शिमला: प्रदेश में चल रहे राज्य मुक्त विद्यालय के स्टडी सेंटर इग्नू के पैटर्न पर काम करेंगे. यानी राज्य मुक्त विद्यालय में छात्रों की कक्षाएं लगाने के साथ ही छात्रों की समस्याओं को सुना जाएगा और उनका निदान भी किया जाएगा.
छात्रों से उनके असाइनमेंट लिखवाने के साथ ही शिक्षकों को छात्रों के प्रश्नों का जवाब भी देंगे होंगे. इसके साथ ही स्टडी सेंटर इंडक्शन मीटिंग भी करवाएंगे जिसमें छात्रों का परिचय करवाया जाएगा. ये व्यवस्था राज्य मुक्त विद्यालय की व्यवस्था में सुधार लाने के उद्देश्य से किया जा रहा है. इसी उद्देश्य को लेकर राजकीय माध्यमिक पाठशाला लालपानी में राज्य मुक्त विद्यालय के लिए कार्यशाला का आयोजन करवाया गया.
कार्यशाला में हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष सुरेश कुमार सैनी ने भी भाग लिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि पहली बार एसओएस की कार्यशाला आयोजित करवाई जा रही है. एसओएस के सरकारी स्कूलों में 230 स्टडी सेंटर जबकि 35 निजी स्कूलों में स्टडी सेंटर चल रहे हैं. अभी तक इन स्टडी सेंटर पर छात्रों की संख्या नहीं बढ़ पा रही है.
इसकी बड़ी वजह ये है कि छात्रों के साथ स्टडी सेंटर का संबंध कम है और यहां छात्रों की गतिविधियां कम करवाई जाती है. ऐसे में बोर्ड में निर्णय लिया है कि एसओएस की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए एक अलग विंग बनाया जाए जो एसओएस पर कार्य करे और इनमें चल रही गतिविधियों को बढ़ा कर छात्रों की इनरोलमेंट बढ़ाई जा सके. इसी को देखते हुए अब प्रदेश में तीन जगह एसओएस की कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है जिसमें स्टडी सेंटर के समन्वयक सहित प्रधानाचार्य को बुलाया जा रहा है.
लालपानी में आयोजित कार्यशाला में शिमला, सोलन, किन्नौर और सिरमौर के एसएसओ के समन्वयकों के साथ ही प्रधानाचार्य शामिल हुए. कार्यशाला में किस तरह की दिक्कत है एसओएस के समक्ष आ रही हैं उन्हें सुना गया. कार्यशाला में भी स्टडी सेंटर की समस्याएं, आईटी और शिक्षकों की आवश्यकता को लेकर बात की गई है जिस पर उचित कदम उठाए जाएंगे.
अभी तक निजी शिक्षण संस्थानों को एसओएस स्टडी सेंटर चलाने के लिए मान्यता नहीं दी जाती है, लेकिन आवश्यक है कि निजी शिक्षण संस्थान नियमों के तहत चले तो उन्हें भी स्टडी सेंटर की मान्यता मिल सकती है. एसओएस की शुरुआत वर्ष 2012 में की गई थी, लेकिन तब से लेकर अब तक इसमें छात्रों की संख्या ज्यादा नहीं बढ़ पाई है. अब इस कोशिश से उम्मीद है कि छात्रों की संख्या यहां ज्यादा बढ़ पाएगी.
सुरेश सोनी ने बताया कि बोर्ड की ओर से पहली बार छात्र हित को देखते हुए एक बड़ा फैसला लिया गया है, जिसके तहत मार्च 2019 की परीक्षाओं में दसवीं और बारहवीं की परीक्षा में अनुत्तीर्ण छात्रों हुए 48 हजार के करीब छात्रों को जून में एसओएस के तहत परीक्षा के एक मौका दिया गया था. इस परीक्षा में बहुत से छात्र उत्तीर्ण हुए हैं जो अब उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.
10वीं और 12वीं में छात्रों के फेल होने से कई छात्र जो इंजीनियरिंग, नीट जैसी परीक्षाएं देने के साथ ही उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे. उनकी उम्मीद टूट गई थी, लेकिन जून में परीक्षाएं परीक्षा देने से छात्रों को बड़ी राहत मिली है. आधे से अधिक छात्रों ने परीक्षा उतीर्ण कर ली है. ये पहली बार इस तरह का फैसला छात्र हित में बोर्ड ने लिया है.
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