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कोरोना काल में शहरी लोगों का सहारा बन रही मुख्यमंत्री शहरी आजीविका योजना: सुरेश भारद्वाज

प्रदेश में जारी मुख्यमंत्री शहरी आजीविका योजना के तहत अब तक प्रदेश में करीब 3000 लोगों को रोजगार दिया जा चुका है. शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि इस योजना का प्रारूप केंद्र सरकार के समक्ष भी प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि देश के अन्य राज्य भी इस प्रकार की योजनाएं लागू कर सकें. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 3500 से अधिक लोगों ने मुख्यमंत्री शहरी आजीविका योजना के तहत पंजीकरण करवाया था. जिनमें से 3000 से अधिक लोगों को जॉब कार्ड जारी कर दिए गए थे.

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Published : Nov 12, 2020, 8:10 PM IST

शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज
शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज

शिमला: प्रदेश में जारी मुख्यमंत्री शहरी आजीविका योजना के तहत अब तक प्रदेश में करीब 3000 लोगों को रोजगार दिया जा चुका है. यह योजना प्रदेश के सभी शहरी निकायों में जारी है. इसके अलावा अभी बने नगर निगमों में भी यह योजना शुरू की जाएगी.

शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि इस योजना का प्रारूप केंद्र सरकार के समक्ष भी प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि देश के अन्य राज्य भी इस प्रकार की योजनाएं लागू कर सकें. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 3500 से अधिक लोगों ने मुख्यमंत्री शहरी आजीविका योजना के तहत पंजीकरण करवाया था. जिनमें से 3000 से अधिक लोगों को जॉब कार्ड जारी कर दिए गए थे.

वीडियो.

इनमें से करीब 3000 ने योजना के तहत काम किया. सुरेश भारद्वाज ने कहा कि अधिकारियों को इस योजना का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि इस योजना से हिमाचल के शहरी क्षेत्रों में रह रही जनता लाभान्वित हो सके. क्योंकि यह योजना नहीं है इसलिए अधिकतर लोगों को इसकी जानकारी नहीं है. इसलिए प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है कि से अधिक लोकप्रिय बनाया जा सके.

दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन की समीक्षा बैठक करते हुए सुरेश भारद्वाज ने अधिकारियों को इस योजना को कोविड-19 के दौरान और अधिक सफल बनाने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण प्रदेश के हजारों युवाओं का रोजगार गया है.

ऐसे में शहरी क्षेत्र में रह रहे युवा इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठा सकें इसकी हमें कोशिश करनी चाहिए. इस वित्त वर्ष में योजना के तहत 1.54 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं जबकि 3.64 करोड रुपए अभी खर्च किए जाने हैं.उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में 200 के निर्धारित लक्ष्य से भी ज्यादा 324 स्वयं सहायता समूह स्थापित किए गए हैं.

यह योजना शहरी रेहड़ी फड़ी वालों के लिए सहायक प्रणाली के रूप में भी कार्य कर रही है. हिमाचल में 4045 रेहड़ी फड़ी वालों को पहचान पत्र जारी किए गए हैं. इसके अलावा 3798 को प्रमाण पत्र भी जारी किए गए हैं. एक सर्वेक्षण के अनुसार 54 और शहरी स्थानीय निकायों में 5790 रेहड़ी फड़ी वालों को चिह्नित किया गया है.

शहरी विकास मंत्री ने कहा कि 30 कस्बों में 5000 रेहड़ी फड़ी वालों को ठोस कचरा प्रबंधन नियमों स्वास्थ्य तथा स्वच्छता पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया है. सुरेश भारद्वाज ने कहा कि मुख्यमंत्री शहरी आजीविका गारंटी योजना और दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन जैसी योजनाओं की प्रतिमा समीक्षा की जाएगी.

शिमला: प्रदेश में जारी मुख्यमंत्री शहरी आजीविका योजना के तहत अब तक प्रदेश में करीब 3000 लोगों को रोजगार दिया जा चुका है. यह योजना प्रदेश के सभी शहरी निकायों में जारी है. इसके अलावा अभी बने नगर निगमों में भी यह योजना शुरू की जाएगी.

शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि इस योजना का प्रारूप केंद्र सरकार के समक्ष भी प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि देश के अन्य राज्य भी इस प्रकार की योजनाएं लागू कर सकें. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 3500 से अधिक लोगों ने मुख्यमंत्री शहरी आजीविका योजना के तहत पंजीकरण करवाया था. जिनमें से 3000 से अधिक लोगों को जॉब कार्ड जारी कर दिए गए थे.

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इनमें से करीब 3000 ने योजना के तहत काम किया. सुरेश भारद्वाज ने कहा कि अधिकारियों को इस योजना का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि इस योजना से हिमाचल के शहरी क्षेत्रों में रह रही जनता लाभान्वित हो सके. क्योंकि यह योजना नहीं है इसलिए अधिकतर लोगों को इसकी जानकारी नहीं है. इसलिए प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है कि से अधिक लोकप्रिय बनाया जा सके.

दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन की समीक्षा बैठक करते हुए सुरेश भारद्वाज ने अधिकारियों को इस योजना को कोविड-19 के दौरान और अधिक सफल बनाने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण प्रदेश के हजारों युवाओं का रोजगार गया है.

ऐसे में शहरी क्षेत्र में रह रहे युवा इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठा सकें इसकी हमें कोशिश करनी चाहिए. इस वित्त वर्ष में योजना के तहत 1.54 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं जबकि 3.64 करोड रुपए अभी खर्च किए जाने हैं.उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में 200 के निर्धारित लक्ष्य से भी ज्यादा 324 स्वयं सहायता समूह स्थापित किए गए हैं.

यह योजना शहरी रेहड़ी फड़ी वालों के लिए सहायक प्रणाली के रूप में भी कार्य कर रही है. हिमाचल में 4045 रेहड़ी फड़ी वालों को पहचान पत्र जारी किए गए हैं. इसके अलावा 3798 को प्रमाण पत्र भी जारी किए गए हैं. एक सर्वेक्षण के अनुसार 54 और शहरी स्थानीय निकायों में 5790 रेहड़ी फड़ी वालों को चिह्नित किया गया है.

शहरी विकास मंत्री ने कहा कि 30 कस्बों में 5000 रेहड़ी फड़ी वालों को ठोस कचरा प्रबंधन नियमों स्वास्थ्य तथा स्वच्छता पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया है. सुरेश भारद्वाज ने कहा कि मुख्यमंत्री शहरी आजीविका गारंटी योजना और दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन जैसी योजनाओं की प्रतिमा समीक्षा की जाएगी.

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