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कोरोना काल में बड़ी राहत: हिमाचल में नहीं रहेगी डॉक्टर्स की कमी, ऐसे हुआ कमाल

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Published : Jun 19, 2021, 5:56 PM IST

कोरोना संकट के इस दौर में जब देश के अन्य राज्य मेडिकल ऑफिसर्स (Medical officers) की कमी से जूझ रहे हैं, हिमाचल इस मामले में आत्मनिर्भर हो चला है. प्रदेश के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में मेडिकल ऑफिसर्स यानी एमबीबीएस पास डॉक्टर्स पर्याप्त संख्या में हैं.

There will be no shortage of doctors in Himachal, हिमाचल में नहीं रहेगी डॉक्टर्स की कमी
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शिमला: स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश भर के राज्यों के मुकाबले हिमाचल की स्थिति काफी बेहतर है. कोरोना संकट के इस दौर में जब देश के अन्य राज्य मेडिकल ऑफिसर्स (Medical officers) की कमी से जूझ रहे हैं, लेकिन हिमाचल इस मामले में आत्मनिर्भर हो चला है. प्रदेश के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में मेडिकल ऑफिसर्स यानी एमबीबीएस पास डॉक्टर्स पर्याप्त संख्या में हैं. राज्य में इनके लिए स्वीकृत पद 2431 हैं. इन स्वीकृत पदों के खिलाफ 2356 डॉक्टर्स सेवाएं दे रहे हैं.

अभी प्रदेश में दो बड़े मेडिकल कॉलेज आईजीएमसी शिमला (IGMC Shimla) व डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा हैं. इनके अलावा नाहन, हमीरपुर व चंबा में भी मेडिकल कॉलेज हैं. निजी क्षेत्र में भी एक मेडिकल कॉलेज हैं और एम्स बिलासपुर भी करीबन शुरू हो चुका है.

जरूरत से अधिक डॉक्टर्स उपलब्ध होंगे

जैसे ही उक्त सभी मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस (Bachelor of Medicine and Bachelor of Surger) के बैच पासआउट होंगे, हिमाचल में जरूरत से अधिक डॉक्टर्स उपलब्ध होंगे. यही नहीं, हिमाचल में अब विशेषज्ञ डॉक्टर्स यानी एमडी-एमएस व एमसीएच की भी कमी नहीं है.

हिमाचल में आईजीएमसी शिमला (IGMC Shimla) में सीटीवीएस यानी ओपन हार्ट सर्जरी में एमसीएच की डिग्री की पढ़ाई हो रही है. अब ओपन हार्ट सर्जरी के एमसीएच डिग्री होल्डर भी यहीं उपलब्ध हैं. करीब सत्तर लाख की आबादी वाले छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल में प्रदेश में शिमला, टांडा, नाहन, हमीरपुर, चंबा में मेडिकल कॉलेज हैं. एम्स बिलासपुर भी शुरू हो चुका है.

हिमाचल में अब मेडिकल ऑफिसर्स की कमी नहीं रही

एमबीबीएस की सीटें भी पहले के मुकाबले अधिक हैं. यही कारण है कि हिमाचल में अब मेडिकल ऑफिसर्स की कमी नहीं रही है. ऐसे में इसी साल हिमाचल में स्वास्थ्य के क्षेत्र में मेडिकल ऑफिसर्स के लिए नो वैकेंसी जैसी स्थिति आ जाएगी.

राज्य सरकार के स्वास्थ्य सचिव अमिताभ अवस्थी का कहना है कि खाली पदों की संख्या अब न के बराबर है. आईजीएमसी शिमला व डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा के बैच के पासआउट होते ही ये भी खत्म हो जाएगी.

बीते जमाने की बात होगी वॉक-इन-इंटरव्यू

राज्य में पहले स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टर्स की भर्ती के लिए वॉक-इन-इंटरव्यू होते थे. यानी एमबीबीएस पास डॉक्टर्स के लिए सप्ताह में एक दिन फिक्स होता था और उस दिन इंटरव्यू करके ज्वाइन करने संबंधी आदेश भी जारी हो जाते थे. पहले डॉक्टर्स की कमी थी और उसे पूरा करने के लिए ये वॉक-इन-इंटरव्यू की प्रक्रिया अपनाई गई थी. चूंकि अब डॉक्टर्स के करीब सभी पद भरने वाले हैं, लिहाजा आने वाले समय में ये प्रक्रिया बीते जमाने की बात होकर रह जाएगी.

मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में बड़े डिपार्टमेंट की चार-चार यूनिट

आईजीएमसी अस्पताल शिमला (IGMC Hospital Shimla) प्रदेश का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संस्थान है. यहां बड़े डिपार्टमेंट्स की चार-चार यूनिट हैं. मेडिसन व सर्जरी जैसे डिपार्टमेंट की चार-चार यूनिट हैं. हर यूनिट में एक प्रोफेसर एंड हेड ऑफ द डिपार्टमेंट के अलावा एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, रजिस्ट्रार व पर्याप्त संख्या में पीजी डॉक्टर्स हैं.

इस व्यवस्था से प्रदेश भर से आने वाले मरीजों की देखभाल आसानी से संभव हो जाती है. यही कारण है कि कोरोना संकट के बावजूद आईजीएमसी अस्पताल शिमला में रूटीन की ओपीडी व इमरजेंसी सर्जरी बंद नहीं हुई. इसी तरह हिमाचल में फील्ड में भी पीजी यानी एमडी-एमएस डॉक्टर्स की कमी नहीं है. राज्य में फील्ड में सेवाएं दे रहे संस्थानों में भी जरूरत के अनुसार पीजी डॉक्टर्स हैं. आने वाले समय में ये संख्या और भी बढ़ेगी.

कोरोना से निपटने में काम आया हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर

हालांकि कोरोना की दूसरी लहर में देश के साथ-साथ हिमाचल में भी काफी लोग संक्रमण का शिकार हुए, लेकिन अच्छे इन्फ्रास्ट्रक्चर के कारण स्थितियां अधिक खराब होने से बच गईं. हिमाचल में ऑक्सीजन, वैंटीलेटर्स व पैरामेडिकल स्टाफ की कमी पेश नहीं आई.

इसके अलावा हिमाचल में आयुर्वेद से जुड़े स्वास्थ्य संस्थानों की भी अच्छी संख्या है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल के अनुसार छोटा राज्य होने के बाद भी हिमाचल का स्वास्थ्य ढांचा अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर है. अब यहां फील्ड में एमबीबीएस डॉक्टर्स की संख्या भी स्वीकृत पदों के अनुसार होने वाली है. ये सुखद संकेत हैं और प्रदेश में वॉक-इन-इंटरव्यू जैसी प्रक्रिया की भी जरूरत पेश नहीं आएगी.

ये भी पढ़ें- फ्लाइंग सिख का हिमाचल से रहा है गहरा नाता, निधन की खबर से कसौली में शोक की लहर

शिमला: स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश भर के राज्यों के मुकाबले हिमाचल की स्थिति काफी बेहतर है. कोरोना संकट के इस दौर में जब देश के अन्य राज्य मेडिकल ऑफिसर्स (Medical officers) की कमी से जूझ रहे हैं, लेकिन हिमाचल इस मामले में आत्मनिर्भर हो चला है. प्रदेश के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में मेडिकल ऑफिसर्स यानी एमबीबीएस पास डॉक्टर्स पर्याप्त संख्या में हैं. राज्य में इनके लिए स्वीकृत पद 2431 हैं. इन स्वीकृत पदों के खिलाफ 2356 डॉक्टर्स सेवाएं दे रहे हैं.

अभी प्रदेश में दो बड़े मेडिकल कॉलेज आईजीएमसी शिमला (IGMC Shimla) व डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा हैं. इनके अलावा नाहन, हमीरपुर व चंबा में भी मेडिकल कॉलेज हैं. निजी क्षेत्र में भी एक मेडिकल कॉलेज हैं और एम्स बिलासपुर भी करीबन शुरू हो चुका है.

जरूरत से अधिक डॉक्टर्स उपलब्ध होंगे

जैसे ही उक्त सभी मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस (Bachelor of Medicine and Bachelor of Surger) के बैच पासआउट होंगे, हिमाचल में जरूरत से अधिक डॉक्टर्स उपलब्ध होंगे. यही नहीं, हिमाचल में अब विशेषज्ञ डॉक्टर्स यानी एमडी-एमएस व एमसीएच की भी कमी नहीं है.

