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वीरभद्र सिंह ने CM को लिखा पत्र, आर्थिक स्थिति सुधारने के दिए सुझाव - lockdown in himachal

वीरभद्र सिंह ने पत्र में लिखा कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी विपक्षी दल के रूप में अपनी भूमिका निभा रही है. लोगों की समस्यों को सरकार के समक्ष रखना पार्टी की नैतिक जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा देश और प्रदेश आज जिस गंभीर चुनौती से गुजर रहा है. उससे उभरने के लिए कांग्रेस मजबूती से सरकार का साथ दे रही है. जनहित में कांग्रेस के सुझावों पर सरकार को गंभीरता से विचार कर आगे की कार्य योजना बनानी चाहिए.

फाइल फोटो
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Published : May 2, 2020, 7:51 PM IST

शिमला: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने प्रदेश में राष्ट्रव्यापी कोरोना माहमारी के चलते जारी लॉकडाउन से उत्पन्न लोगों की समस्याओं और उनके निदान के बारे में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को एक विस्तृत पत्र लिखा है.

वीरभद्र सिंह ने पत्र में लिखा कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी विपक्षी दल के रूप में अपनी भूमिका निभा रही है. लोगों की समस्यों को सरकार के समक्ष रखना पार्टी की नैतिक जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा देश और प्रदेश आज जिस गंभीर चुनौती से गुजर रहा है. उससे उभरने के लिए कांग्रेस मजबूती से सरकार का साथ दे रही है.

वीरभद्र सिंह का जयराम सरकार को पत्र
वीरभद्र सिंह का जयराम सरकार को पत्र

जनहित में कांग्रेस के सुझावों पर सरकार को गंभीरता से विचार कर आगे की कार्य योजना बनानी चाहिए. वीरभद्र सिंह ने पत्र में लिखा है कि 22 मार्च से प्रदेश में लॉकडाउन जारी है, जिससे हर क्षेत्र पर बूरा प्रभाव पड़ा है. प्रदेश में स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं अस्त-व्यस्त हो गई हैं. उन्होंने कहा कांग्रेस विधायक चाहते हैं कि प्रदेश सरकार एक उच्च स्तरीय आर्थिक विशेषज्ञ समिति का गठन करे जो प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान का जायजा लेकर अपनी एक्सपर्ट राय देते हुए प्रदेश को इससे उभरने की कोई ठोस रणनीति का प्रस्ताव प्रस्तुत करे, जिससे प्रदेश की बिगड़ती वित्तीय स्थिति में सुधार हो सके.

पत्र में सरकार का कई बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रदेश में बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि से हुए फसलों के नुकसान पर भी चिंता व्यक्त की गई है. उन्होंने किसानों बागवानों को तुरंत कोई राहत देने, सब्जी उत्पादकों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान करने को कहा है.

वहीं, जिन किसानों की सब्जियां लॉकडाउन के चलते बाजार तक नहीं पहुंच सकीं. ऐसे किसानों को भी राहत राशि देने की मांग की है. कोरोना और लॉकडाउन से बाजार की व्यवस्था अस्त-व्यस्त होने की वजह से लादानी और आढ़तियों के इस बार यहां आने की कम संभावना है इसलिए प्रदेश सरकार को एचपीएमसी और हिम्फेड से सेब खरीद कर उन्हें विपणन करने की पूरी व्यवस्था करनी चाहिए.

इसके लिए कार्टन बॉक्स, ट्रे आदि की व्यवस्था भी अभी से की जानी चाहिए. पत्र में बिजनेस, टूरिज्म और इंडस्ट्री के बिगड़े हालात पर भी चिंता प्रकट करते हुए बिजली और पानी के बिल घरेलू मूल्य के आधार पर लेने को कहा है.

पत्र में कहा गया है कि प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए ऑनलाइन शिक्षा में दूर दराज के क्षेत्रों में छात्रों के पास स्मार्टफोन का न होना और नेटवर्क की समस्या एक बड़ी दिक्कत हो सकती है. पत्र में निजी स्कूलों के अध्यापकों और स्टाफ को लॉकडाउन अवधि के दौरान वेतन का भुगतान सरकार को करना चाहिए, क्योंकि सरकार ने इन संस्थानों को लॉकडाउन के दौरान बच्चों से फीस न लेने को कहा है.

