शिमला: प्रदेश के स्कूलों में एसएमसी के तहत तैनात किए गए शिक्षक सरकार से उनके लिए नीति बनाने की मांग कर रहे हैं. टीचर्स की मांग है कि जिस तरह से उर्दू और पंजाबी समेत तकनीकी संस्थान में कार्यरत पीरियड बेसिस अध्यापकों को अनुबंध नीति में लाया गया है. उसी तरह से एसएमसी टीचर्स के लिए भी सरकार नीति बनाए.
प्रदेश के शीतकालीन स्कूलों में सेवाएं दे रहे 1800 शिक्षकों का सेवा विस्तार खत्म हो गया है, जिस वजह से ये मांग उठ रही है. इन टीचर्स से 31 दिसंबर तक स्कूलों में सेवाएं देने का करार सरकार से हुआ था. नए शैक्षणिक सत्र के लिए सेवा विस्तार न मिलने से इन शिक्षकों को अपने भविष्य की चिंता सता रही है.
प्रदेश के उन दुर्गम क्षेत्रों में जहां नियम शिक्षक नियुक्तियां नहीं दे रहे हैं. वहां एसएमसी टीचर 8 सालों से लगातार छात्रों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं. ऐसे में एसएमसी के तहत लगे शिक्षक बार-बार सरकार से स्थाई नीति बनाने की मांग करते आ रहे हैं, जिससे कि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके.
वहीं, आंकड़ों की बात की जाए तो इन 1800 टीचर्स में एक हजार सीएंडवी, 650 टीजीटी और 150 जेबीटी शिक्षकों का सेवा विस्तार खत्म हो गया है. भाजपा और कांग्रेस की सरकार के समय में एसएमसी के तहत अध्यापकों की नियुक्तियां की गई थी. हालांकि सभी अध्यापक टेट की योग्यता के साथ ही आरटीई की योग्यता को भी पूरा करते हैं. ऐसे में एसएमसी अध्यक्ष मनोज रौंगटा की ओर से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और शिक्षा मंत्री से ये मांग की जा रही है कि एसएमसी के तहत तैनात टीचर्स के लिए जल्द से जल्द नीति बनाई जाए, जिससे कि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके.