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प्रदेश कॉलेजों के लिए 2030 तक स्वतंत्र दर्जा लेना अनिवार्य, नीतियों में छूट के लिए भेजें जाएंगे सुझाव

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कॉलेजों को ऑटोनॉमस का दर्जा लेने के लिए मानकों में छूट देने के लिए प्रदेश की ओर से केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सुझाव दिए जाएंगे. ऑटोनॉमस कॉलेज के पास छात्रों का पाठ्यक्रम तय करने के साथ ही छात्रों की परीक्षा करवाने का अधिकार भी अपने पास ही होगा और इसके साथ ही उन्हें एमएचआरडी की ओर से भी करोड़ों की ग्रांट प्राप्त होगी.

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Published : Jul 24, 2019, 8:57 PM IST

शिमलाः राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कॉलेजिस को ऑटोनॉमस का दर्जा लेने के लिए जो मानक तय किए गए है उन मानकों को प्रदेश के कॉलेज पूरा ही नहीं कर रहे हैं.ऐसे में अब पहाड़ी राज्यों की समस्याओं को देखते हुए इन तय मानकों में छूट देने के लिए सुझाव प्रदेश की ओर से केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को दिए जाएंगे.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कॉलेजिस को 2030 तक ऑटोनॉमस का दर्जा लेना अनिवार्य कर दिया गया है. इसके लिए उन कॉलेजिस को पात्र माना जाएगा जिन कॉलेजिस में छात्रों की संख्या 5 हजार होगी.

प्रदेश में 129 के करीब कॉलेजिस में मात्र एक या दो कॉलेज ही ऐसे हैं जो इस दर्जे को प्राप्त करने के लिए तय नियमों को पूरा कर पा रहे हैं. प्रदेश में कुछ कॉलेज तो ऐसे भी हैं जहां छात्रों की संख्या मात्र 150 से 200 तक ही सीमित है. ऐसे में किस तरह से यह कॉलेज ऑटोनॉमस का दर्जा ले पाएंगे यह समस्या प्रदेश के सामने आ रही है.

तय नियमों की बात की जाए तो मात्र एक दो कॉलेज ही प्रदेश में ऑटोनॉमस बनने के लिए पात्र हो पाएंगे. इस परेशानी को देखते हुए अब एमएचआरडी से नियमों में पहाड़ी राज्यों को छूट देने की बात की जाएगी.

बता दें कि ऑटोनॉमस कॉलेज के पास छात्रों का पाठ्यक्रम तय करने के साथ ही छात्रों की परीक्षा करवाने का अधिकार भी अपने पास ही होगा इसके लिए उन्हें विश्वविद्यालय पर निभर्र नहीं रहना होगा. इसके साथ ही उन्हें एमएचआरडी की ओर से भी करोड़ों की ग्रांट प्राप्त होगी.

शिमलाः राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कॉलेजिस को ऑटोनॉमस का दर्जा लेने के लिए जो मानक तय किए गए है उन मानकों को प्रदेश के कॉलेज पूरा ही नहीं कर रहे हैं.ऐसे में अब पहाड़ी राज्यों की समस्याओं को देखते हुए इन तय मानकों में छूट देने के लिए सुझाव प्रदेश की ओर से केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को दिए जाएंगे.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कॉलेजिस को 2030 तक ऑटोनॉमस का दर्जा लेना अनिवार्य कर दिया गया है. इसके लिए उन कॉलेजिस को पात्र माना जाएगा जिन कॉलेजिस में छात्रों की संख्या 5 हजार होगी.

प्रदेश में 129 के करीब कॉलेजिस में मात्र एक या दो कॉलेज ही ऐसे हैं जो इस दर्जे को प्राप्त करने के लिए तय नियमों को पूरा कर पा रहे हैं. प्रदेश में कुछ कॉलेज तो ऐसे भी हैं जहां छात्रों की संख्या मात्र 150 से 200 तक ही सीमित है. ऐसे में किस तरह से यह कॉलेज ऑटोनॉमस का दर्जा ले पाएंगे यह समस्या प्रदेश के सामने आ रही है.

