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आखिर क्या है हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन, जिसकी मांग अमेरिका भारत से कर रहा है

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Published : Apr 5, 2020, 9:15 PM IST

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कोरोना महामारी के संक्रमण के बीच हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवाई की सप्लाई मांगी है. इस दवा के चर्चे अमेरिका से लेकर भारत तक हैं. कोरोना का सबसे ज्यादा कहर झेल रहे अमेरिका ने आखिर क्यों मांगी भारत से हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीनी नाम की दवा. आखिर किस मर्ज की है ये दवा और कोरोना संक्रमण के बीच क्यों हो रही है इस दवा की पूछ. इन सवालों को लेकर ईटीवी भारत ने हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल IGMC के एमएस डॉ. जनकराज से खास बातचीत की.

डिजाइन फोटो
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शिमला: कोरोना के कहर के बीच अमेरिका ने भारत से हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवाई की सप्लाई मांगी है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कोरोना महामारी के संक्रमण के बीच इस दवाई की सप्लाई को लेकर आग्रह किया है.

महामारी के बीच इस दवा के चर्चे अमेरिका से लेकर भारत तक हैं. कोरोना का सबसे ज्यादा कहर झेल रहे अमेरिका ने आखिर क्यों मांगी भारत से हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीनी नाम की दवा. आखिर किस मर्ज की है ये दवा और कोरोना संक्रमण के बीच क्यों हो रही है इस दवा की पूछ. इन सवालों को लेकर ईटीवी भारत ने हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल IGMC के एमएस डॉ. जनकराज से खास बातचीत की.

एमएस डॉ. जनकराज ने कहा कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन मेडिसिन का इस्तेमाल भारत में मलेरिया और कुछ चर्म रोगों के इलाज के लिए किया जाता है. डॉ. जनकराज के मुताबिक कोरोना को लेकर हुए शुरुआती शोध में इस दवा के अच्छे परिणाम सामने आए हैं, हालांकि शोध जारी है और इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

वीडियो

मर्जी से ना करें इस दवाई का सेवन

दरअसल कोरोना वायरस के संक्रमण के साथ सोशल मीडिया पर अफवाहों का बाजार भी गर्म है. कुछ दवाओं को कोरोना वायरस का इलाज बताया जा रहा है जबकि ये कोरा झूठ है. क्योंकि अभी तक कोरोना वायरस की कोई दवा या वैक्सीन नहीं बनी है. डॉ. जनकराज ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि इस दवा का सेवन अपनी मर्जी से ना करें. ये आम मेडिसिन से अलग है अगर कोई व्यक्ति इस दवाई का सेवन मर्जी से करेगा तो इसके भयानक परिणाम हो सकते हैं.

हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवाई के साइडइफेक्ट

इससे आंखों की रोशनी और लिवर डेमेज हो सकता है. चिकित्सक इस मेडिसिन को मरीज को ईसीजी टेस्ट के बाद ही जरूरत पड़ने पर सेवन करने की सलाह देते हैं.

अमेरिका ने क्यों की हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवाई की मांग

भारत मलेरिया जोन में आता है. यहां हर साल मलेरिया के लाखों मामले सामने आते हैं. इस वजह से भारत में इस दवाई का उत्पादन व्यापक स्तर पर होता है. वहीं, अमेरिका में मलेरिया ना के बराबर है. ऐसे में वहां पर इस दवाई का उत्पादन नहीं होता. इसी के चलते कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए अमेरिका ने मुश्किल समय में भारत से मदद मांगी है.

डॉक्टर की सलाह के बगैर नहीं मिलेगी ये दवा

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन मेडिसिन का जिक्र होते ही भारत में ये दवाई हाथों-हाथ बिक रही थी. मामले की गंभीरता देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन की खुली बिक्री पर रोक लगा दी है.

अब कोई भी केमिस्ट इस दवा को केवल पंजीकृत डॉक्टर की पर्ची पर ही बेच सकेगा साथ ही उसे उस पर्ची की एक प्रति ड्रग विभाग को जमा करानी होगी. मलेरिया की दवा की बिक्री पर प्रतिबंध पहली बार लगा है. वहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों से अनुरोध किया है कि इस दवाई का अपनी मर्जी से सेवन ना करें अन्यथा इसके भयानक परिणाम देखने को मिल सकते हैं.

अमेरिका कोरोना वायरस के उपचार के लिए बड़े स्तर पर रिसर्च कर रहा है जिसके कारण इस मेडिसिन का प्रयोग वह अपनी रिसर्च पर करना चाह रहा है. इसी कारण अमेरिका ने भारत से इस मेडिसिन की सप्लाई का आग्रह किया है.

