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हिमाचल के ग्रामीण इलाकों में मनरेगा बनी वरदान, लोगों को घर द्वार मिला कोरोना काल में रोजगार

कोरोना काल में कई कारोबारों पर ताले लटक गए, तो कई लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा, लेकिन इस संकट काल में ग्रामीण इलाकों के लिए मनरेगा वरदान साबित हुई. गांव में विकास कार्य तो हुए ही लोगों को घर द्वार पर रोजगार भी मिला.

manrega scheme
मनरेगा बनी वरदान
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Published : Dec 9, 2020, 11:05 PM IST

शिमला: कोरोना काल में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. देश प्रदेश में हर काम, कारोबार और शख्स पर इसका असर पड़ा, लेकिन कोरोना के इस कठिन दौर में ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा योजना कई लोगों के लिए वरदान साबित हुई.

कोरोना काल में मनरेगा बनी वरदान

वैसे हिमाचल प्रदेश में मनरेगा के आंकड़ों पर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है. सरकार की ओर से जारी आकंड़ों के मुताबिक कि मनरेगा योजना से ग्रामीण इलाकों में विकास कार्यों को बड़ी गति मिल रही है और लोगों को भी बड़ी संख्या में रोजगार मिल रहा है. मनरेगा में ग्रामीण भूमि सुधार, रेन हार्वेस्टिंग टैंक, कैटल शेड, भवन और सड़क निर्माण आदि जैसे कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है.

वीडियो.

हिमाचल में लोगों की जेब में पहुंचे 713 करोड़ रुपये

प्रदेश भर के मनरेगा से जुड़े आंकड़ो के मुताबिक केंद्र सरकार ने मनरेगा के तहत चालू वित्त वर्ष में प्रदेश में 720.60 करोड़ रुपए प्रदान किए हैं. जिसमें से 713.11 करोड़ रुपये की राशि लोगों के पास पहुंच चुकी है.

प्राकृतिक स्त्रोत प्रबंधन पर विशेष बल

ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि मनरेगा के तहत प्राप्त प्राकृतिक स्त्रोत प्रबंधन के कार्यों पर भी विशेष बल दिया जाएगा. जिसके तहत प्रदेश में चेक डैम, बावड़ी और तालाब बनाए जाएंगे. साथ ही प्रदेश में सिंचाई परियोजनाओं को कार्यान्वित करने के भी प्रयास किए जाएंगे.

288 में से118 पंचवटी पार्कों का निर्माण कार्य शुरू

इसके अलावा प्रदेश की महत्वाकांक्षी पंचवटी योजना के तहत राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पंचवटी पार्क स्थापित करने के लिए 288 स्थानों पर भूमि चिन्हित की जा चुकी है और 118 पंचवटी पार्कों का कार्य प्रगति पर है. उन्होंने कहा कि इस योजना को विस्तृत रूप प्रदान करने के बाद इसे ग्रामीण पर्यटन से भी जोड़ा जाएगा.

महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से ज्यादा

ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में मनरेगा के तहत पंचायत घर, खेल मैदान, मोक्ष धाम से लेकर एंबुलेंस रोड और भूमि सुधार के कार्यक्रम हो रहे हैं. मनरेगा के तहत महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से कम नहीं है और जो भी मनरेगा के तहत रोजगार प्राप्त कर रहा है, उसे वक्त पर दिहाड़ी का भुगतान हो रहा है. मनरेगा के तहत काम करने वाले कुल लोगों में से 63 फीसदी महिलाओं ने भाग लिया.

करसोग उपमंडल में 11.86 करोड़ रुपये खर्च

जिला मंडी के करसोग उपमंडल से भी मनरेगा योजना के बेहतर आंकड़े सामने आए हैं. मनरेगा के तहत 11.86 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं. से कार्य दिवस के आंकड़ों के मुताबिक मनरेगा श्रमिकों ने अब तक कुल 4 लाख 67 हजार 303 रोजगार दिवस अर्जित किए हैं. इसमें 2 लाख 45 हजार 484 कार्य दिवस महिलाओं के हैं. इस तरह मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी करीब करीब पुरुषों के ही बराबर है.

नाहन में पंचायत स्तर पर हर घर पहुंच रही सड़क

वहीं, जिला सिरमौर के नाहन की सती वाला पंचायत की बात करें तो, वहां मनरेगा की तहत सभी ग्रामीण इलाकों में घरों को सड़क सुविधा से जोड़ा जा रहा है. पंचायत की अधिकतर आबादी को पक्की सड़क से जोड़ दिया गया है. पंचायत के सभी 9 वार्डों में निर्माण कार्य प्रगति पर है. इसके लिए 10 लाख रुपये का बजट खर्च किया गया है. साथ ही करीब 5 लाख के भूमि सुधार कार्य भी मनरेगा के तहत हुए है.

