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राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रदेश के शिक्षाविदों का सुझाव, हिंदी और संस्कृत को स्कूलों में किया जाए अनिवार्य

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ड्राफ्ट पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में उपस्थित शिक्षकों ने कई सुझाव दिए. शिक्षकों का कहना है कि इंग्लिश भाषा का भी ज्ञान छात्रों के लिए आवश्यक है, लेकिन इसके साथ ही हिंदी और संस्कृत दो ऐसी भाषाएं हैं, जिनका सही ज्ञान छात्रों को होना जरूरी है.

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Published : Jul 21, 2019, 7:42 AM IST

Updated : Jul 21, 2019, 9:56 AM IST

शिमला: जिले में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ड्राफ्ट पर आयोजित कार्यशाला में उपस्थित शिक्षकों ने कई सुझाव दिए. उन्होंने कहा कि हिंदी देश की राष्ट्रभाषा है, ऐसे में इस भाषा को छात्रों की पढ़ाई का हिस्सा बनाना जरूरी है. शिक्षकों ने कहा कि स्कूलों में छात्रों को राष्ट्रभाषा हिंदी और संस्कृत भाषा का भी ज्ञान दिया जाना चाहिए.

शिक्षकों का कहना है कि इंग्लिश भाषा का भी ज्ञान छात्रों के लिए आवश्यक है लेकिन इसके साथ ही हिंदी और संस्कृत दो ऐसी भाषाएं हैं, जिनका सही ज्ञान छात्रों को होना जरूरी है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे के लिए शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता, स्कूलों में सेमेस्टर सिस्टम, टीचिंग यूनिवर्सिटी और रिसर्च यूनिवर्सिटी के लिए बनाए गए मानकों में पहाड़ी राज्यों को रियायत देने के सुझाव भी दिए गए हैं.

साथ ही उच्च शिक्षा में जो तीन टायर सिस्टम लागू करने की बात शिक्षा नीति में कही गई वे हिमाचल जैसे हिमालयी राज्यों के लिए मुमकिन नहीं है. तीन टायर सिस्टम के तहत शिक्षण संस्थानों को रिसर्च यूनिवर्सिटी, टीचिंग यूनिवर्सिटी और कॉलेज में बांटने की बात की गई है.

वीडियो

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हालांकि, इसके लिए जो मानक तय किए गए हैं, वे पहाड़ी राज्य कभी पूरा नहीं कर पाएंगे. जिससे राज्यों को सबसे अधिक नुकसान होगा. जिसे देखते हुए सुझाव दिया गया है कि इन मानकों को कम कर इसमें पहाड़ी राज्यों को छूट दी जाए. वहीं, दूसरा आवश्यक सुझाव जो इस कार्यशाला में शिक्षकों और शिक्षाविदों की ओर से दिया गया, उसमें शिक्षा नीति में करिकुलम और टीचिंग मेथड में 50 फीसदी सिलेबस संबंधित स्टेट से जुड़ा होना चाहिए.

हिमाचल प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. सुनील गुप्ता ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में पहाड़ी राज्यों के लिए कुछ एक बदलाव करना जरूरी है. अगर ये बदलाव नहीं किए जाते हैं तो पहाड़ी राज्यों में ये राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू नहीं हो पाएगी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में रिसर्च कार्य के लिए अलग से फंड रखने, स्कूलों में मिड डे मील में नाश्ते के प्रावधान करने, शिक्षकों से गैर शिक्षक कर्मचारियों का काम न करवाने जैसे मानकों का समर्थन भी शिक्षकों ने भी किया है.

बता दें कि इस दो दिवसीय कार्यशाला में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में दिए गए सुझावों की रिपोर्ट तैयार कर 25 जुलाई तक राज्य सरकार को सौंपी जाएगी. जिसके बाद राज्य सरकार इस रिपोर्ट को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को भेजेगी.

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शिमला: जिले में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ड्राफ्ट पर आयोजित कार्यशाला में उपस्थित शिक्षकों ने कई सुझाव दिए. उन्होंने कहा कि हिंदी देश की राष्ट्रभाषा है, ऐसे में इस भाषा को छात्रों की पढ़ाई का हिस्सा बनाना जरूरी है. शिक्षकों ने कहा कि स्कूलों में छात्रों को राष्ट्रभाषा हिंदी और संस्कृत भाषा का भी ज्ञान दिया जाना चाहिए.

शिक्षकों का कहना है कि इंग्लिश भाषा का भी ज्ञान छात्रों के लिए आवश्यक है लेकिन इसके साथ ही हिंदी और संस्कृत दो ऐसी भाषाएं हैं, जिनका सही ज्ञान छात्रों को होना जरूरी है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे के लिए शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता, स्कूलों में सेमेस्टर सिस्टम, टीचिंग यूनिवर्सिटी और रिसर्च यूनिवर्सिटी के लिए बनाए गए मानकों में पहाड़ी राज्यों को रियायत देने के सुझाव भी दिए गए हैं.

