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राज्य पुस्तकालय अब नहीं रहेगा रिज मैदान की पहचान, 'ज्ञान के भंडार' को शिफ्ट करने की तैयारी

रिज मैदान की पहचान राज्य पुस्तकालय को नई बिल्डिंग में शिफ्ट करने की तैयारी. खस्ताहालत के चलते प्रशासन ने लिया फैसला. कैनेडी चौक स्थित डॉक्टर भीमराव अंबेडकर पुस्तकालय में शिफ्ट होंगी किताबें.

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Published : Sep 20, 2019, 7:39 PM IST

शिमलाः ऐतिहासिक रिज मैदान पर ब्रिटिश कालीन समय में बनी लाइब्रेरी जिसे आज राज्य पुस्तकालय के नाम से जाना जाता है, ऐतिहासिक रिज मैदान की पहचान है. अब इस भवन से इसकी यह पहचान छिनने वाली है और इस पुस्तकालय को यहां से शिफ्ट कर कैनेडी चौक पर बनाए गए डॉक्टर भीमराव अंबेडकर पुस्तकालय के नए भवन में शिफ्ट कर दिया जाएगा.

वीडियो रिपोर्ट

शिफ्ट होने के बाद यही नया पुस्तकालय राज्य पुस्तकालय के नाम से जाना जाएगा और रिज मैदान जहां स्थित ऐतिहासिक भवन में राज्य पुस्तकालय अभी तक चल रहा था उससे उसकी है पहचान छिन जाएगी. रिज मैदान पर चर्च के समीप इस ऐतिहासिक भवन का निर्माण 1860 में ब्रिटिश कालीन समय में किया गया था. खास बात यह है कि अंग्रेजों ने भी इस भवन का निर्माण पुस्तकालय के लिए ही किया था.

इस पुस्तकालय को अंग्रेजों ने इसी लिए बनाया था ताकि शहर के बीचोंबीच लोगों को एक ऐसा स्थान मिल सके जहां वह आकर पढ़ सकें. आजादी के बाद भी इस भवन की इस पहचान को कायम रखते हुए इसमें पुस्तकालय चलाया गया, लेकिन अब इस भवन की हालत खस्ता हो चुकी है. हालांकि अभी इसे शिफ्ट करने का काम शुरू नहीं हुआ है, लेकिन जल्दी यहां से किताबों को निकाल कर उन्हें नए पुस्तकालय में शिफ्ट किया जाएगा. भवन के अंदर भी जगह-जगह से पानी का रिसाव होता है तो वहीं क़ई जगह दरारें भी इस भवन में आ चुकी है. ऐसे में अब जब इस भवन को खाली किया जा रहा है तो इसकी हालत में सुधार के लिए कार्य किया जाना जरूरी है.

1860 में जब इस लाइब्रेरी को अंग्रेजों ने बनाया तो उस समय इसे चलाने का जिम्मा म्युनिसिपल कमेटी को दिया गया था. जैसे ही भातर आजाद हुआ तो भी इस पुस्तकालय को इसी तर्ज पर चलाया जाता रहा और कुछ वर्षों बाद नगर निगम शिमला को इसे पुस्तकालय के रूप में चलाने की कमान सौंपी गई. इसके बाद 1986 में यह पुस्तकालय शिक्षा विभाग के अधीन दे दिया गया. तब से लेकर अभी तक यह पुस्तकालय शिक्षा विभाग के पास ही है,

जहां भवन के अंदर की हालत तो खस्ता है ही, लेकिन अब बाहर से भी यह भवन अपनी खूबसूरती खो चुका है. कहीं खिड़कियां टूटी है तो कहीं दरारें पड़ी हैं, लेकिन इस भवन के जीर्णोद्धार को लेकर अब तक कोई पहल नहीं कि गई . अब जब इस पुस्तकालय के भवन से पुस्तकालय ही शिफ्ट हो रहा है तो इसका इस्तेमाल किस तरह से किया जाएगा ओर इसकी दशा को सुधारने के लिए किस तरह के प्रयास किए जाएंगे इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है.

बता दें कि इस राज्य पुस्तकालय में 18 हजार 700 से भी ऊपर रिजिस्टर्ड मेंबर हैं. जिसमें युवा, वरिष्ठ लोगों के साथ ही 3 हजार 8 सौ दो मेम्बर्स तो बच्चें है. पुस्तकालय में कुल 80 के करीब लोगों के बैठने की जगह है, लेकिन मेम्बर्स की संख्या अधिक होने के चलते 200 के करीब छात्र इस पुस्तकालय में रोज़ाना पढ़ने के लिए आते है.

