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ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट से पहले सरकार का बड़ा ऐलान, बिना मंजूरी के लग सकेंगे छोटे उद्योग! - एमएसएमई

ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट से ठीक पहले राज्य सरकार ने राजस्थान और मध्य प्रदेश की तर्ज पर छोटे उद्योगों को तीन साल तक नियमों में छूट देने के लिए अध्यादेश लाने को मंजूरी दे दी है. इसके तहत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को प्रदेश में लाने के लिए बड़ा फैसला लिया है.

हिमाचल में बिना मंजूरी के लग सकेंगे छोटे उद्योग
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Published : Nov 1, 2019, 4:41 PM IST

शिमला: ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट से ठीक पहले राज्य सरकार ने राजस्थान और मध्य प्रदेश की तर्ज पर छोटे उद्योगों को तीन साल तक नियमों में छूट देने के लिए अध्यादेश लाने को मंजूरी दे दी है. इसके तहत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को प्रदेश में लाने के लिए बड़ा फैसला लिया है. सरकार से बिना मंजूरी और एनओसी के बिना छोटे उद्योग लगा सकेंगे.

निवेशकों के लिए यह छूट तीन साल रहेगी. उद्योग जब स्थापित होकर अपना उत्पादन शुरू कर देंगे तब उन्हें एनओसी और अन्य औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी. इसी तरह वहन योग्य आवासीय नीति-2019 को भी मंत्रिमण्डल ने स्वीकृति प्रदान की. इसका प्रमुख उद्देश्य शहरी गरीबों के पुनर्वास और सभी नई आवासीय परियोजनाओं में मिश्रित आवासीय विकास को प्रोत्साहित करना है.

हिमाचल प्रदेश काश्तकारी एवं भू-सुधार नियमों के नियम 38 (ए)(3)(एफ) के प्रावधानों के अंतर्गत प्रदेश में पर्यटन इकाइयां स्थापित करने के इच्छुक गैर कृषकों को राज्य में भूमि खरीदने के उद्देश्य से अनिवार्यता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए पर्यटन विभाग के संशोधित मापदंडों को स्वीकृति प्रदान की गई. इच्छुक निवेशक को अपनी पर्यटन परियोजना की प्रारम्भिक परियोजना रिपोर्ट पर्यटन विभाग के निदेशक को सौंपनी होगी, जिसके लिए वह अनिवार्यता प्रमाण पत्र चाहता है. विभागीय निदेशक संबंधित पर्यटन परियोजना के लिए आवश्यक भूमि का आकलन करेंगे.

ये भी पढ़ें: रिटायर्ड जज की पेंशन घटाने पर HC का मुख्य सचिव को नोटिस, 3 सप्ताह में देना होगा जवाब

शिमला: ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट से ठीक पहले राज्य सरकार ने राजस्थान और मध्य प्रदेश की तर्ज पर छोटे उद्योगों को तीन साल तक नियमों में छूट देने के लिए अध्यादेश लाने को मंजूरी दे दी है. इसके तहत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को प्रदेश में लाने के लिए बड़ा फैसला लिया है. सरकार से बिना मंजूरी और एनओसी के बिना छोटे उद्योग लगा सकेंगे.

निवेशकों के लिए यह छूट तीन साल रहेगी. उद्योग जब स्थापित होकर अपना उत्पादन शुरू कर देंगे तब उन्हें एनओसी और अन्य औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी. इसी तरह वहन योग्य आवासीय नीति-2019 को भी मंत्रिमण्डल ने स्वीकृति प्रदान की. इसका प्रमुख उद्देश्य शहरी गरीबों के पुनर्वास और सभी नई आवासीय परियोजनाओं में मिश्रित आवासीय विकास को प्रोत्साहित करना है.

हिमाचल प्रदेश काश्तकारी एवं भू-सुधार नियमों के नियम 38 (ए)(3)(एफ) के प्रावधानों के अंतर्गत प्रदेश में पर्यटन इकाइयां स्थापित करने के इच्छुक गैर कृषकों को राज्य में भूमि खरीदने के उद्देश्य से अनिवार्यता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए पर्यटन विभाग के संशोधित मापदंडों को स्वीकृति प्रदान की गई. इच्छुक निवेशक को अपनी पर्यटन परियोजना की प्रारम्भिक परियोजना रिपोर्ट पर्यटन विभाग के निदेशक को सौंपनी होगी, जिसके लिए वह अनिवार्यता प्रमाण पत्र चाहता है. विभागीय निदेशक संबंधित पर्यटन परियोजना के लिए आवश्यक भूमि का आकलन करेंगे.

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शिमला. ग्लोबल इन्वेस्टर मीट से ठीक पहले राज्य सरकार ने सरकार ने राजस्थान और मध्य प्रदेश की तर्ज पर छोटे उद्योगों को तीन साल तक नियमों में छूट देने के लिए अध्यादेश लाने को मंजूरी दे दी है. इसके तहत सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को प्रदेश में लाने के लिए बड़ा फैसला लिया है। सरकार से बिना मंजूरी और एनओसी के बिना छोटे उद्योग लगा सकेंगे।
निवेशकों के लिए यह छूट तीन साल रहेगी। उद्योग जब स्थापित होकर अपना उत्पादन शुरू कर देंगे तब उन्हें एनओसी और अन्य औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी। इसी प्रकार वहन योग्य आवासीय नीति-2019 को भी मंत्रिमण्डल ने स्वीकृति प्रदान की। इसका प्रमुख उद्देश्य शहरी गरीबों के पुनर्वास और सभी नई आवासीय परियोजनाओं में मिश्रित आवासीय विकास को प्रोत्साहित करना है।
हिममाचल प्रदेश काश्तकारी एवं भू-सुधार नियमों के नियम 38 (ए)(3)(एफ) के प्रावधानों के अंतर्गत प्रदेश में पर्यटन इकाइयां स्थापित करने के इच्छुक गैर कृषकों को राज्य में भूमि खरीदने के उद्देश्य से अनिवार्यता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए पर्यटन विभाग के संशोधित मापदंडों को स्वीकृति प्रदान की गई। इच्छुक निवेशक को अपनी पर्यटन परियोजना की प्रारम्भिक परियोजना रिपोर्ट पर्यटन विभाग के निदेशक को सौंपनी होगी, जिसके लिए वह अनिवार्यता प्रमाण पत्र चाहता है। विभागीय निदेशक संबंधित पर्यटन परियोजना के लिए आवश्यक भूमि का आकलन करेंगे।
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