शिमला: नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री सदन में नियम 62 के तहत बीपीएल परिवारों के संबंध में लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर सरकार को घेरते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने बीपीएल सूची में नाम दर्ज करवाने के लिए 2500 रुपये से कम आय का शपथ पत्र देने और 2 हैक्टेयर भूमि संबंधी शर्त लगाई. प्रदेश सरकार के इन फरमानों से पंचायती राज की मूल भावना को आघात पहुंचा है.
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि तीन सदस्यों की समिति का बनाया गया नियम गलत है. इसके सहारे परिवारों को बीपीएल सूची से जबरन निकला जा रहा है. जब ग्रामसभा को बीपीएल सूची बनानी है तो फिर कमेटी बनाने का क्या मतलब है. प्रदेश सरकार ने 2500 रुपये से कम आय और 2 हैक्टेयर भूमि वाली शर्त नहीं हटाई तो पूरा प्रदेश अपने आप ही बीपीएल मुक्त हो जाएगा.
मुकेश अग्निहोत्री को जवाब देते हुए ग्रमीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर ने सदन में साफ कहा कि 2500 रुपये आय और ना ही 2 हैक्टेयर से कम भूमि वाली शर्त को हटाया जाएगा. ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश में 2 लाख 82 हजार परिवार बीपीएल में हैं. भारत सरकार ने 2 लाख 82 हजार 370 परिवारों की संख्या हिमाचल के लिए निर्धारित की है. इसके अलावा 105 पंचायतें बीपीएल मुक्त घोषित हो चुकी हैं.
वीरेंद्र कंवर ने कहा कि सरकार ने 1 लाख परिवारों को नई योजनाएं बनाकर बीपीएल रेखा से ऊपर उठाने का टारगेट रखा है. उन्होंने कहा कि वोट की राजनीति के कारण ही गलत व्यक्ति को बीपीएल में जोड़ा जाता हैं. पंचायतों को बीपीएल मुक्त करना ग्राम सभा के क्षेत्राधिकार में हैं. इसके अलावा अगर किसी की बात ग्राम सभा में नहीं सुनी जाती है तो पीड़ित व्यक्ति एसडीएम के पास जाकर अपील कर सकता है.
वीरेंद्र कंवर ने कहा कि 10वीं पंचवर्षीय योजना के बाद ही बीपीएल सूची की समीक्षा की जाती है. इसके अनुसार अपात्र लोगों को बाहर निकाल कर नए योग्य लोगों को शामिल किया जाता है. भाजपा सरकार ही पहली बार बीपीएल सूची की समीक्षा नहीं कर रही.