शिमलाः ऐतिहासिक रिज मैदान पर ब्रिटिश कालीन समय में बनी लाइब्रेरी जिसे आज राज्य पुस्तकालय के नाम से जाना जाता है, ऐतिहासिक रिज मैदान की पहचान है. अब इस भवन से इसकी यह पहचान छिनने वाली है और इस पुस्तकालय को यहां से शिफ्ट कर कैनेडी चौक पर बनाए गए डॉक्टर भीमराव अंबेडकर पुस्तकालय के नए भवन में शिफ्ट कर दिया जाएगा.

वीडियो रिपोर्ट

शिफ्ट होने के बाद यही नया पुस्तकालय राज्य पुस्तकालय के नाम से जाना जाएगा और रिज मैदान जहां स्थित ऐतिहासिक भवन में राज्य पुस्तकालय अभी तक चल रहा था उससे उसकी है पहचान छिन जाएगी. रिज मैदान पर चर्च के समीप इस ऐतिहासिक भवन का निर्माण 1860 में ब्रिटिश कालीन समय में किया गया था. खास बात यह है कि अंग्रेजों ने भी इस भवन का निर्माण पुस्तकालय के लिए ही किया था.

इस पुस्तकालय को अंग्रेजों ने इसी लिए बनाया था ताकि शहर के बीचोंबीच लोगों को एक ऐसा स्थान मिल सके जहां वह आकर पढ़ सकें. आजादी के बाद भी इस भवन की इस पहचान को कायम रखते हुए इसमें पुस्तकालय चलाया गया, लेकिन अब इस भवन की हालत खस्ता हो चुकी है. हालांकि अभी इसे शिफ्ट करने का काम शुरू नहीं हुआ है, लेकिन जल्दी यहां से किताबों को निकाल कर उन्हें नए पुस्तकालय में शिफ्ट किया जाएगा. भवन के अंदर भी जगह-जगह से पानी का रिसाव होता है तो वहीं क़ई जगह दरारें भी इस भवन में आ चुकी है. ऐसे में अब जब इस भवन को खाली किया जा रहा है तो इसकी हालत में सुधार के लिए कार्य किया जाना जरूरी है.

1860 में जब इस लाइब्रेरी को अंग्रेजों ने बनाया तो उस समय इसे चलाने का जिम्मा म्युनिसिपल कमेटी को दिया गया था. जैसे ही भातर आजाद हुआ तो भी इस पुस्तकालय को इसी तर्ज पर चलाया जाता रहा और कुछ वर्षों बाद नगर निगम शिमला को इसे पुस्तकालय के रूप में चलाने की कमान सौंपी गई. इसके बाद 1986 में यह पुस्तकालय शिक्षा विभाग के अधीन दे दिया गया. तब से लेकर अभी तक यह पुस्तकालय शिक्षा विभाग के पास ही है,

जहां भवन के अंदर की हालत तो खस्ता है ही, लेकिन अब बाहर से भी यह भवन अपनी खूबसूरती खो चुका है. कहीं खिड़कियां टूटी है तो कहीं दरारें पड़ी हैं, लेकिन इस भवन के जीर्णोद्धार को लेकर अब तक कोई पहल नहीं कि गई . अब जब इस पुस्तकालय के भवन से पुस्तकालय ही शिफ्ट हो रहा है तो इसका इस्तेमाल किस तरह से किया जाएगा ओर इसकी दशा को सुधारने के लिए किस तरह के प्रयास किए जाएंगे इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है.

बता दें कि इस राज्य पुस्तकालय में 18 हजार 700 से भी ऊपर रिजिस्टर्ड मेंबर हैं. जिसमें युवा, वरिष्ठ लोगों के साथ ही 3 हजार 8 सौ दो मेम्बर्स तो बच्चें है. पुस्तकालय में कुल 80 के करीब लोगों के बैठने की जगह है, लेकिन मेम्बर्स की संख्या अधिक होने के चलते 200 के करीब छात्र इस पुस्तकालय में रोज़ाना पढ़ने के लिए आते है.

