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हिमाचल ने पांच महीनों में खोए चार बड़े नेता, प्रदेश में होंगे अब चार उपचुनाव

हिमाचल प्रदेश ने पिछले पांच महीनों में चार बड़े नेताओं को खो दिया है. फतेहपुर से सुजान सिंह पठानिया, मंडी से लोकसभा सांसद राम स्वरूप शर्मा, जुब्बल कोटखाई से नरेंद्र बरागटा और अब सोलन अर्की से वीरभद्र सिंह की मौत के कारण प्रदेश में चार स्थानों पर उपचुनाव होंगे. इस उपचुनाव को 2022 के विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल माना जा रहा है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP National President JP Nadda) की साख दांव पर है.

four by-elections in Himachal Pradesh
हिमाचल में पांच महीनों में चार बड़े नेताओं की मौत. ( डिजाइन फोटो)
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Published : Jul 10, 2021, 7:00 AM IST

शिमला: पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह (Former Chief Minister Virbhadra Singh) के निधन के बाद अब हिमाचल में तीन नहीं चार हलकों में उप चुनाव होंगे. जिनमें तीन विधानसभा क्षेत्र और एक लोकसभा क्षेत्र शामिल है. हिमाचल ने पिछले पांच महीनों में चार बड़े नेताओं को खो दिया है. फतेहपुर से सुजान सिंह पठानिया, मंडी से लोकसभा सांसद राम स्वरूप शर्मा, जुब्बल कोटखाई से नरेंद्र बरागटा और अब अर्की से वीरभद्र सिंह की मौत के कारण चार स्थानों पर उपचुनाव होंगे. प्रदेश के चार में से तीन संसदीय क्षेत्रों की विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट पर होने वाले ये उपचुनाव 2022 के विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल ही समझे जा सकते हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP National President JP Nadda) की साख दांव पर है.

प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह का निधन गुरुवार, 8 जुलाई को हो गया. उनके निधन से प्रदेश की जनता शोक में है. शुक्रवार को रिज मैदान पर उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया. इस दौरान क्या नेता क्या जनता हर कोई अपने नेता राजा वीरभद्र सिंह के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़ा. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi), राजीव शुक्ला (Rajiv Shukla) सहित कई बड़ी हस्तियों ने वीरभद्र सिंह के अंतिम दर्शन किए.

वीरभद्र सिंह की मौत के बाद अर्की विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं. अर्की वीरभद्र सिंह की पुरानी सीट नहीं है ऐसे में उनके परिवार के किसी सदस्य के अर्की से चुनाव लड़ने की उम्मीद कम ही है. जिसके चलते कांग्रेस को अब नया प्रत्याशी ढूंढना होगा. भाजपा अर्की सीट से अपने पुराने प्रत्याशी रतन सिंह पाल को ही चुनावी मैदान में उतार सकती है.

इस साल फरवरी में कांग्रेस के ही कद्दावर नेताओं में शुमार और वीरभद्र सिंह के करीबी रहे फतेहपुर से विधायक सुजान सिंह पठानिया (Sujan Singh Pathania) का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था. जिसके बाद फतेहपुर सीट पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं. कांगड़ा प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दल किसी भी कीमत पर इस सीट को अपने पाले में डालना चाहेंगे. ताकि आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए जिला की जनता को एक संदेश दिया जा सके.

17 मार्च को दिल्ली स्थित उनके आवास पर मंडी लोकसभा क्षेत्र से सांसद रामस्वरूप शर्मा (Ramswaroop Sharma) की मौत हो गई. उस दौरान हिमाचल विधानसभा का सत्र जारी था और रामस्वरूप के निधन की खबर सुनकर हर कोई हैरान था. मंडी लोकसभा सीट भाजपा के लिए बड़ी महत्वपूर्ण है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) का गृह जिला होने के कारण यह जीत हासिल करना भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है. ऐसे में अगर वीरभद्र सिंह के परिवार से कोई चुनावी मैदान में उतरता है तो सहानुभूति लहर के चलते भाजपा को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

इसके बाद 5 जून को प्रदेश सरकार के मुख्य सचेतक एवं जुब्बल कोटखाई सीट से विधायक नरेंद्र बरागटा (Narendra Bragta) का लंबी बीमारी के चलते पीजीआई चंडीगढ़ में उपचार के दौरान देहांत हो गया. इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार पूर्व विधायक रोहित ठाकुर ही होंगे. लेकिन भाजपा की स्थिति फिलहाल स्पष्ट नहीं है. एक-एक कर इन नेताओं की खाली होती गई विधानसभा और लोकसभा सीट पर चुनाव आयोग ने उपचुनाव कराने की तैयारी शुरू की, लेकिन कोरोना ने इस कवायद पर ब्रेक लगा दिया.

