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खैर कटान पर आज सुप्रीम कोर्ट में सरकार रखेगी अपना पक्ष, जानें क्या है मामला

हिमाचल में खैर कटान को लेकर आज सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी.मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि यदि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय राज्य सरकार के पक्ष में आता है तो इससे प्रदेश के किसानों को बड़ी राहत मिलेगी औ

खैर कटान पर आज सुप्रीम कोर्ट में सरकार रखेगी अपना पक्ष
खैर कटान पर आज सुप्रीम कोर्ट में सरकार रखेगी अपना पक्ष
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Published : May 10, 2023, 10:25 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में खैर के पेड़ों के कटान से संबंधित 2 मामलों पर सुप्रीम कोर्ट में आज यानी 10 मई को सुनवाई होगी. प्रदेश सरकार खैर उत्पादकों को राहत देने के लिए ‘दस वर्षीय कटान कार्यक्रम’ के अतंर्गत खैर के कटान पर लगाई गई शर्त हटाने और उनको सुविधा अनुसार खैर कटान की अनुमति देने को लेकर कोर्ट में अपना कानूनी पक्ष रखेगी.

फैसला पक्ष में आने के बाद बड़ी राहत: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि यदि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय राज्य सरकार के पक्ष में आता है तो इससे प्रदेश के किसानों को बड़ी राहत मिलेगी और खैर के पेड़ों के कटान के लिए वन विभाग की अनुमति अनिवार्य नहीं रहेगी. उन्होंने कहा कि इससे किसान अपनी सुविधा और आर्थिक आवश्यकताओं के अनुसार इसका कटान करने में सक्षम हो सकेंगे.

कत्था औषधीय गुणों से परिपूर्ण: खैर की लकड़ी से निकालने जाने वाला ‘कत्था’ औषधीय गुणों से परिपूर्ण होने के कारण इसका विभिन्न दवाईयों के उत्पादन में इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में राज्य सरकार की दलील है कि सिल्वीकल्चर के देखते हुए खैर कटान वन प्रबंधन सहित प्रदेश के राजस्व अर्जन के लिए भी बेहतर है.

समिति का गठन किया गया था: मुख्यमंत्री ने कहा कि खैर को 10 साल के कटाई कार्यक्रम के दायरे से बाहर करने और राज्य के किसानों के पक्ष में भूमि संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों में छूट से संबंधित सुझाव प्रदान करने के लिए पूर्व में एक समिति का गठन किया गया था. इस समिति द्वारा न्यायालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी गई और इस रिपोर्ट पर भी संज्ञान लिए जाने की संभावना है.

2018 में कटान की अनुमति: एक अन्य समान मामले में राज्य सरकार प्रदेश भर में सरकारी वन भूमि पर खैर के पेड़ों की कटाई की अनुमति की मांग कर रही है. वन विभाग का मानना है कि खैर के पुनर्जीवन संबंधी गुणों के कारण सरकारी भूमि पर वनों का कायाकल्प करने के दृष्टिगत इसके कटान की अनुमति मिलनी चाहिए. वन विभाग की एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रायोगिक आधार पर वर्ष 2018 में खैर के पेड़ों के कटान की अनुमति प्रदान की थी.

केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने किया दौरा: इसके परिणामों का आकलन करने के लिए हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की एक केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने उन क्षेत्रों का दौरा किया, जहां शीर्ष अदालत ने खैर के पेड़ों की कटाई की अनुमति प्रदान की थी और समिति ने अपने निष्कर्ष कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर दिए हैं.

इन जिलों में खैर ज्यादा: मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों का कल्याण वर्तमान राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है और उन्हें लाभान्वित करने के लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं. खैर कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर, सिरमौर, सोलन और हमीरपुर जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि अर्थव्यवस्था के घटकों में से एक है.

ये भी पढे़ं : सरकारी भूमि से खैर की लकड़ी के कटान के विषय पर सरकार गंभीर: वन मंत्री राकेश पठानिया

शिमला: हिमाचल प्रदेश में खैर के पेड़ों के कटान से संबंधित 2 मामलों पर सुप्रीम कोर्ट में आज यानी 10 मई को सुनवाई होगी. प्रदेश सरकार खैर उत्पादकों को राहत देने के लिए ‘दस वर्षीय कटान कार्यक्रम’ के अतंर्गत खैर के कटान पर लगाई गई शर्त हटाने और उनको सुविधा अनुसार खैर कटान की अनुमति देने को लेकर कोर्ट में अपना कानूनी पक्ष रखेगी.

फैसला पक्ष में आने के बाद बड़ी राहत: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि यदि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय राज्य सरकार के पक्ष में आता है तो इससे प्रदेश के किसानों को बड़ी राहत मिलेगी और खैर के पेड़ों के कटान के लिए वन विभाग की अनुमति अनिवार्य नहीं रहेगी. उन्होंने कहा कि इससे किसान अपनी सुविधा और आर्थिक आवश्यकताओं के अनुसार इसका कटान करने में सक्षम हो सकेंगे.

कत्था औषधीय गुणों से परिपूर्ण: खैर की लकड़ी से निकालने जाने वाला ‘कत्था’ औषधीय गुणों से परिपूर्ण होने के कारण इसका विभिन्न दवाईयों के उत्पादन में इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में राज्य सरकार की दलील है कि सिल्वीकल्चर के देखते हुए खैर कटान वन प्रबंधन सहित प्रदेश के राजस्व अर्जन के लिए भी बेहतर है.

समिति का गठन किया गया था: मुख्यमंत्री ने कहा कि खैर को 10 साल के कटाई कार्यक्रम के दायरे से बाहर करने और राज्य के किसानों के पक्ष में भूमि संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों में छूट से संबंधित सुझाव प्रदान करने के लिए पूर्व में एक समिति का गठन किया गया था. इस समिति द्वारा न्यायालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी गई और इस रिपोर्ट पर भी संज्ञान लिए जाने की संभावना है.

2018 में कटान की अनुमति: एक अन्य समान मामले में राज्य सरकार प्रदेश भर में सरकारी वन भूमि पर खैर के पेड़ों की कटाई की अनुमति की मांग कर रही है. वन विभाग का मानना है कि खैर के पुनर्जीवन संबंधी गुणों के कारण सरकारी भूमि पर वनों का कायाकल्प करने के दृष्टिगत इसके कटान की अनुमति मिलनी चाहिए. वन विभाग की एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रायोगिक आधार पर वर्ष 2018 में खैर के पेड़ों के कटान की अनुमति प्रदान की थी.

केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने किया दौरा: इसके परिणामों का आकलन करने के लिए हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की एक केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने उन क्षेत्रों का दौरा किया, जहां शीर्ष अदालत ने खैर के पेड़ों की कटाई की अनुमति प्रदान की थी और समिति ने अपने निष्कर्ष कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर दिए हैं.

इन जिलों में खैर ज्यादा: मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों का कल्याण वर्तमान राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है और उन्हें लाभान्वित करने के लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं. खैर कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर, सिरमौर, सोलन और हमीरपुर जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि अर्थव्यवस्था के घटकों में से एक है.

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