साथ ही उच्च शिक्षा में जो तीन टायर सिस्टम लागू करने की बात शिक्षा नीति में कही गई वे हिमाचल जैसे हिमालयी राज्यों के लिए मुमकिन नहीं है. तीन टायर सिस्टम के तहत शिक्षण संस्थानों को रिसर्च यूनिवर्सिटी, टीचिंग यूनिवर्सिटी और कॉलेज में बांटने की बात की गई है.

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हालांकि, इसके लिए जो मानक तय किए गए हैं, वे पहाड़ी राज्य कभी पूरा नहीं कर पाएंगे. जिससे राज्यों को सबसे अधिक नुकसान होगा. जिसे देखते हुए सुझाव दिया गया है कि इन मानकों को कम कर इसमें पहाड़ी राज्यों को छूट दी जाए. वहीं, दूसरा आवश्यक सुझाव जो इस कार्यशाला में शिक्षकों और शिक्षाविदों की ओर से दिया गया, उसमें शिक्षा नीति में करिकुलम और टीचिंग मेथड में 50 फीसदी सिलेबस संबंधित स्टेट से जुड़ा होना चाहिए.

हिमाचल प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. सुनील गुप्ता ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में पहाड़ी राज्यों के लिए कुछ एक बदलाव करना जरूरी है. अगर ये बदलाव नहीं किए जाते हैं तो पहाड़ी राज्यों में ये राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू नहीं हो पाएगी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में रिसर्च कार्य के लिए अलग से फंड रखने, स्कूलों में मिड डे मील में नाश्ते के प्रावधान करने, शिक्षकों से गैर शिक्षक कर्मचारियों का काम न करवाने जैसे मानकों का समर्थन भी शिक्षकों ने भी किया है.

बता दें कि इस दो दिवसीय कार्यशाला में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में दिए गए सुझावों की रिपोर्ट तैयार कर 25 जुलाई तक राज्य सरकार को सौंपी जाएगी. जिसके बाद राज्य सरकार इस रिपोर्ट को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को भेजेगी.

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Intro:स्कूलों में छात्रों को राष्ट्रभाषा हिंदी के साथ ही संस्कृत भाषा का भी ज्ञान दिया जाना चाहिए। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है ऐसे में इस भाषा को छात्रों की पढ़ाई का हिस्सा बनाना जरूरी है। हालांकि इंग्लिश भाषा का भी ज्ञान छात्रों के लिए आवश्यक है लेकिन इसके साथ ही हिंदी और संस्कृत दो ऐसी भाषाएं है जिनका सही ज्ञान छात्रों को होना जरूरी है। यह सुझाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ड्राफ्ट पर चर्चा करने के लिए आयोजित कार्यशाला में उपस्थित शिक्षकों ने दिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे के लिए शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता,स्कूलों में समेस्टर सिस्टम, टीचिंग यूनिवर्सिटी ओर रिसर्च यूनिवर्सिटी के लिए बनाए गए मानकों में पहाड़ी राज्यों को रियायत देने के सुझाव भी दिए गए है। इसके साथ ही उच्च शिक्षा में जो तीन टायर सिस्टम लागू करने की बात शिक्षा नीति में कही गईं वह हिमाचल जैसे हिमालयी राज्यों के लिए मुमकिन नहीं है। तीन टायर सिस्टम के तहत शिक्षण संस्थानों को रिसर्च यूनिवर्सिटी,टीचिंग यूनिवर्सिटी ओर कॉलेज में बांटने की बात की गई है। इसके लिए जो मानक तय किए गए है वह पहाड़ी राज्य कभी पूरा नहीं कर पाएंगे।


Body:इससे राज्यों को सबसे अधिक नुकसान होगा,जिसे देखते हुए सुझाव दिया गया है कि इन मानकों को कम कर इसमें पहाड़ी राज्यों को छूट दी जाए। एक ओर आवश्यक सुझाव जो इस कार्यशाला में शिक्षकों और शिक्षाविदों की ओर से दिया गया उसमें शिक्षा नीति में करिकुलम ओर टीचिंग मैथड में 50 फीसदी सिलेबस संबंधित स्टेट से जुड़ा होना चाहिए। हिमाचल प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो.सुनील गुप्ता ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में पहाड़ी राज्यों के लिए कुछ एक बदवाल करने जरूरी है अगर यह बदलाव नहीं किए जाते है तो पहाड़ी राज्यों में यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू नहीं हो पाएगी।


Conclusion:उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में रिसर्च कार्य के लिए अलग से फंड रखने,स्कूलों में मिड डे मील में नाश्ते के प्रावधान करने,शिक्षकों से गैर शिक्षक कर्मचारियों का काम ना करवाने जैसे मानकों का समर्थन भी शिक्षकों ने भी किया है। इस दो दिवसीय कार्यशाला में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में दिए गए सुझावों की रिपोर्ट तैयार कर राज्य सरकार को सौंपी जाएगी। रिपोर्ट तैयार कर 25 जुलाई तक प्रदेश सरकार को सौंपी जाएगी,जिसके बाद राज्य सरकार इस रिपोर्ट को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को भेजेगी।
Last Updated : Jul 21, 2019, 9:56 AM IST
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