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कागजों में हिल्स क्वीन के किराएदार हैं वीरेंद्र सहवाग, गाड़ी की रजिस्ट्रेशन के लिए लगाई शिमला की रेंट डीड

महंगी गाड़ी की रजिस्ट्रेशन के लिए ज्यादा टैक्स न देना पड़े, इसके लिए मुलतान के सुलतान वीरेंद्र सहवाग ने किराए के घर के कागजों के लिए शिमला को चुना. ये खुलासा परिवहन विभाग की जांच रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट सरकार को मिल गई है और उस पर आगे की कार्रवाई अब सरकार को करनी है.

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Published : May 1, 2021, 9:11 AM IST

शिमला: करोड़ों रुपए की संपत्ति और दौलत की रेलमपेल वाले वीरेंद्र सहवाग महज कुछ लाख रुपए बचाने की खातिर कागजों में शिमला के किराएदार हो गए. महंगी गाड़ी की रजिस्ट्रेशन के लिए ज्यादा टैक्स न देना पड़े, इसके लिए मुलतान के सुलतान ने किराए के घर के कागजों के लिए शिमला को चुना. चूंकि हिमाचल में गाड़ी की रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए रेंट डीड या इससे मिलता-जुलता नियमानुसार कागजी दस्तावेज चाहिए होता है तो सहवाग ने शिमला को चुना.

गाड़ी कांगड़ा जिला के नूरपुर उपमंडल में रजिस्टर करवाई और कागजात शिमला के दिए. ये बात अलग है कि वीरेंद्र सहवाग को किसी ने शिमला में देखा नहीं. शिमला के उपनगर बीसीएस के एक भवन में उन्होंने किराएदार की हैसियत दर्ज की. कागजों में वे शिमला के बीसीएस के किराएदार हैं. ये खुलासा परिवहन विभाग की जांच रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट सरकार को मिल गई है और उस पर आगे की कार्रवाई अब सरकार को करनी है.

कांग्रेस ने उठाया था मामला

यहां ये बता दें कि कागजी तौर पर ऐसी रजिस्ट्रेशन में कोई कानून की उल्लंघना नहीं है, लेकिन ये सत्य सभी जानते हैं कि धन्नासेठ और तथाकथित रोल मॉडल महज कुछ रुपए बचाने के लिए टैक्स चोरी का कलंक हिमाचल के माथे लगाते हैं. चूंकि इसमें कानून का कोई वायलेशन नहीं है, परंतु नैतिक मापदंड पर ये सही नहीं है. उल्लेखनीय है कि कुछ समय पूर्व कांग्रेस ने ये मामला उठाया था.

लंबे समय से चल रहा है गोरखधंधा

नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर ये मामला उठाया और सीबीआई जांच की मांग की. सरकार ने परिवहन विभाग से जांच रिपोर्ट मांगी थी. शुक्रवार को ये रिपोर्ट सरकार को मिल गई. परिवहन विभाग ने ये जांच कांगड़ा जिला के चार उपमंडलों और शिमला के एक उपमंडल कुमारसैन में की. हालांकि हिमाचल के सीमांत इलाकों में ये धंधा लंबे समय से चल रहा है.

हिमाचल में पंजीकरण शुल्क कम

पंजाब व हरियाणा सहित दिल्ली के अमीरजादे महंगी कारें खरीद कर उनकी रजिस्ट्रेशन हिमाचल में करवाते हैं. हिमाचल में गाड़ियों का पंजीकरण शुल्क अन्य राज्यों के मुकाबले कम है. इससे हिमाचल के परिवहन विभाग को टैक्स के रूप में बेशक थोड़ी-बहुत आय हो जाए, लेकिन पिछले दरवाजे से होने वाली ये कवायद टैक्स चोरी की ही मानी जाएगी. ये बात अलग है कि इस तरीके से करवाया गया पंजीकरण फर्जी नहीं कहा जा सकता.

शुल्क बढ़ाने का लिया था निर्णय

कुछ साल पहले तो हिमाचल में पंजीकरण शुल्क काफी कम था. बाद में उत्तर भारत के राज्यों के अफसरों की बैठक हुई और ये तय किया गया कि हिमाचल भी पंजीकरण शुल्क बढ़ाए. जहां तक वीरेंद्र सहवाग का मामला है तो उन्होंने नूरपुर में पंजीकरण करवाया है. नूरपुर भी सीमांत उपमंडल है.