शिमला: पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह (Former Chief Minister Virbhadra Singh) के निधन के बाद अब हिमाचल में तीन नहीं चार हलकों में उप चुनाव होंगे. जिनमें तीन विधानसभा क्षेत्र और एक लोकसभा क्षेत्र शामिल है. हिमाचल ने पिछले पांच महीनों में चार बड़े नेताओं को खो दिया है. फतेहपुर से सुजान सिंह पठानिया, मंडी से लोकसभा सांसद राम स्वरूप शर्मा, जुब्बल कोटखाई से नरेंद्र बरागटा और अब अर्की से वीरभद्र सिंह की मौत के कारण चार स्थानों पर उपचुनाव होंगे. प्रदेश के चार में से तीन संसदीय क्षेत्रों की विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट पर होने वाले ये उपचुनाव 2022 के विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल ही समझे जा सकते हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP National President JP Nadda) की साख दांव पर है.

प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह का निधन गुरुवार, 8 जुलाई को हो गया. उनके निधन से प्रदेश की जनता शोक में है. शुक्रवार को रिज मैदान पर उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया. इस दौरान क्या नेता क्या जनता हर कोई अपने नेता राजा वीरभद्र सिंह के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़ा. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi), राजीव शुक्ला (Rajiv Shukla) सहित कई बड़ी हस्तियों ने वीरभद्र सिंह के अंतिम दर्शन किए.

वीरभद्र सिंह की मौत के बाद अर्की विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं. अर्की वीरभद्र सिंह की पुरानी सीट नहीं है ऐसे में उनके परिवार के किसी सदस्य के अर्की से चुनाव लड़ने की उम्मीद कम ही है. जिसके चलते कांग्रेस को अब नया प्रत्याशी ढूंढना होगा. भाजपा अर्की सीट से अपने पुराने प्रत्याशी रतन सिंह पाल को ही चुनावी मैदान में उतार सकती है.

इस साल फरवरी में कांग्रेस के ही कद्दावर नेताओं में शुमार और वीरभद्र सिंह के करीबी रहे फतेहपुर से विधायक सुजान सिंह पठानिया (Sujan Singh Pathania) का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था. जिसके बाद फतेहपुर सीट पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं. कांगड़ा प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दल किसी भी कीमत पर इस सीट को अपने पाले में डालना चाहेंगे. ताकि आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए जिला की जनता को एक संदेश दिया जा सके.

17 मार्च को दिल्ली स्थित उनके आवास पर मंडी लोकसभा क्षेत्र से सांसद रामस्वरूप शर्मा (Ramswaroop Sharma) की मौत हो गई. उस दौरान हिमाचल विधानसभा का सत्र जारी था और रामस्वरूप के निधन की खबर सुनकर हर कोई हैरान था. मंडी लोकसभा सीट भाजपा के लिए बड़ी महत्वपूर्ण है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) का गृह जिला होने के कारण यह जीत हासिल करना भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है. ऐसे में अगर वीरभद्र सिंह के परिवार से कोई चुनावी मैदान में उतरता है तो सहानुभूति लहर के चलते भाजपा को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

इसके बाद 5 जून को प्रदेश सरकार के मुख्य सचेतक एवं जुब्बल कोटखाई सीट से विधायक नरेंद्र बरागटा (Narendra Bragta) का लंबी बीमारी के चलते पीजीआई चंडीगढ़ में उपचार के दौरान देहांत हो गया. इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार पूर्व विधायक रोहित ठाकुर ही होंगे. लेकिन भाजपा की स्थिति फिलहाल स्पष्ट नहीं है. एक-एक कर इन नेताओं की खाली होती गई विधानसभा और लोकसभा सीट पर चुनाव आयोग ने उपचुनाव कराने की तैयारी शुरू की, लेकिन कोरोना ने इस कवायद पर ब्रेक लगा दिया.

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