मनरेगा बनी ग्रमीणों के लिए मददगार

सरकार के मुताबिक मनरेगा के इन आंकड़ों में रोज बेहतरी दिख रही है. जिसके मुताबिक ग्रामीण इलाकों में विकास कार्य तेजी से हो रहे हैं और गांवों में बेरोजगारी की समस्या को मनरेगा की मदद से पार पाया जा रहा है.

शिमला: कोरोना काल में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. देश प्रदेश में हर काम, कारोबार और शख्स पर इसका असर पड़ा, लेकिन कोरोना के इस कठिन दौर में ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा योजना कई लोगों के लिए वरदान साबित हुई.

कोरोना काल में मनरेगा बनी वरदान

वैसे हिमाचल प्रदेश में मनरेगा के आंकड़ों पर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है. सरकार की ओर से जारी आकंड़ों के मुताबिक कि मनरेगा योजना से ग्रामीण इलाकों में विकास कार्यों को बड़ी गति मिल रही है और लोगों को भी बड़ी संख्या में रोजगार मिल रहा है. मनरेगा में ग्रामीण भूमि सुधार, रेन हार्वेस्टिंग टैंक, कैटल शेड, भवन और सड़क निर्माण आदि जैसे कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है.

वीडियो.

हिमाचल में लोगों की जेब में पहुंचे 713 करोड़ रुपये

प्रदेश भर के मनरेगा से जुड़े आंकड़ो के मुताबिक केंद्र सरकार ने मनरेगा के तहत चालू वित्त वर्ष में प्रदेश में 720.60 करोड़ रुपए प्रदान किए हैं. जिसमें से 713.11 करोड़ रुपये की राशि लोगों के पास पहुंच चुकी है.

प्राकृतिक स्त्रोत प्रबंधन पर विशेष बल

ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि मनरेगा के तहत प्राप्त प्राकृतिक स्त्रोत प्रबंधन के कार्यों पर भी विशेष बल दिया जाएगा. जिसके तहत प्रदेश में चेक डैम, बावड़ी और तालाब बनाए जाएंगे. साथ ही प्रदेश में सिंचाई परियोजनाओं को कार्यान्वित करने के भी प्रयास किए जाएंगे.

288 में से118 पंचवटी पार्कों का निर्माण कार्य शुरू

इसके अलावा प्रदेश की महत्वाकांक्षी पंचवटी योजना के तहत राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पंचवटी पार्क स्थापित करने के लिए 288 स्थानों पर भूमि चिन्हित की जा चुकी है और 118 पंचवटी पार्कों का कार्य प्रगति पर है. उन्होंने कहा कि इस योजना को विस्तृत रूप प्रदान करने के बाद इसे ग्रामीण पर्यटन से भी जोड़ा जाएगा.

महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से ज्यादा

ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में मनरेगा के तहत पंचायत घर, खेल मैदान, मोक्ष धाम से लेकर एंबुलेंस रोड और भूमि सुधार के कार्यक्रम हो रहे हैं. मनरेगा के तहत महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से कम नहीं है और जो भी मनरेगा के तहत रोजगार प्राप्त कर रहा है, उसे वक्त पर दिहाड़ी का भुगतान हो रहा है. मनरेगा के तहत काम करने वाले कुल लोगों में से 63 फीसदी महिलाओं ने भाग लिया.

करसोग उपमंडल में 11.86 करोड़ रुपये खर्च

जिला मंडी के करसोग उपमंडल से भी मनरेगा योजना के बेहतर आंकड़े सामने आए हैं. मनरेगा के तहत 11.86 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं. से कार्य दिवस के आंकड़ों के मुताबिक मनरेगा श्रमिकों ने अब तक कुल 4 लाख 67 हजार 303 रोजगार दिवस अर्जित किए हैं. इसमें 2 लाख 45 हजार 484 कार्य दिवस महिलाओं के हैं. इस तरह मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी करीब करीब पुरुषों के ही बराबर है.

नाहन में पंचायत स्तर पर हर घर पहुंच रही सड़क

वहीं, जिला सिरमौर के नाहन की सती वाला पंचायत की बात करें तो, वहां मनरेगा की तहत सभी ग्रामीण इलाकों में घरों को सड़क सुविधा से जोड़ा जा रहा है. पंचायत की अधिकतर आबादी को पक्की सड़क से जोड़ दिया गया है. पंचायत के सभी 9 वार्डों में निर्माण कार्य प्रगति पर है. इसके लिए 10 लाख रुपये का बजट खर्च किया गया है. साथ ही करीब 5 लाख के भूमि सुधार कार्य भी मनरेगा के तहत हुए है.

मनरेगा बनी ग्रमीणों के लिए मददगार

सरकार के मुताबिक मनरेगा के इन आंकड़ों में रोज बेहतरी दिख रही है. जिसके मुताबिक ग्रामीण इलाकों में विकास कार्य तेजी से हो रहे हैं और गांवों में बेरोजगारी की समस्या को मनरेगा की मदद से पार पाया जा रहा है.

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