बिल ला सकती है. ऐसे में प्रदेश की युवतिआं और महिलाएं केंद्र सरकार के इस फैसले के पक्ष में हैं. युवतिओं और महिलाओं का कहना है कि सरकार यह विचार सही है और इस पर जल्द ही फैसला सरकार को ले लेना चाहिए.

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सरकार का यह फैसला महिलाओं के जीवन में एक नई उम्मीद ले कर आएगा और उन्हें मजबूरन 18 साल की उम्र में ना चाहते हुए भी शादी के बंधन में नहीं बंधना पड़ेगा. अभी सरकार की ओर से युवतियों की शादी की उम्र 18 वर्ष तय की गई है. ऐसे में इस उम्र में पहुंचते ही उन पर शादी का दबाव बनाया जाता है और उनकी पढ़ाई बीच में ही छुड़वाकर उनकी शादी कर दी जाती है.

ऐसे में अगर सरकार उनकी शादी की आयु को 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष कर देती हैं तो उस से लड़कियों को मजबूरन 18 वर्ष की आयु में इस शादी के बंधन में नहीं बंधना पड़ेगा पर वह अपनी उच्च शिक्षा को भी पूरा कर सकेंगी.

युवतियों का कहना है कि 18 साल की उम्र एक ऐसी उम्र है जिस समय एक लड़की की पढ़ाई भी पूरी नहीं होती है. शारीरिक रूप से तो वह भले ही शादी के लिए तैयार हैं, लेकिन मानसिक रूप से वह शादी और इसकी जिम्मेदारियों और परिवार को आगे बढ़ाने जैसी सोच के लिए पूरी तरह से तेयार नहीं होती हैं.

युवतियों का कहना है कि कई लड़कियों को तो अपनी पढ़ाई भी शादी की वजह से बीच में ही छोड़नी पड़ जाती है. परिवार उन पर शादी की उम्र का हवाला देकर शादी के लिए दबाव बनाते है. ऐसे में अगर इस शादी की तय उम्र को ही बढ़ा दिया जाता है तो उन्हें जो समय मिलेगा उसे वह आत्मनिर्भर और अपनी उच्च शिक्षा को पूरा करने में लगा सकेंगी.

युवतियों का कहना है कि जेंडर इक्वलिटी की बात हम करते हैं वह भी केंद्र सरकार के इस फैसले से महिलाओं को प्राप्त हो पाएगी. देश में जो पुरुषों की शादी की आयु 21 वर्ष रखी गई है तो महिलाओं की 18 वर्ष की. सरकार को चाहिए कि अगर उन्हें महिलाओं को समानता का अधिकार देना है तो उन्हें महिलाओं की शादी की आयु को भी 21 वर्ष कर देनी चाहिए.

इसके साथ ही सरकार को इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि अभी जो आयु 18 वर्ष शादी की निर्धारित की गई है, उसके बावजूद भी प्रदेश के कई जनजातीय और दूरदराज के क्षेत्रों ऐसे हैं जहां पर 18 वर्ष से कम आयु में लड़कियों की शादी की जा रही है.

वहीं, महिलाओं का कहना है कि यूनीसेफ की सर्वे रिपोर्ट देखी जाए तो उसमें 27 प्रतिशत लड़कियां ऐसी हैं जिनकी शादी 18 साल से पहले कर दी जाती है. ऐसे में अब यह आवश्यक हो गया है कि आज के इस समय में जब महिलाएं हर क्षेत्र में अपना बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं तो उन्हें जल्दी शादी करने के लिए मजबूर ना किया जाए.

महिलाओं का कहना है कि सरकार को इस पर विचार करना चाहिए और इस आयु को बढ़ा देना चाहिए. आयु को बढ़ाने के साथ ही इस तय उम्र में ही युवतियों की शादी हो इसके लिए भी कानूनी प्रावधान सख्त करने की भी आवश्यकता है.

Last Updated : Sep 14, 2020, 6:23 AM IST
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