पत्र में कोरोना माहमारी से रक्षा के लिए पर्याप्त मात्रा में टेस्टिंग किट के साथ-साथ मास्क, सेनिटाइजर, पीपीई और बेसिक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को भी कहा गया है. पत्र में बेरोजगारी की बढ़ती समस्या को देखते हुए मनरेगा के तहत कम से कम 200 दिनों का कार्य अर्जित करने की बात कही गई है.

उद्योगिक क्षेत्र में काम बंद होने से हजारों कामगार बेरोजगार हो गए हैं, इसलिए सरकार को इन्हें बेरोजगारी भत्ता देना चाहिए. पत्र में प्रदेश की बिगड़ी अर्थव्यवस्था पर भी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया है कि लॉकडाउन की वजह से सरकार के राजकीय कोष में एक्ससाइज व अन्य टैक्स न मिलने से सरकारी खर्च चलाना भी मुश्किल हो सकता है इसलिए प्रदेश सरकार को केंद्र से इस नुकसान की भरपाई के लिए कोई विशेष आर्थिक पैकेज की मांग करनी चाहिए.

पत्र में प्रदेश के वह लोग जो लॉकडाउन की वजह से अभी भी अन्य राज्यों में फंसे हैं. उन्हें पूरे स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के तहत लाने की कोई सरकारी व्यवस्था की जानी चाहिए. वीरभद्र सिंह ने पत्र के अंत में कहा कि जनहित में कांग्रेस के इन सुझावों पर सरकार को विचार करना चाहिए, जिससे प्रदेश के लोगों को इस कठनाई के समय कोई राहत मिल सके.

वीरभद्र सिंह ने कहा है कि उनके लंबे 58 साल के राजनैतिक करियर में उन्होंने पहली बार ऐसी कोई माहमारी की आपदा देखी पर देश के सभी राजनैतिक दलों, कोरोना वारियर्स और आम लोगों ने जिस प्रकार से इसके खिलाफ लड़ने में अपनी सहभागिता निभाई है उससे साफ है कि हम जल्द ही इस माहमारी के प्रकोप से बाहर निकल जाएंगे और जल्द ही हिमाचल कोरोना फ्री राज्य बन जाएगा.

शिमला: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने प्रदेश में राष्ट्रव्यापी कोरोना माहमारी के चलते जारी लॉकडाउन से उत्पन्न लोगों की समस्याओं और उनके निदान के बारे में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को एक विस्तृत पत्र लिखा है.

वीरभद्र सिंह ने पत्र में लिखा कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी विपक्षी दल के रूप में अपनी भूमिका निभा रही है. लोगों की समस्यों को सरकार के समक्ष रखना पार्टी की नैतिक जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा देश और प्रदेश आज जिस गंभीर चुनौती से गुजर रहा है. उससे उभरने के लिए कांग्रेस मजबूती से सरकार का साथ दे रही है.

वीरभद्र सिंह का जयराम सरकार को पत्र
वीरभद्र सिंह का जयराम सरकार को पत्र

जनहित में कांग्रेस के सुझावों पर सरकार को गंभीरता से विचार कर आगे की कार्य योजना बनानी चाहिए. वीरभद्र सिंह ने पत्र में लिखा है कि 22 मार्च से प्रदेश में लॉकडाउन जारी है, जिससे हर क्षेत्र पर बूरा प्रभाव पड़ा है. प्रदेश में स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं अस्त-व्यस्त हो गई हैं. उन्होंने कहा कांग्रेस विधायक चाहते हैं कि प्रदेश सरकार एक उच्च स्तरीय आर्थिक विशेषज्ञ समिति का गठन करे जो प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान का जायजा लेकर अपनी एक्सपर्ट राय देते हुए प्रदेश को इससे उभरने की कोई ठोस रणनीति का प्रस्ताव प्रस्तुत करे, जिससे प्रदेश की बिगड़ती वित्तीय स्थिति में सुधार हो सके.

