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पुरातन इतिहास होने के बावजूद भी जीर्णोद्धार के लिए तरस रहा यह भवन, ग्रामीणों ने प्रशासन से लगाई गुहार - ऐतिहासिक भवन

रामपुर बुशहर में एक मंदिर ऐसा भी है, जिसका निर्माण लगभग पंद्रहवीं शताब्दी में किया गया था. इतना पुराना इतिहास होने के बावजूद यह भवन अपने जीर्णोद्धार के लिए तरस रहा है.

जीर्णोद्धार के लिए तरस रहा भवन
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Published : Sep 10, 2019, 1:22 PM IST

शिमला: रामपुर बुशहर के खेत क्षेत्र में माता के मंदिर परिसर के साथ बने एक प्राचीन काल की कोठी की हालत बेहद खराब है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि कोठी का निर्माण लगभग पंद्रहवीं शताब्दी में किया गया था.


जानकारी के अनुसार पंद्रहवीं शताब्दी में जब इस ऐतिहासिक भवन का निर्माण किया गया था, उस समय यह दस मंजिला था, लेकिन निर्माण के कुछ समय बाद मंदिर के साथ लगते पहाड़ के टूटने से यह कोठी पांच मंजिल जमीन के नीचे चली गई. जिसके बाद से भवन केवल पांच मंजिला ही रह गया है.

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बता दें कि भवन अब खंडहर में तब्दील हो चुका है. मंदिर पुजारी के अनुसार इस कोठी की क्षमता अधिक भार उठाने लायक नहीं है. जिसको देखते हुए कोठी में अब थोड़ा सामान ही रखा जाता है.

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पुजारी ने प्रशासन से आग्रह किया है कि इस कोठी को जीर्णोद्धार की आवश्यकता है, यदि समय रहते मुरम्मत का कार्य नहीं करवाया गया तो प्राचीन काल की कोठी कभी भी ढह सकती है. मंदिर पुजारी ने बताया कि इस बारे में उन्होंने कुल्लू जिले के भाषा व संस्कृति विभाग को भी पत्र के माध्यम से अवगत करवाया था लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं आया. ग्रामीणों की भी यह गुहार है कि इसका जीर्णोद्धार समय रहते किया जाए.

शिमला: रामपुर बुशहर के खेत क्षेत्र में माता के मंदिर परिसर के साथ बने एक प्राचीन काल की कोठी की हालत बेहद खराब है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि कोठी का निर्माण लगभग पंद्रहवीं शताब्दी में किया गया था.


जानकारी के अनुसार पंद्रहवीं शताब्दी में जब इस ऐतिहासिक भवन का निर्माण किया गया था, उस समय यह दस मंजिला था, लेकिन निर्माण के कुछ समय बाद मंदिर के साथ लगते पहाड़ के टूटने से यह कोठी पांच मंजिल जमीन के नीचे चली गई. जिसके बाद से भवन केवल पांच मंजिला ही रह गया है.

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बता दें कि भवन अब खंडहर में तब्दील हो चुका है. मंदिर पुजारी के अनुसार इस कोठी की क्षमता अधिक भार उठाने लायक नहीं है. जिसको देखते हुए कोठी में अब थोड़ा सामान ही रखा जाता है.

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पुजारी ने प्रशासन से आग्रह किया है कि इस कोठी को जीर्णोद्धार की आवश्यकता है, यदि समय रहते मुरम्मत का कार्य नहीं करवाया गया तो प्राचीन काल की कोठी कभी भी ढह सकती है. मंदिर पुजारी ने बताया कि इस बारे में उन्होंने कुल्लू जिले के भाषा व संस्कृति विभाग को भी पत्र के माध्यम से अवगत करवाया था लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं आया. ग्रामीणों की भी यह गुहार है कि इसका जीर्णोद्धार समय रहते किया जाए.

Intro:रामपुर बुशहर, 10 सितम्बर मीनाक्षी


Body:आने के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र खेत में माता के मंदिर परिसर के साथ बने एक प्राचीन काल की कोटी को जीर्णोद्धार है जो माता के मंदिर में मौजूद पुजारी ने जानकारी देते हुए बताया कि स्कूटी का निर्माण लगभग पंद्रहवीं शताब्दी में किया गया था ।उस समय यह 10 मंजिल की बनाई गई थी। निर्माण के कुछ समय बाद मंदिर के साथ लगते पहाड़ के टूटने से यह कोठी पांच मंजिला जमीन के नीचे चली गई और अब 5 मंजिल ही रह गई है जो अब खंडहर बन कर रह गई है । उन्होंने बताया कि इस कोठी में अब थोड़ा सामान ही रखा जाता है । ज्यादा सम्मान इसमें रखना उसमें रहना खतरे से खाली नहीं है इसको देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि यह कभी भी ढह सकती है । इसके जीर्णोद्धार की आवश्यकता है । पुजारी ने बताया कि इस बारे में उन्होंने कुल्लू जिले के भाषा व संस्कृति विभाग को भी पत्र के माध्यम से अवगत करवाया था लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं आया।

समय रहते इस कोठी का जीर्णोद्धार होना आवश्यक है तभी प्राचीन काल के समय की पूंजी बच सकती है । अन्यथा कभी भी यह ढह कर मिट्टी में मिल सकती है । यहां के ग्रामीणों की भी यह गुहार है कि इसका जीर्णोद्धार समय रहते किया जाए।

बाइट : पुजारी खेगसु मंदिर ।



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