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शिमला में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित, प्रतिवर्ष 4 लाख रुपये की हो रही बचत

हिमाचल प्रदेश सरकार लोक कल्याण के लिए पर्यावरणीय विरासत और प्राकृतिक संसाधनों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार ने पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए राज्य में जलवायु परिवर्तन नीति लागू की है.

Solar power plant
शिमला में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित
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Published : Jan 29, 2020, 11:20 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार लोक कल्याण के लिए पर्यावरणीय विरासत और प्राकृतिक संसाधनों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार ने पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए राज्य में जलवायु परिवर्तन नीति लागू की है.

पर्यावरण सरंक्षण के लिए विभिन्न स्तरों पर कई कदम उठाए जा रहे हैं. प्राथमिकताओं के आधार पर पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण मुक्त ऊर्जा के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए, पर्यावरण भवन शिमला की छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया गया है. यह संयंत्र प्रतिदिन 35 केवी ऊर्जा उत्पन्न करता है, जिससे प्रति वर्ष लगभग 4 लाख रुपये की बचत हो रही है.

उद्योगों में प्रदूषण के उत्सर्जन को कम करने के लिए, पर्यावरण संरक्षण और हरित प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए राज्य में पहली बार सक्रिय परियोजनाओं और औद्योगिक इकाइयों के पर्यावरण ऑडिट की प्रक्रिया शुरू की गई है. यह ऑर्डर एक वर्ष में दो बार किया जाएगा. पर्यावरण ऑडिट से प्राप्त जानकारी और इसकी सिफारिशों के आधार पर, उद्योगों को पर्यावरण अनुकूल बनाने की रणनीति तैयार की जाएगी.

इस वर्ष, राज्य में दस पर्यावरण संवेदनशील दवा उद्योगों, पेपर मिलों और सीमेंट संयंत्रों का पर्यावरण ऑडिट शुरू किया गया है. सरकार ने जीवअनाशित कचरे के जोखिम को कम करने के लिए सक्रिय दृष्टिकोण अपनाकर जन-भागीदारी सुनिश्चित की है. ‘पॉलिथीन हटाओ, पर्यावरण बचाओ’ सरकार का जन-भागीदारी अभियान है.

इस अभियान के दौरान एकत्र किए गए प्लास्टिक कचरे का उपयोग सड़कों को पक्का करने के लिए, सीमेंट संयंत्रों के लिए ईंधन के रूप में और कचरा उत्पन्न ईंधन बनाने के लिए किया जाता है. इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया है जिसमें प्लास्टिक कचरे का उपयोग करके शिमला में तारादेवी के नजदीक सात किलोमीटर सड़क को पक्का किया गया है.

पंचायती राज संस्थाओं और स्थानीय शहरी निकायों की ओर से एकत्र किया गया प्लास्टिक और अन्य कचरा, जिसे सड़क को पक्का करने में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, उसको सीमेंट संयंत्रों को ईंधन के रूप में उपयोग करने के लिए दिया जाता है.

राज्य को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए सरकार ने गंभीरता दिखाते हुए पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले गैर-पुनः चक्रित प्लास्टिक को पंजीकृत कूड़ा बीनने वालों और स्थानीय परिवारों से 75 रुपए प्रति किलोग्राम की दर खरीदा जा रहा है. अब तक इस योजना के तहत 1055 किलोग्राम प्लास्टिक एकत्र किया गया है.

प्रदेश सरकार के राज्य में थर्मोकोल से बने कप और प्लेट के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है जिससे पेड़ों की पारंपरिक पत्तियों से बने पारंपरिक पत्तल और डोने के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा. इस योजना के तहत गरीब परिवारों को पत्तल बनाने की 100 मशीनें प्रदान करने के लिए सरकार की ओर से 70 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है.

सरकार द्वारा शिमला और मंडी के प्रमुख पर्यटन स्थलों को ध्वनि प्रदूषण रहित बनाने और पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाने के लिए ‘हॉर्न नॉट ओके’ अभियान शुरू किया गया है. राज्य में ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवाने के लिए ‘शोर नहीं’ मोबाइल ऐप भी लॉन्च की गई है.

प्रदेश में इको विलेज योजना के तहत 10 गांव का चयन किया गया है, जिन्हें इको विलेज के रूप में विकसित किया जाएगा. इस योजना के तहत इन गांवों के विकास के लिए अगले पांच वर्षों में 50 लाख रुपये प्रति गांव स्वीकृत किए गए हैं.

सरकार पर्यावरण संरक्षण के बारे में छात्रों में जागरूकता पैदा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. इस उद्देश्य के लिए विश्व पर्यावरण दिवस, विश्व आर्द्रभूमि दिवस और पृथ्वी दिवस जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है.

ये भी पढे़ं: एचपीयू ने बढ़ाई यूजी के परीक्षा फॉर्म भरने की तिथि, 20 फरवरी तक भरे जाएंगे फॉर्म

शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार लोक कल्याण के लिए पर्यावरणीय विरासत और प्राकृतिक संसाधनों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार ने पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए राज्य में जलवायु परिवर्तन नीति लागू की है.

