शिमला: बदलते परिदृश्य में ब्रेन स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. सही समय पर मरीज को अस्पताल में पहुंचाने पर ही उसकी जान बच सकती है. प्रदेश में आइजीएमसी के अलावा 17 ऐसे स्वास्थ्य केंद्र हैं जहां ब्रेन स्ट्रोक का इलाज संभव है. इन स्वास्थ्य केंद्रों में टीपीए यानी टिशू प्लांट एक्टिवेशन इंजेक्शन उपलब्ध करवाया गया है जो कि बिल्कुल मुफ्त है.
ईटीवी से विशेष बातचीत में आईजीएमसी में न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुधीर शर्मा ने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक को कई नामो से भी जानते हैं. इसमें पक्षाघात ,लकवा और अधरंग है. इसका कारण ब्रेन तक खून की सप्लाई प्रभावित होना है. उन्होंने कहा कि दिमाग के जिस हिस्से में खून प्रभावित नहीं होता है वहां अधरंग या ब्रेन स्ट्रोक हो जाता है जैसे मुंह, हाथ का काम करना बंद करना बोलने या सुनने में दिक्कतें आती हैं.
डॉ. सुधीर ने कहा कि उनके पास 75 फीसदी मरीज ऐसे आते हैं जिनके मुंह, हाथ हिलना-ढुलना बंद कर देते हैं या फिर उन्हें बोलने में परेशानी होती है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में ब्रेन स्ट्रोक के इलाज के लिए एचपी टेलिस्टोक के नाम से सुविधा शुरू की गई है. ये सुविधा प्रदेश में 17 स्वास्थ्य केंद्रों में है, जहां पर सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध है. डॉ. सुधीर ने कहा कि इन सभी केंद्रों पर चिकित्सकों को ट्रेंड किया गया है. चिन्हित स्वास्थ्य केंद्रों में टीपीए इंजेक्शन उपलब्ध करवा दिया गया है जो ब्रेन स्ट्रोक के दौरान दिमाग में बने खून के थक्कों को ठीक करता है.
डॉ. सुधीर ने कहा कि बाजार में इस इंजेक्शन की कीमत 60 हजार रुपए है जबकि आईजीएमसी और 17 चिन्हित स्वास्थ्य केंद्रों में यह नि:शुल्क उपलब्ध है. उन्होंने कहा कि कभी भी व्यक्ति में मुंह टेढ़ा होना, हाथ का काम न करना, बोलने-सुनने में समस्या का होना और ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण दिखाई दे तो तुरंत अस्पताल में चेक करवाना चाहिए. उन्होंने कहा कि समय पर मरीज के अस्पताल पहुंचने पर ब्रेन स्टॉक का इलाज संभव है.
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