शिमला: हिमाचल प्रदेश में कई ऐसे भवन, महल और मंदिर हैं जो हिमाचल के गौरवशाली इतिहास की पूरी कहानी बयां करते हैं. ऐसा ही एक भवन राजधानी शिमला स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज है. इस ऐतिहासिक भवन में ब्रिटिश कालीन साम्राज्य का इतिहास तो बसता ही है, इसके साथ ही ब्रिटिश हुकूमत से आजादी और इसके बाद भारतीय इतिहास से जुड़े भी कई महत्वपूर्ण फैसलों का यह भवन गवाह है.
इस भवन की एक खास बात यह है कि पाकिस्तान साथ 1945 में हुआ शिमला समझौता भी इसी भवन में हुआ था. ऐसे में इस भवन के इतिहास से विदेशी और बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटकों को रूबरू करवाने के लिए तैयार की गई है. साउंड एंड लाइट शो के माध्यम पर्यटक इस भवन के इतिहास को जान सकेंगे. इस योजना को सिरे चढ़ाने के लिए प्रदेश पर्यटन विभाग से भी संस्थान प्रबंधन बात कर रहा है.
संस्थान के निदेशक प्रो. मकरंद आर. परांजपे ने कहा कि विदेशों की तर्ज पर ही विश्व प्रसिद्ध इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज में यह शो शुरू करने की योजना है. इसके लिए एक प्रपोजल तैयार किया जा रहा है. इस शो के लिए किन कलाकारों और स्क्रिप्ट राइटर की आवश्यकता है कितना बजट इस शो के लिए खर्च होना है यह सब प्रपोजल में शामिल होगा.
संस्थान के निदेशक ने कहा कि साउंड एंड लाइट शो को लेकर पर्यटन विभाग से बात की गई है. उन्होंने कहा कि इस शो को किसी बॉलीवुड सेलिब्रिटी से करवाने पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस शो को हिमाचली टच देने के साथ ही इस ऐतिहासिक भवन के इतिहास से लोगों को रूबरू करवाया जाएगा.
इसके साथ ही संस्थान में आने वाले पर्यटकों को पहले संस्थान के इतिहास से जुड़ी एक डॉक्यूमेंट्री दिखाई जाएगी, जैसे विदेशों में सेंट पीटर्सबर्ग और विंटर प्लेस में जाने पर दिखाई जाती है. इसके लिए एडवांस्ड स्टडीज में एक मीडिया रूम बनाया जाएगा जहां पर्यटकों को यह डॉक्यूमेंट्री दिखाई जाएगी और उसके बाद संस्थान घुमाया जाएगा. इसके बाद रात को साउंड एंड लाइट शो दिखाया जाएगा.
इस भवन का निर्माण वर्ष 1884 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड डफरिन के लिए किया गया था और इसी की तर्ज पर इसे वाइसरीगल लॉज भी कहा जाता है. इस ऐतिहासिक भवन की एक खास बात यह है कि आजादी की लड़ाई के समय इस संस्थान के भवन में कई ऐतिहासिक बैठकें और फैसले लिए गए. पाकिस्तान साथ 1945 मे हुआ शिमला समझौता भी इसी भवन में हुआ था.
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आजादी के बाद इस भवन को एक नई पहचान देते हुए इसे राष्ट्रपति निवास का नाम दिया गया. इसके बाद राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन ने इस भवन को उच्च शिक्षा और शोध संस्थान बनाने का फैसला लिया और तब से यह संस्थान अपनी इस पहचान को कायम रखे हुए है.
कई ऐसे अनछुए पहलू इस भवन के इतिहास से जुड़े हैं जो अभी तक लोगों के सामने आ ही नहीं पाए हैं. ऐसे में इन सब अनछुए पहलुओं को साउंड एंड लाइट शो के माध्यम से लोगों के सामने लाने की योजना तैयार की जा रही है.
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