दुनिया में अब तक 66000 से अधिक लोगों की जान कोरोना वायरस के कारण जा चुकी है. वहीं, अमेरिका में कोरोना 8 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है, जबकि वहां पॉजीटिव मामलों का आंकड़ा 3 लाख के करीब पहुंच चुका है. भारत में भी कोरोना महामारी तेज गति से अपने पांव पसार रही है.

शिमला: कोरोना के कहर के बीच अमेरिका ने भारत से हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवाई की सप्लाई मांगी है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कोरोना महामारी के संक्रमण के बीच इस दवाई की सप्लाई को लेकर आग्रह किया है.

महामारी के बीच इस दवा के चर्चे अमेरिका से लेकर भारत तक हैं. कोरोना का सबसे ज्यादा कहर झेल रहे अमेरिका ने आखिर क्यों मांगी भारत से हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीनी नाम की दवा. आखिर किस मर्ज की है ये दवा और कोरोना संक्रमण के बीच क्यों हो रही है इस दवा की पूछ. इन सवालों को लेकर ईटीवी भारत ने हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल IGMC के एमएस डॉ. जनकराज से खास बातचीत की.

एमएस डॉ. जनकराज ने कहा कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन मेडिसिन का इस्तेमाल भारत में मलेरिया और कुछ चर्म रोगों के इलाज के लिए किया जाता है. डॉ. जनकराज के मुताबिक कोरोना को लेकर हुए शुरुआती शोध में इस दवा के अच्छे परिणाम सामने आए हैं, हालांकि शोध जारी है और इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

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मर्जी से ना करें इस दवाई का सेवन

दरअसल कोरोना वायरस के संक्रमण के साथ सोशल मीडिया पर अफवाहों का बाजार भी गर्म है. कुछ दवाओं को कोरोना वायरस का इलाज बताया जा रहा है जबकि ये कोरा झूठ है. क्योंकि अभी तक कोरोना वायरस की कोई दवा या वैक्सीन नहीं बनी है. डॉ. जनकराज ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि इस दवा का सेवन अपनी मर्जी से ना करें. ये आम मेडिसिन से अलग है अगर कोई व्यक्ति इस दवाई का सेवन मर्जी से करेगा तो इसके भयानक परिणाम हो सकते हैं.

हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवाई के साइडइफेक्ट

इससे आंखों की रोशनी और लिवर डेमेज हो सकता है. चिकित्सक इस मेडिसिन को मरीज को ईसीजी टेस्ट के बाद ही जरूरत पड़ने पर सेवन करने की सलाह देते हैं.

अमेरिका ने क्यों की हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवाई की मांग

भारत मलेरिया जोन में आता है. यहां हर साल मलेरिया के लाखों मामले सामने आते हैं. इस वजह से भारत में इस दवाई का उत्पादन व्यापक स्तर पर होता है. वहीं, अमेरिका में मलेरिया ना के बराबर है. ऐसे में वहां पर इस दवाई का उत्पादन नहीं होता. इसी के चलते कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए अमेरिका ने मुश्किल समय में भारत से मदद मांगी है.

डॉक्टर की सलाह के बगैर नहीं मिलेगी ये दवा

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन मेडिसिन का जिक्र होते ही भारत में ये दवाई हाथों-हाथ बिक रही थी. मामले की गंभीरता देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन की खुली बिक्री पर रोक लगा दी है.

अब कोई भी केमिस्ट इस दवा को केवल पंजीकृत डॉक्टर की पर्ची पर ही बेच सकेगा साथ ही उसे उस पर्ची की एक प्रति ड्रग विभाग को जमा करानी होगी. मलेरिया की दवा की बिक्री पर प्रतिबंध पहली बार लगा है. वहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों से अनुरोध किया है कि इस दवाई का अपनी मर्जी से सेवन ना करें अन्यथा इसके भयानक परिणाम देखने को मिल सकते हैं.

अमेरिका कोरोना वायरस के उपचार के लिए बड़े स्तर पर रिसर्च कर रहा है जिसके कारण इस मेडिसिन का प्रयोग वह अपनी रिसर्च पर करना चाह रहा है. इसी कारण अमेरिका ने भारत से इस मेडिसिन की सप्लाई का आग्रह किया है.

दुनिया में अब तक 66000 से अधिक लोगों की जान कोरोना वायरस के कारण जा चुकी है. वहीं, अमेरिका में कोरोना 8 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है, जबकि वहां पॉजीटिव मामलों का आंकड़ा 3 लाख के करीब पहुंच चुका है. भारत में भी कोरोना महामारी तेज गति से अपने पांव पसार रही है.

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