शिमला: हिमाचल सरकार ने हींग और केसर की खेती को बढ़ावा देने के लिए 'कृषि से संपन्नता' योजना शुरू की है. हींग और केसर की खेती के लिए कृषि विभाग ने विस्तृत योजना तैयार की है जिसके तहत 6 जून 2020 को हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी (IHBT) पालमपुर के साथ समझौता किया गया था.
हींग और केसर की खुशबू से महकेगा हिम का आंचल
कृषि वीरेंद्र कंवर ने बताया कि प्रदेश में हींग और केसर की खेती के लिए मंडी, चंबा, लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिलों के ऊंचाई वाले क्षेत्र अनुकूल पाए गए हैं. लाहौल-स्पीति के कोरिंग गांव में हींग का पहला पौधा रोपित किया जा चुका है.
इस योजना के अंतर्गत हींग और केसर की खेती के लिए सरकार ने 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. हींग की खेती के लिए कृषि विभाग ने 5 सालों में 302 हेक्टेयर और केसर की खेती के लिए 3 वर्षों में 3.5 हेक्टेयर भूमि में खेती करने का लक्ष्य रखा है.
इस योजना के अंतर्गत किसानों, अधिकारियों को इस खेती की विधि की व्यापक जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण देने का प्रावधान भी है. हींग और केसर की खेती के लिए सिंचाई व्यवस्था का सुदृढ़ होना भी अति आवश्यक है. जिसके लिए कृषि विभाग को इन क्षेत्रों में सिंचाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने के के निर्देश दिए गए हैं.
भारत में हींग- खपत बहुत लेकिन पैदावार नहीं
भारत में हींग प्रमुख मसालों में से एक है. दुनियाभर में तैयार होने वाली हींग की करीब 50 फीसदी खपत भारत में होती है लेकिन भारत में हींग की खेती नहीं होती. अब हिमाचल के लाहौल स्पीति जिले में हींग का पहला पौधा लग चुका है.
हींग की खेती सबसे ज्यादा ईरान, अफगानिस्तान, इराक, तुर्कमेनिस्तान जैसे गिने-चुने देशों में होती है. भारत भी इन्हीं देशों से हर साल 1200 से 1500 टन हींग का आयात करता है. अफगानिस्तान से लाए गए कच्ची हींग के बीज से पालमपुर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी की लैब में वैज्ञानिक तरीके से पौधा तैयार किया गया है.
हिमाचल में भी उगेगा केसर
भारत मसालों का देश है. यहां तरह-तरह के मसाले मिलते हैं जो खाने का जायका बढ़ाते हैं और दुनियाभर के देश भारत के मसालों के मुरीद हैं. ज्यादातर मसाले अपने स्वाद की वजह से जाने जाते हैं लेकिन एक मसाला ऐसा है जो अपनी कीमत की वजह से पहचाना जाता है. ये है दुनिया का सबसे महंगा मसाला केसर.
भारत में केसर की पैदावार सिर्फ जम्मू-कश्मीर में होती है. केसर उत्पादन में भारत दुनिया में ईरान के बाद दूसरे नंबर पर है लेकिन ईरान केसर के उत्पादन के मामले में बहुत आगे है. अब जम्मू कश्मीर के बाद हिमाचल में भी केसर की खेती होगी. हिमाचल सरकार ने आगामी 3 सालों में 3.5 हेक्टेयर भूमि पर केसर की खेती करने का लक्ष्य रखा है.
पढ़ें: आत्मनिर्भर भारत के तीसरे पैकेज से अर्थव्यवस्था में आएगा सुधार : वीरेंद्र कंवर