शिमला/रामपुर: आयुर्वेद में कई चमत्कारी औषधियों का वर्णन मिलता है. इनमें में एक औषधि है शिलाजीत. ऊंचे पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य शिलाओं से निकलने वाले रस को कहते हैं शिलाजीत. शिलाजीत दुर्लभता से ही किसी चट्टान से निकलती है.
आयुर्वेद में इसे कई बीमारियों में रामबाण माना गया है. विकट पहाड़ों से पसीने के रूप में निकलने वाला यह पदार्थ आयुर्वेद के अनुसार त्रिदोशामक है. हिमाचल के ऊपरी हिस्सों में पहाड़ों से शिलाजीत (shilajit) निकालना कुछ लोगों का पुश्तैनी काम है और कोरोनाकाल में बढ़ी शिलाजीत की मांग ने उनका रोजगार भी बढ़ा दिया है.
लाख की तरह तरल पदार्थ
शिलाजीत दूर से चट्टान में काली परत के रूप में जमी हुई दिखाई देती है, लेकिन इस को पानी में घोलने पर ये रक्त की तरह दिखती है. वैज्ञानिक नजरिये से माना जाता है कि भूगर्वीय गतिविधियों के कारण दफन हुए पेड़ पौधों के अवशेषों का गर्मी के दिनों में सूर्य की तेज किरणों से लाख की तरह तरल पदार्थ चट्टान से बाहर निकलता रहता है.
वहीं, ईटीवी भारत की टीम शिलाजीत (shilajit) के बारे में ज्यादा जानकारी लेने के लिए पुश्तैनी काम करने वाले लोगों के पास पहुंची. जहां लीला चंद, लोकेन्द्र और नेपाली मजदूर महादेव ने इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी और इसको निकालने की विधि से लेकर इसके फायदों के बारे में बताया.
हिमाचल में दो प्रकार की शिलाजीत
निरमंड निवासी लीला चंद प्रेमी ने कहा कि हिमाचल में दो प्रकार की शिलाजीत पाई जाती हैं, एक ताम्र वर्ण युक्त और एक लौह. लीला चंद ने बताया कि शिलाजीत को पहाड़ों से निकालकर दो तरीकों से बनाया जाता है. एक सूर्य तापी और एक अग्नि तापी.
सूर्य तापी विधि एक लंबी प्रक्रिया है. इसमें महीनों पत्थरों को पानी में घोलने के बाद शिलाजीत बनती है. जबकि अग्नि तापी में ये प्रक्रिया 4 से 5 घंटे में पूरी हो जाती है. इसमें फर्क इतना है कि सूर्य तापी प्रक्रिया में बना शिलाजीत अधिक असरदार होता है और अग्नि तापी में बने हुई शिलाजीत का असर कम हो जाता है.
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लौह और ताम्र शिलाजीत
आयुर्वेदाचार्य चरक के अनुसार शिलाजीत चार प्रकार के होते हैं जिन में स्वर्ण, रजत, लौह व ताम्र वर्ण युक्त. वहीं, हिमाचल के पहाड़ों पर लौह और ताम्र शिलाजीत ही पाया जाता है. प्रत्येक प्रकार के शिलाजीत के गुण व लाभ अलग प्रकार के होते हैं.
यह पित्त, कफ, वात, चर्बी, मधुमेह, श्वास, मिर्गी, बवासीर, सूजन, पथरी, पेट के कीड़े व अन्य कई रोगों को नष्ट करने में सहायता करता है. शिलाजीत किडनी की समस्या, यौन शक्ति बढ़ती है, शीघ्रपतन की समस्या दूर होती है. जोड़ों के दर्द, गठिया एवं जोड़ों के दर्द सूजन के समस्या को फायदा होता है. पाचन तंत्र से जुड़ी भी समस्याएं भी दूर होती है.
शिलाजीत की पहचान कैसे करें?
आमतौर पर शिलाजीत (shilajit) चिपचिपी और काले-भूरे रंग की दिखाई देती है. इसका स्वाद कड़वा, कसैला होता है. शिलाजीत के सूखने पर उसमें गौमूत्र जैसी गंध आती है.
शिलाजीत के फायदे
1: शिलाजीत के सेवन से अल्जाइमर के रोग में काफी फायदा मिलता है. अल्जाइमर रोग एक तरह का मानसिक विकार होता है जिसमें याददाश्त, व्यवहार और सोचने की क्षमता में दिक्कत आती है. अल्जाइमर के लिए दवाएं उबलब्ध हैं. लेकिन कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि शिलाजीत अल्जाइमर को बढ़ने से रोकता है.
2: शिलाजीत के पाउडर को अगर आप दूध में मिलाकर पीते हैं तो इससे स्पर्म काउंट में बड़ी तेजी से बढ़ोतरी होती है. एक रिसर्च के बाद इसका दावा भी किया जा चुका है.
3: शिलाजीत की एंटीऑक्सीडेंट गुण सेल्यूलर डैमेज के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है. ये सेल्यूलर डैमेज आपके दिल, फेफड़ों, लीवर और त्वचा में बुढ़ापे की प्रक्रिया को गति देने का काम करता है. शिलाजीत में मौजूद फुलविक एसिड, एंटीऑक्सीडेंट्स और खनिजों को सीधे उन कोशिकाओं तक पहुंचाता है. जहां उनकी जरूरत होती है.
4: शिलाजीत (shilajit) में पाए जाने वाला जींक, फुलविक एसिड और मैग्नीशियम उच्च शिलाजीत (shilajit) टेस्टोस्टेरोन की कमी को पूरा करने के लिए एक दवा के रूप में अच्छा काम करता है. शिलाजीत के सेवन से शरीर की ऊर्जा के स्तर में बढ़ोतरी होती है और ब्लड शुगर के स्तर को भी संतुलित करने में मददगार होता है.
5: डायबिटीज जैसी बीमारी से ग्रसित लोगों के लिए शिलाजीत रामबाण औषधि साबित हो सकता है. एंटी-डायबिटिक गुण के कारण ये डायबिटीज के उपचार और इसके जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है.
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ऐसे करें शिलाजीत का सेवन
आयुर्वेदिक औषधि शिलाजीत का सेवन कैसे करें इसकी जानकारी लेने के लिए ईटीवी भारत (ETV Bharat) की टीम आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी दिनेश शर्मा के पास पहुंची जिनसे हमने इसके बारे में विस्तृत जानकारी ली. डॉक्टर दिनेश शर्मा ने कहा कि शिलाजीत में रोग प्रतिरोधक क्षमता है. इसलिए ये कोरोना वायरस में भी फायदेमंद होती है. वहीं, इस आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से बुढ़ापा भी जल्दी नहीं आता.
डॉक्टरी सलाह के अनुसार ही करें सेवन
डॉक्टर दिनेश शर्मा ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को एक दिन में 300 मिग्रा से 500 मिग्रा शिलाजीत (shilajit) के सेवन की सलाह देते हैं, लेकिन स्थिति की गंभीरता या किसी विशेष बीमारी की दवाइयों के साथ इसका सेवन सावधानी से करने की सलाह दी जाती है. इसीलिए, खुद से इसका सेवन शुरु ना करें. अपने डॉक्टर से शिलाजीत के सेवन के बारे में विचार-विमर्श करने के बाद ही इसका सेवन करें.