शिमला: जिला शिमला के चिखड़ स्कूल में तैनात दलित वर्ग की मिड डे मील तैयार करने वाली महिला कर्मचारी के साथ जातिगत भेदभाव पर हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. अदालत के संज्ञान में ये मामला आया है कि चिखड़ स्कूल के कुछ छात्र दलित महिला के हाथ का बना खाना नहीं खाते. इस तरह के जातिगत भेदभाव का मामला संज्ञान में आते ही हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव से जवाब तलब किया है. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने मीडिया में आई इस खबर पर संज्ञान लिया है.
मुख्य सचिव से जवाब तलब करने के साथ ही अदालत ने उन्हें और निदेशक प्रारंभिक शिक्षा, उप निदेशक प्रारंभिक शिक्षा और चिखड़ स्कूल के एसएमसी अध्यक्ष को प्रतिवादी बनाया है. अब इस मामले में आगामी सुनवाई 11 मई को होगी. इस तारीख को मुख्य सचिव को पूरे मामले में जवाब देना होगा. मीडिया में आई खबर के अनुसार जिला शिमला के प्राइमरी स्कूल चिखड़ में मिड-डे मील महिला कर्मी के साथ हो जातिगत भेदभाव हो रहा है. इस भेदभाव की शिकायत पिछले साल दिसंबर में स्कूल प्रधानाचार्य ने जिला उप-निदेशक को भेजी थी, लेकिन मामले पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. शिकायत के अनुसार जब से चिखड़ स्कूल में एक दलित महिला को बतौर मिड-डे मील कर्मी नियुक्त किया गया है, तब से स्कूल में यह विवाद पैदा हुआ है.
चिखड़ स्कूल के कुल 40 बच्चों में से 20 बच्चे ही उक्त महिला के हाथ का बना भोजन खाते हैं, बाकी के 20 बच्चे स्कूल में दोपहर का भोजन ग्रहण नहीं करते हैं. हालांकि जब दूसरे कर्मी भोजन तैयार करते है तो सभी बच्चे स्कूल में ही भोजन ग्रहण करते हैं. स्कूल में दोपहर के भोजन के लिए भी बच्चों को अलग-अलग बैठाया जाता है. जिन शिक्षकों ने यह मामला उठाया था, उन्हें बाद में यहां से किसी अन्य स्कूल में ट्रांसफर कर दिया गया.
वहीं, स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष राम सिंह ने इस मामले पर अनभिज्ञता जताई है. उन्होंने कहा कि इसके बारे में उन्हें कोई पता नहीं है. हालांकि स्कूल के कई कार्यों एसएमसी के प्रधान व सदस्यों की भागीदारी रहती है. हाई कोर्ट ने इस जातिगत भेदभाव पर कड़ी नाराजगी जताते हुए विस्तृत जवाब मांगा है. मामले की सुनवाई 11 मई को होगी.
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