हिमाचल में आईजीएमसी शिमला (IGMC Shimla) में सीटीवीएस यानी ओपन हार्ट सर्जरी में एमसीएच की डिग्री की पढ़ाई हो रही है. अब ओपन हार्ट सर्जरी के एमसीएच डिग्री होल्डर भी यहीं उपलब्ध हैं. करीब सत्तर लाख की आबादी वाले छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल में प्रदेश में शिमला, टांडा, नाहन, हमीरपुर, चंबा में मेडिकल कॉलेज हैं. एम्स बिलासपुर भी शुरू हो चुका है.

हिमाचल में अब मेडिकल ऑफिसर्स की कमी नहीं रही

एमबीबीएस की सीटें भी पहले के मुकाबले अधिक हैं. यही कारण है कि हिमाचल में अब मेडिकल ऑफिसर्स की कमी नहीं रही है. ऐसे में इसी साल हिमाचल में स्वास्थ्य के क्षेत्र में मेडिकल ऑफिसर्स के लिए नो वैकेंसी जैसी स्थिति आ जाएगी.

राज्य सरकार के स्वास्थ्य सचिव अमिताभ अवस्थी का कहना है कि खाली पदों की संख्या अब न के बराबर है. आईजीएमसी शिमला व डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा के बैच के पासआउट होते ही ये भी खत्म हो जाएगी.

बीते जमाने की बात होगी वॉक-इन-इंटरव्यू

राज्य में पहले स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टर्स की भर्ती के लिए वॉक-इन-इंटरव्यू होते थे. यानी एमबीबीएस पास डॉक्टर्स के लिए सप्ताह में एक दिन फिक्स होता था और उस दिन इंटरव्यू करके ज्वाइन करने संबंधी आदेश भी जारी हो जाते थे. पहले डॉक्टर्स की कमी थी और उसे पूरा करने के लिए ये वॉक-इन-इंटरव्यू की प्रक्रिया अपनाई गई थी. चूंकि अब डॉक्टर्स के करीब सभी पद भरने वाले हैं, लिहाजा आने वाले समय में ये प्रक्रिया बीते जमाने की बात होकर रह जाएगी.

मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में बड़े डिपार्टमेंट की चार-चार यूनिट

आईजीएमसी अस्पताल शिमला (IGMC Hospital Shimla) प्रदेश का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संस्थान है. यहां बड़े डिपार्टमेंट्स की चार-चार यूनिट हैं. मेडिसन व सर्जरी जैसे डिपार्टमेंट की चार-चार यूनिट हैं. हर यूनिट में एक प्रोफेसर एंड हेड ऑफ द डिपार्टमेंट के अलावा एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, रजिस्ट्रार व पर्याप्त संख्या में पीजी डॉक्टर्स हैं.

इस व्यवस्था से प्रदेश भर से आने वाले मरीजों की देखभाल आसानी से संभव हो जाती है. यही कारण है कि कोरोना संकट के बावजूद आईजीएमसी अस्पताल शिमला में रूटीन की ओपीडी व इमरजेंसी सर्जरी बंद नहीं हुई. इसी तरह हिमाचल में फील्ड में भी पीजी यानी एमडी-एमएस डॉक्टर्स की कमी नहीं है. राज्य में फील्ड में सेवाएं दे रहे संस्थानों में भी जरूरत के अनुसार पीजी डॉक्टर्स हैं. आने वाले समय में ये संख्या और भी बढ़ेगी.

कोरोना से निपटने में काम आया हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर

हालांकि कोरोना की दूसरी लहर में देश के साथ-साथ हिमाचल में भी काफी लोग संक्रमण का शिकार हुए, लेकिन अच्छे इन्फ्रास्ट्रक्चर के कारण स्थितियां अधिक खराब होने से बच गईं. हिमाचल में ऑक्सीजन, वैंटीलेटर्स व पैरामेडिकल स्टाफ की कमी पेश नहीं आई.

इसके अलावा हिमाचल में आयुर्वेद से जुड़े स्वास्थ्य संस्थानों की भी अच्छी संख्या है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल के अनुसार छोटा राज्य होने के बाद भी हिमाचल का स्वास्थ्य ढांचा अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर है. अब यहां फील्ड में एमबीबीएस डॉक्टर्स की संख्या भी स्वीकृत पदों के अनुसार होने वाली है. ये सुखद संकेत हैं और प्रदेश में वॉक-इन-इंटरव्यू जैसी प्रक्रिया की भी जरूरत पेश नहीं आएगी.

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