पर्यावरण सरंक्षण के लिए विभिन्न स्तरों पर कई कदम उठाए जा रहे हैं. प्राथमिकताओं के आधार पर पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण मुक्त ऊर्जा के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए, पर्यावरण भवन शिमला की छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया गया है. यह संयंत्र प्रतिदिन 35 केवी ऊर्जा उत्पन्न करता है, जिससे प्रति वर्ष लगभग 4 लाख रुपये की बचत हो रही है.

उद्योगों में प्रदूषण के उत्सर्जन को कम करने के लिए, पर्यावरण संरक्षण और हरित प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए राज्य में पहली बार सक्रिय परियोजनाओं और औद्योगिक इकाइयों के पर्यावरण ऑडिट की प्रक्रिया शुरू की गई है. यह ऑर्डर एक वर्ष में दो बार किया जाएगा. पर्यावरण ऑडिट से प्राप्त जानकारी और इसकी सिफारिशों के आधार पर, उद्योगों को पर्यावरण अनुकूल बनाने की रणनीति तैयार की जाएगी.

इस वर्ष, राज्य में दस पर्यावरण संवेदनशील दवा उद्योगों, पेपर मिलों और सीमेंट संयंत्रों का पर्यावरण ऑडिट शुरू किया गया है. सरकार ने जीवअनाशित कचरे के जोखिम को कम करने के लिए सक्रिय दृष्टिकोण अपनाकर जन-भागीदारी सुनिश्चित की है. ‘पॉलिथीन हटाओ, पर्यावरण बचाओ’ सरकार का जन-भागीदारी अभियान है.

इस अभियान के दौरान एकत्र किए गए प्लास्टिक कचरे का उपयोग सड़कों को पक्का करने के लिए, सीमेंट संयंत्रों के लिए ईंधन के रूप में और कचरा उत्पन्न ईंधन बनाने के लिए किया जाता है. इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया है जिसमें प्लास्टिक कचरे का उपयोग करके शिमला में तारादेवी के नजदीक सात किलोमीटर सड़क को पक्का किया गया है.

पंचायती राज संस्थाओं और स्थानीय शहरी निकायों की ओर से एकत्र किया गया प्लास्टिक और अन्य कचरा, जिसे सड़क को पक्का करने में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, उसको सीमेंट संयंत्रों को ईंधन के रूप में उपयोग करने के लिए दिया जाता है.

राज्य को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए सरकार ने गंभीरता दिखाते हुए पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले गैर-पुनः चक्रित प्लास्टिक को पंजीकृत कूड़ा बीनने वालों और स्थानीय परिवारों से 75 रुपए प्रति किलोग्राम की दर खरीदा जा रहा है. अब तक इस योजना के तहत 1055 किलोग्राम प्लास्टिक एकत्र किया गया है.

प्रदेश सरकार के राज्य में थर्मोकोल से बने कप और प्लेट के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है जिससे पेड़ों की पारंपरिक पत्तियों से बने पारंपरिक पत्तल और डोने के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा. इस योजना के तहत गरीब परिवारों को पत्तल बनाने की 100 मशीनें प्रदान करने के लिए सरकार की ओर से 70 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है.

सरकार द्वारा शिमला और मंडी के प्रमुख पर्यटन स्थलों को ध्वनि प्रदूषण रहित बनाने और पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाने के लिए ‘हॉर्न नॉट ओके’ अभियान शुरू किया गया है. राज्य में ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवाने के लिए ‘शोर नहीं’ मोबाइल ऐप भी लॉन्च की गई है.

प्रदेश में इको विलेज योजना के तहत 10 गांव का चयन किया गया है, जिन्हें इको विलेज के रूप में विकसित किया जाएगा. इस योजना के तहत इन गांवों के विकास के लिए अगले पांच वर्षों में 50 लाख रुपये प्रति गांव स्वीकृत किए गए हैं.

सरकार पर्यावरण संरक्षण के बारे में छात्रों में जागरूकता पैदा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. इस उद्देश्य के लिए विश्व पर्यावरण दिवस, विश्व आर्द्रभूमि दिवस और पृथ्वी दिवस जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है.

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Intro:राज्य में पर्यावरणीय स्थिरता सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता

शिमला. हिमाचल प्रदेश सरकार लोक कल्याण के लिए पर्यावरणीय विरासत और प्राकृतिक संसाधनों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए राज्य में जलवायु परिवर्तन नीति लागू की गई है.
पर्यावरण सरंक्षण के लिए विभिन्न स्तरों पर कई कदम उठाए जा रहे हैं। प्राथमिकताओं के आधार पर पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण मुक्त ऊर्जा के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए, पर्यावरण भवन शिमला की छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया गया है। यह संयंत्र प्रति दिन 35 केवी ऊर्जा उत्पन्न करता है, जिससे प्रति वर्ष लगभग 4 लाख रूपए की बचत हो रही है।