सहवाग ने जहां से गाड़ी खरीदी, वहां के महंगे पंजीकरण शुल्क से बचने के लिए हिमाचल में पंजीकरण करवाया. इसके लिए शिमला के उपनगर बीसीएस का रेंट दस्तावेज लगाया गया. सहवाग की गाड़ी का नंबर एचपी-38-8988 है और उसकी कीमत डेढ़ करोड़ रुपए के करीब है. फिलहाल, परिवहन विभाग अब दलालों और उनके नेक्सस पर शिकंजा कसने की कवायद शुरू करेगा.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में यूके स्ट्रेन और नई म्यूटेशन के 32 मामले आए सामने, वायरस से बचने के लिए बरतें ये सावधानी

शिमला: करोड़ों रुपए की संपत्ति और दौलत की रेलमपेल वाले वीरेंद्र सहवाग महज कुछ लाख रुपए बचाने की खातिर कागजों में शिमला के किराएदार हो गए. महंगी गाड़ी की रजिस्ट्रेशन के लिए ज्यादा टैक्स न देना पड़े, इसके लिए मुलतान के सुलतान ने किराए के घर के कागजों के लिए शिमला को चुना. चूंकि हिमाचल में गाड़ी की रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए रेंट डीड या इससे मिलता-जुलता नियमानुसार कागजी दस्तावेज चाहिए होता है तो सहवाग ने शिमला को चुना.

गाड़ी कांगड़ा जिला के नूरपुर उपमंडल में रजिस्टर करवाई और कागजात शिमला के दिए. ये बात अलग है कि वीरेंद्र सहवाग को किसी ने शिमला में देखा नहीं. शिमला के उपनगर बीसीएस के एक भवन में उन्होंने किराएदार की हैसियत दर्ज की. कागजों में वे शिमला के बीसीएस के किराएदार हैं. ये खुलासा परिवहन विभाग की जांच रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट सरकार को मिल गई है और उस पर आगे की कार्रवाई अब सरकार को करनी है.

कांग्रेस ने उठाया था मामला

यहां ये बता दें कि कागजी तौर पर ऐसी रजिस्ट्रेशन में कोई कानून की उल्लंघना नहीं है, लेकिन ये सत्य सभी जानते हैं कि धन्नासेठ और तथाकथित रोल मॉडल महज कुछ रुपए बचाने के लिए टैक्स चोरी का कलंक हिमाचल के माथे लगाते हैं. चूंकि इसमें कानून का कोई वायलेशन नहीं है, परंतु नैतिक मापदंड पर ये सही नहीं है. उल्लेखनीय है कि कुछ समय पूर्व कांग्रेस ने ये मामला उठाया था.

लंबे समय से चल रहा है गोरखधंधा

नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर ये मामला उठाया और सीबीआई जांच की मांग की. सरकार ने परिवहन विभाग से जांच रिपोर्ट मांगी थी. शुक्रवार को ये रिपोर्ट सरकार को मिल गई. परिवहन विभाग ने ये जांच कांगड़ा जिला के चार उपमंडलों और शिमला के एक उपमंडल कुमारसैन में की. हालांकि हिमाचल के सीमांत इलाकों में ये धंधा लंबे समय से चल रहा है.

हिमाचल में पंजीकरण शुल्क कम

पंजाब व हरियाणा सहित दिल्ली के अमीरजादे महंगी कारें खरीद कर उनकी रजिस्ट्रेशन हिमाचल में करवाते हैं. हिमाचल में गाड़ियों का पंजीकरण शुल्क अन्य राज्यों के मुकाबले कम है. इससे हिमाचल के परिवहन विभाग को टैक्स के रूप में बेशक थोड़ी-बहुत आय हो जाए, लेकिन पिछले दरवाजे से होने वाली ये कवायद टैक्स चोरी की ही मानी जाएगी. ये बात अलग है कि इस तरीके से करवाया गया पंजीकरण फर्जी नहीं कहा जा सकता.

शुल्क बढ़ाने का लिया था निर्णय

कुछ साल पहले तो हिमाचल में पंजीकरण शुल्क काफी कम था. बाद में उत्तर भारत के राज्यों के अफसरों की बैठक हुई और ये तय किया गया कि हिमाचल भी पंजीकरण शुल्क बढ़ाए. जहां तक वीरेंद्र सहवाग का मामला है तो उन्होंने नूरपुर में पंजीकरण करवाया है. नूरपुर भी सीमांत उपमंडल है.

सहवाग ने जहां से गाड़ी खरीदी, वहां के महंगे पंजीकरण शुल्क से बचने के लिए हिमाचल में पंजीकरण करवाया. इसके लिए शिमला के उपनगर बीसीएस का रेंट दस्तावेज लगाया गया. सहवाग की गाड़ी का नंबर एचपी-38-8988 है और उसकी कीमत डेढ़ करोड़ रुपए के करीब है. फिलहाल, परिवहन विभाग अब दलालों और उनके नेक्सस पर शिकंजा कसने की कवायद शुरू करेगा.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में यूके स्ट्रेन और नई म्यूटेशन के 32 मामले आए सामने, वायरस से बचने के लिए बरतें ये सावधानी

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