तय नियमों की बात की जाए तो मात्र एक दो कॉलेज ही प्रदेश में ऑटोनॉमस बनने के लिए पात्र हो पाएंगे. इस परेशानी को देखते हुए अब एमएचआरडी से नियमों में पहाड़ी राज्यों को छूट देने की बात की जाएगी.

बता दें कि ऑटोनॉमस कॉलेज के पास छात्रों का पाठ्यक्रम तय करने के साथ ही छात्रों की परीक्षा करवाने का अधिकार भी अपने पास ही होगा इसके लिए उन्हें विश्वविद्यालय पर निभर्र नहीं रहना होगा. इसके साथ ही उन्हें एमएचआरडी की ओर से भी करोड़ों की ग्रांट प्राप्त होगी.

Intro:राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कॉलेजों को ऑटोनॉमस का दर्जा लेने के लिए जो मानक तय किए गए है उन मानकों को प्रदेश के कॉलेज पूरा ही नहीं कर पाएंगे। ऐसे में अब पहाड़ी राज्यों की समस्याओं को देखते हुए इन तय मानकों में छूट देने के लिए सुझाव प्रदेश की ओर से केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को दिए जाएंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कॉलेजों को 2030 तक ऑटोनॉमस का दर्जा लेना अनिवार्य कर दिया गया हैं। इसके लिए उन कॉलेजों को पात्र माना जाएगा जिन कॉलेजों में छात्रों की संख्या 5 हज़ार होगी।


Body:प्रदेश की बात की जाए तो यहां एक्का दुक्का कॉलेजों को छोड़कर किसी भी कॉलेज में छात्रों की संख्या का आंकड़ा 5 हजार नहीं है। प्रदेश के कुछ कॉलेज तो ऐसे भी है जहां छात्रों की संख्या मात्र 150 से 200 तक ही सीमित है। ऐसे में किस तरह से यह कॉलेज ऑटोनॉमस का दर्जा ले पाएंगे यह समस्या प्रदेश के सामने आ रही है। ऐसे में इन कॉलेजों को अगर एफिलेटेड कॉलेज बनकर ही रहना होगा। तय नियमों की बात की जाए तो मात्र एक दो कॉलेज ही प्रदेश में ऑटोनॉमस बनने के लिए पात्र हो पाएंगे। इस परेशानी को देखते हुए अब एमएचआरडी से नियमों में पहाड़ी राज्यों को छूट देने की बात की जाएगी।


Conclusion:प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो.सुनील गुप्ता ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कॉलेजों को ऑटोनॉमस का दर्जा लेना अनिवार्य किया गया हैं। इस प्रक्रिया को कॉलेजों को 2030 तक पूरा करना होगा,लेकिन प्रदेश में 129 के करीब कॉलेजों में मात्र एक या दो कॉलेज ही ऐसे है जो इस दर्जे को प्राप्त करने के लिए तय नियमों को पूरा कर पा रहे है। नियमों में उसी कॉलेज को ऑटोनॉमस बनाया जाएगा जिसके छात्रों की संख्या 5 हजार है अब अगर इस नियम को पूरा करने के लिए प्रदेश के कॉलेजों को एक साथ जोड़ा भी जाता है तो इससे भी परेशानियां पहाड़ी प्रदेश होने के चलते सामने आएंगी। प्रदेश में छात्रों की सुविधा को देखते हुए दूर दराज के क्षेत्रों में भी कॉलेज खोले गए है जिनमें छात्रों की संख्या भले ही कम हो लेकिन फिर भी वह कॉलेज चल रहे है ऐसे में अगर इन कॉलेजों को क्लब किया जाता है तो छात्रों को इससे परेशानी उठानी पड़ेगी और अपने घरों से क़ई मिलों दूर कॉलेज जाना पड़ेगा। इसी को देखते हुए तय नियमों में पहाड़ी राज्यों को छूट देने की बात की जाएगी। बता दे की ऑटोनॉमस कॉलेज के पास छात्रों का पाठ्यक्रम तय करने के साथ ही छात्रों की परीक्षा करवाने का अधिकार भी अपने पास ही होगा इसके लिए उन्हें विश्वविद्यालय पर निभर्र नहीं रहना होगा। इसके साथ ही उन्हें एमएचआरडी की ओर से भी करोड़ों की ग्रांट प्राप्त होगी।

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