Intro:ऐतिहासिक रिज मैदान पर क्राइस्ट चर्च जहां रिज़ की शान है वहीं रिज़ पर ब्रिटिश कालीन समय में लाइब्रेरी जिसे आज राज्य पुस्तकालय के नाम से जाना जाता है उसका भवन भी रिज मैदान की पहचान है। अब इस भवन से इसकी यह पहचान छीनने वाली है और इस पुस्तकालय को यहां से शिफ्ट कर कैनेडी चौक पर बनाए गए डॉक्टर भीमराव अंबेडकर पुस्तकालय के नए भवन में शिफ्ट कर दिया जाएगा। इसके बाद यही नया पुस्तकालय राज्य पुस्तकालय के नाम से जाना जाएगा और रिज मैदान जहां स्थित ऐतिहासिक भवन में राज्य पुस्तकालय अभी तक चल रहा था उससे उसकी है पहचान छीन जाएगी।


Body:रिज़ मैदान पर चर्च के समीप इस ऐतिहासिक भवन का निर्माण 1860 में ब्रिटिश कालीन समय में किया गया था। खास बात यह है कि अंग्रेजों ने भी इस भवन का निर्माण पुस्तकालय के लिए ही किया था। इस पुस्तकालय को जिस उद्देश्य से अग्रेंजों में बनाया था वह यह था कि शहर के बीचोबीच लोगों को एक ऐसा स्थान मिल सके जहां वह आकर पढ़ सकें। आजादी के बाद भी इस भवन की इस पहचान को कायम रखते हुए इसमें पुस्तकालय चलाया गया लेकिन अब इतने वर्षों के बाद जब इस भवन की हालत खस्ताहाल हो चुकी है तो यहां से इसे शिफ्ट किया जा रहा है। हालांकि अभी इसे शिफ्ट करने का काम शुरू नहीं हुआ है लेकिन जल्दी यहां से किताबों को निकाल कर उन्हें नए पुस्तकालय में शिफ्ट किया जाएगा और उसके बाद यह भवन जो कितने वर्षों तक ज्ञान के मंदिर के रूप ने शिक्षा की लौ लोगों में जला रहा था वो खुद अंधकार में समा जाएगा। भवन के अंदर भी जगह-जगह से पानी का रिसाव होता है तो वहीं क़ई जगह दरारें भी इस भवन में आ चुकी है। ऐसे में अब जब इस भवन को खाली किया जा रहा है तो इसकी हालत में सुधार के लिए कार्य किया जाना जरूरी है।


Conclusion:1860 में जब इस लाइब्रेरी को अंग्रेजों ने बनाया तो उस समय इसे चलाने का जिम्मा म्युनिसिपल कमेटी को दिया गया था। जैसे ही भातर आजाद हुआ तो भी इस पुस्तकालय को इसी तर्ज पर चलाया जाता रहा और कुछ वर्षों बाद नगर निगम शिमला को इसे पुस्तकालय के रूप में चलाने की कमान सौंपी गई। इसके बाद 1986 में यह पुस्तकालय शिक्षा विभाग के अधीन दे दिया गया। तब से लेकर अभी तक यह पुस्तकालय शिक्षा विभाग के पास ही है लेकिन अब इस ऐतिहासिक भवन की ऐतिहासिकता को ग्रहण लग चुका है। भवन के अंदर की हालत तो ख़स्ताहाल है ही लेकिन अब बाहर से भी यह भवन अपनी खूबसूरती को खो चुका है। कही खिड़कियां टूटी है तो कहीं दरारें पड़ी है लेकिन इस भवन के जीर्णोद्धार को लेकर कोई पहल नहीं कि गई है। अब जब इस पुस्तकालय के भवन से पुस्तकालय ही शिफ्ट हो रहा है तो इसका इस्तेमाल किस तरह से किया जाएगा ओर इसकी दशा को सुधारने के लिए किस तरह के प्रयास किए जाएंगे इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है। बता दे की इस राज्य पुस्तकालय में 18 हजार 700 से भी ऊपर रिजिस्टर्ड मेंबर है, जिसमें युवा, वरिष्ठ लोगों के साथ ही 3 हजार 8 सौ दो मेम्बर्स तो बच्चें है। पुस्तकालय में कुल 80 के करीब लोगों के बैठने की जगह है लेकिन मेम्बर्स की संख्या अधिक होने के चलते 200 के करीब छात्र इस पुस्तकालय में रोज़ाना पढ़ने के लिए आते है।
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