शिमला: निजी स्कूलों की लगातार बढ़ रही मनमानी से अभिभावक परेशान हैं. इसे लेकर आंदोलन भी लंबे समय से छात्र अभिभावक मंच कर रहा है और अब अपनी इसी मांग को लेकर छात्र अभिभावक मंच 17 सितंबर को विधानसभा के बाहर भी प्रदर्शन करेगा.
छात्र अभिभावक मंच की मांग है कि इसी विधानसभा सत्र में निजी स्कूलों के संचालकों के लिए कानून लाया जाए. अपनी इस मांग को लेकर अब छात्र अभिभावक मंच विधानसभा को घेरने जा रहा है. मंच ने सरकार से मांग की है कि निजी स्कूलों में फीस, पाठ्यक्रम व विषय वस्तु को संचालित करने के लिए इसी विधानसभा सत्र में कानून पारित किया जाए और निजी स्कूलों की लगातार बढ़ रही मनमानी पर रोक लगाई जाए.
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा का कहना है कि निजी स्कूल लगातार अपनी मनमानी कर रहे हैं और भारी-भरकम फीस वसूल रहे हैं, लेकिन उन पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. शिक्षा विभाग प्रदेश सरकार को निजी स्कूलों की मनमानी ओर लूट पर रोक लगाने के लिए 1 वर्ष पूर्व कानून का प्रस्ताव सौंप दिया गया था, लेकिन सरकार जानबूझकर इस प्रस्ताव को विधानसभा में प्रस्तुत नहीं कर रही है.
उन्होंने कहा कि अगर वाकई में प्रदेश सरकार निजी स्कूलों के 6 लाख छात्रों और 9लाख अभिभावकों के लिए गंभीर है तो इसी विधानसभा सत्र में इस प्रस्ताव को पेश किया जाए और निजी स्कूलों के संचालकों के लिए कानून पारित किया जाए. उनका कहना है कि 1997 के कानून और वर्ष 2003 के नियमों में निजी स्कूलों को संचालित करने का कोई प्रावधान नहीं है.
इसके लिए यह आवश्यक हो जाता है कि इन निजी स्कूलों के लिए कानून बनाया जाए. निजी स्कूलों के संचालन के लिए उच्च शिक्षा विभाग की तर्ज पर रेगुलेटरी कमीशन बनाया जाए. इसके साथ ही राज्य सलाहकार परिषद का गठन करने की मांग भी छात्र अभिभावक मंच ने की है.
छात्र अभिभावक मंच का आरोप है कि कोविड-19 के संकट के दौर में सरकार ने जब निजी स्कूलों को मात्र ट्यूशन फीस लेने के आदेश जारी किए थे उन आदेशों के बाद भी निजी स्कूलों की मनमानी से फीस वसूली.
अब उनकी मांग है कि सभी स्कूल अपनी फीस बुकलेट जारी करें जिसमें मद बार फीस का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए. छात्र अभिभावक मंच ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर निजी स्कूलों ने ट्यूशन फीस तिमाही के बजाय हर महीने के आधार पर वसूली और सभी तरह के चार्जेस को माफ कर नहीं किया गया तो इस आंदोलन को आगे और उग्र रूप दिया जाएगा.