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राज्य सरकार 4 हफ्तों में HC को सौंपेगी दागी अधिकारियों की लिस्ट, कई अफसरों पर गिरेगी गाज

राज्य सरकार को अपने दागी अधिकारियों की सूची चार हफ्तों में प्रदेश हाईकोर्ट को सौंपनी होगी. मामले पर सुनवाई 27 जुलाई को निर्धारित की गई है.

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
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Published : Jun 19, 2019, 6:51 PM IST

शिमला: राज्य सरकार ने अपने दागी अधिकारियों की सूची प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष सौंपने के लिए चार हफ्तों का अतिरिक्त समय मांगा है. मुख्य न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी और न्यायमूर्ति ज्योत्स्ना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार के आवेदन को स्वीकार किया है.

खंडपीठ ने राज्य सरकार के आवेदन को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को अदालत के पिछले आदेशों की अनुपालना करने के लिए चार सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया है. हाईकोर्ट ने पिछले आदेशों के तहत राज्य सरकार से उन सभी अधिकारियों की सूची तलब की थी, जिनके खिलाफ उनकी दागी छवि के कारण 1 जनवरी 2010 के बाद या तो आपराधिक मामले दायर किए गए हैं या उनके खिलाफ विभागीय जांच लम्बित पड़ी है.

HC gave orders to state govt
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

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हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या उन्होंने इस तरह के किसी अधिकारी को समय से पहले जनहित को ध्यान में रखते हुए सेवानिवृत्त किया है या नहीं. मुख्य सचिव द्वारा दायर शपथ पत्र का अवलोकन करने के पश्चात ये पाया गया था कि शपथ पत्र में सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के नाम नहीं दिए गए हैं, जोकि उनकी दागी छवि के कारण विभागीय विजिलेंस या पुलिस जांच का सामना कर रहे हैं.

फिलहाल, न्यायालय के समक्ष दाखिल की गई सूची के मुताबिक 28 अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई चल रही है. जबकि 16 के खिलाफ विभिन्न न्यायालय के समक्ष या तो आपराधिक मामले लंबित पड़े हैं या उन्हें सजा होने के कारण बड़ी अदालतों में अपीलें लंबित पड़ी हैं.

उल्लेखनीय है कि न्यायालय ने पहले ही इस तरह के अधिकारियों को संवेदनशील पदों से हटाने बाबत आदेश जारी कर रखे हैं. मामले पर सुनवाई 27 जुलाई को निर्धारित की गई है.

शिमला: राज्य सरकार ने अपने दागी अधिकारियों की सूची प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष सौंपने के लिए चार हफ्तों का अतिरिक्त समय मांगा है. मुख्य न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी और न्यायमूर्ति ज्योत्स्ना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार के आवेदन को स्वीकार किया है.

खंडपीठ ने राज्य सरकार के आवेदन को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को अदालत के पिछले आदेशों की अनुपालना करने के लिए चार सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया है. हाईकोर्ट ने पिछले आदेशों के तहत राज्य सरकार से उन सभी अधिकारियों की सूची तलब की थी, जिनके खिलाफ उनकी दागी छवि के कारण 1 जनवरी 2010 के बाद या तो आपराधिक मामले दायर किए गए हैं या उनके खिलाफ विभागीय जांच लम्बित पड़ी है.

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हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या उन्होंने इस तरह के किसी अधिकारी को समय से पहले जनहित को ध्यान में रखते हुए सेवानिवृत्त किया है या नहीं. मुख्य सचिव द्वारा दायर शपथ पत्र का अवलोकन करने के पश्चात ये पाया गया था कि शपथ पत्र में सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के नाम नहीं दिए गए हैं, जोकि उनकी दागी छवि के कारण विभागीय विजिलेंस या पुलिस जांच का सामना कर रहे हैं.

फिलहाल, न्यायालय के समक्ष दाखिल की गई सूची के मुताबिक 28 अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई चल रही है. जबकि 16 के खिलाफ विभिन्न न्यायालय के समक्ष या तो आपराधिक मामले लंबित पड़े हैं या उन्हें सजा होने के कारण बड़ी अदालतों में अपीलें लंबित पड़ी हैं.

उल्लेखनीय है कि न्यायालय ने पहले ही इस तरह के अधिकारियों को संवेदनशील पदों से हटाने बाबत आदेश जारी कर रखे हैं. मामले पर सुनवाई 27 जुलाई को निर्धारित की गई है.

राज्य सरकार ने अपने दागी अधिकारियों की सूची प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष सौंपने के लिए चार सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा है। मुख्य न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी और न्यायमूर्ति ज्योत्स्ना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार के आवेदन को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को अदालत के पिछले आदेशों की अनुपालना करने के लिए चार सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया है। हाई कोर्ट ने पिछले आदेशो के तहत राज्य सरकार से उन सभी अधिकारियों की सूची तलब की थी  जिनके खिलाफ उनकी दागी छवि के कारण 1 जनवरी 2010 के बाद या तो आपराधिक मामले दायर किये गए है या उनके खिलाफ विभागीय जांच लम्बित पड़ी है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या उन्होंने इस तरह के किसी अधिकारी को समय से पहले जनहित को ध्यान में रखते हुए सेवानिवृत्त किया है या नहीं । मुख्य सचिव द्वारा दायर शपथ पत्र का अवलोकन करने के पश्चात यह पाया था की शपथ पत्र में सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के नाम नहीं दिए गए हैं जो की उनकी दागी छवि के कारण विभागीय विजिलेंस या पुलिस जांच का सामना कर रहे है। फिलहाल न्यायालय के समक्ष दाखिल की गई सूची के मुताबिक 28 अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई चल रही है जबकि 16 के खिलाफ विभिन्न न्यायालय के समक्ष या तो आपराधिक मामले लंबित पड़े है या उन्हें सजा होने के कारण बड़ी अदालतों में अपीलें लम्बित पड़ी है। न्यायालय ने पहले ही इस तरह के अधिकारियों को संवेदनशील पदों से हटाने बाबत आदेश जारी कर रखे है। मामले पर सुनवाई 27 जुलाई को निर्धारित की गई है।
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