पत्र में सरकार का कई बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रदेश में बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि से हुए फसलों के नुकसान पर भी चिंता व्यक्त की गई है. उन्होंने किसानों बागवानों को तुरंत कोई राहत देने, सब्जी उत्पादकों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान करने को कहा है.

वहीं, जिन किसानों की सब्जियां लॉकडाउन के चलते बाजार तक नहीं पहुंच सकीं. ऐसे किसानों को भी राहत राशि देने की मांग की है. कोरोना और लॉकडाउन से बाजार की व्यवस्था अस्त-व्यस्त होने की वजह से लादानी और आढ़तियों के इस बार यहां आने की कम संभावना है इसलिए प्रदेश सरकार को एचपीएमसी और हिम्फेड से सेब खरीद कर उन्हें विपणन करने की पूरी व्यवस्था करनी चाहिए.

इसके लिए कार्टन बॉक्स, ट्रे आदि की व्यवस्था भी अभी से की जानी चाहिए. पत्र में बिजनेस, टूरिज्म और इंडस्ट्री के बिगड़े हालात पर भी चिंता प्रकट करते हुए बिजली और पानी के बिल घरेलू मूल्य के आधार पर लेने को कहा है.

पत्र में कहा गया है कि प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए ऑनलाइन शिक्षा में दूर दराज के क्षेत्रों में छात्रों के पास स्मार्टफोन का न होना और नेटवर्क की समस्या एक बड़ी दिक्कत हो सकती है. पत्र में निजी स्कूलों के अध्यापकों और स्टाफ को लॉकडाउन अवधि के दौरान वेतन का भुगतान सरकार को करना चाहिए, क्योंकि सरकार ने इन संस्थानों को लॉकडाउन के दौरान बच्चों से फीस न लेने को कहा है.

पत्र में कोरोना माहमारी से रक्षा के लिए पर्याप्त मात्रा में टेस्टिंग किट के साथ-साथ मास्क, सेनिटाइजर, पीपीई और बेसिक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को भी कहा गया है. पत्र में बेरोजगारी की बढ़ती समस्या को देखते हुए मनरेगा के तहत कम से कम 200 दिनों का कार्य अर्जित करने की बात कही गई है.

उद्योगिक क्षेत्र में काम बंद होने से हजारों कामगार बेरोजगार हो गए हैं, इसलिए सरकार को इन्हें बेरोजगारी भत्ता देना चाहिए. पत्र में प्रदेश की बिगड़ी अर्थव्यवस्था पर भी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया है कि लॉकडाउन की वजह से सरकार के राजकीय कोष में एक्ससाइज व अन्य टैक्स न मिलने से सरकारी खर्च चलाना भी मुश्किल हो सकता है इसलिए प्रदेश सरकार को केंद्र से इस नुकसान की भरपाई के लिए कोई विशेष आर्थिक पैकेज की मांग करनी चाहिए.

पत्र में प्रदेश के वह लोग जो लॉकडाउन की वजह से अभी भी अन्य राज्यों में फंसे हैं. उन्हें पूरे स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के तहत लाने की कोई सरकारी व्यवस्था की जानी चाहिए. वीरभद्र सिंह ने पत्र के अंत में कहा कि जनहित में कांग्रेस के इन सुझावों पर सरकार को विचार करना चाहिए, जिससे प्रदेश के लोगों को इस कठनाई के समय कोई राहत मिल सके.

वीरभद्र सिंह ने कहा है कि उनके लंबे 58 साल के राजनैतिक करियर में उन्होंने पहली बार ऐसी कोई माहमारी की आपदा देखी पर देश के सभी राजनैतिक दलों, कोरोना वारियर्स और आम लोगों ने जिस प्रकार से इसके खिलाफ लड़ने में अपनी सहभागिता निभाई है उससे साफ है कि हम जल्द ही इस माहमारी के प्रकोप से बाहर निकल जाएंगे और जल्द ही हिमाचल कोरोना फ्री राज्य बन जाएगा.

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