उद्योगों में प्रदूषण के उत्सर्जन को कम करने के लिए, पर्यावरण संरक्षण और हरित प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए राज्य में पहली बार सक्रिय परियोजनाओं और औद्योगिक इकाइयों के पर्यावरण आॅडिट की प्रक्रिया शुरू की गई है। यह आर्डर एक वर्ष में दो बार किया जाएगा। पर्यावरण आॅडिट से प्राप्त जानकारी और इसकी सिफारिशों के आधार पर, उद्योगों को पर्यावरण अनुकूल बनाने की रणनीति तैयार की जाएगी। इस वर्ष, राज्य में दस पर्यावरण संवेदनशील दवा उद्योगों, पेपर मिलों और सीमेंट संयंत्रों का पर्यावरण आॅडिट शुरू किया गया है।Body:सरकार ने जीवअनाशित कचरे के जोखिम को कम करने के लिए सक्रिय दृष्टिकोण अपनाकर जन-भागीदारी सुनिश्चित की है। ‘पाॅलिथीन हटाओ, पर्यावरण बचाओ’ सरकार का जन-भागीदारी अभियान है। इस अभियान के दौरान एकत्र किए गए प्लास्टिक कचरे का उपयोग सड़कों को पक्का करने के लिए, सीमेंट संयंत्रों के लिए ईंधन के रूप में और कचरा उत्पन्न ईंधन बनाने के लिए किया जाता है। इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया है जिसमें प्लास्टिक कचरे का उपयोग करके शिमला में तारादेवी के नजदीक सात किलोमीटर सड़क को पक्का किया गया है। पंचायती राज संस्थाओं और स्थानीय शहरी निकायों द्वारा एकत्र किया गया प्लास्टिक और अन्य कचरा, जिसे सड़क को पक्का करने में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, उसको सीमेंट संयंत्रों को ईंधन के रूप में उपयोग करने के लिए दिया जाता है।

राज्य को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए सरकार ने गंभीरता दिखाते हुए पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले गैर-पुनः चक्रित प्लास्टिक को पंजीकृत कूड़ा बीनने वालों और स्थानीय परिवारों से 75 रूपए प्रति किलोग्राम की दर खरीदा जा रहा है। अब तक इस योजना के तहत 1055 किलोग्राम प्लास्टिक एकत्र किया गया है, जिससे कुड़ा बीनने वालों की आर्थिकी में भी सुधार हो रहा है।

प्रदेश सरकार के राज्य में थर्मोकोल से बने कप तथा प्लेट के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है जिससे पेड़ों की पारंपरिक पत्तियों से बने पारंपरिक पत्तल और डोने के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा। इस योजना के तहत गरीब परिवारों को पत्तल बनाने की 100 मशीनें प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा 70 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है।

सरकार द्वारा शिमला और मंडी के प्रमुख पर्यटन स्थलों को ध्वनि प्रदूषण रहित बनाने और पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाने के लिए ‘हाॅर्न नाॅट ओके’ अभियान शुरू किया गया है। राज्य में ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ आॅनलाइन शिकायत दर्ज करवाने के लिए ‘शोर नहीं’ मोबाइल ऐप भी लाॅन्च की गई है।

प्रदेश में इको विलेज योजना के तहत 10 गाँवों का चयन किया गया है, जिन्हें इको विलेज के रूप में विकसित किया जाएगा। इस योजना के तहत इन गाँवों के विकास के लिए अगले पाँच वर्षों में 50 लाख रुपये प्रति गाँव स्वीकृत किए गए हैं।

युवा, और विशेष रूप से छात्र, राष्ट्र निमार्ण या सामाजिक परिवर्तन की किसी भी गतिविधि के सबसे महत्वपूर्ण भागीदार हैं। सरकार पर्यावरण संरक्षण के बारे में छात्रों में जागरूकता पैदा करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इस उद्देश्य के लिए, विश्व पर्यावरण दिवस, विश्व आर्द्रभूमि दिवस और पृथ्वी दिवस जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।

राज्य सरकार ने लोगों को प्रेरणा स्वरूप, ‘हिमाचल प्रदेश पर्यारवण उत्कृष्टता पुरूस्कार’ आरम्भ किया है, जिसे पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में किए गए प्रगतिशील कार्यों को मान्यता के रूप में दिया जाता है।

Conclusion:राज्य सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से होने वाले गंभीर प्रभावों को कम करने को विशेष महत्व दिया है। जलवायु परिवर्तन से प्रभावित ग्रामीण लोगों को आजीविका और स्वरोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से ‘मुख्यमंत्री हरित तकनीक हस्तांतरण योजना’ शुरू की गई है। इसके तहत सरकार द्वारा किसान उत्पादन संगठनों, स्वयं सहायता समूहों और युवा उद्यमियों को हरित तकनीक हस्तांतरित करके हरित उद्योग स्थापित करने के लिए कुल लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 5 लाख रूपए का अनुदान प्रदान करेगी। इसके लिए 50 लाख रूपए का बजट प्रावधान किया गया है।

राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए गए विभिन्न कदम, स्वस्थ समाज के निर्माण और हमारे ग्रह को सुरक्षित रखने में सहायक सिद्ध होगा।
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