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हिमाचल के जंगलों में फिर दिखाई देगा राज्य पक्षी, सराहन प्रजनन केंद्र से 6 जाजुराणा छोड़े गए

शिमला जिला के सराहन स्थित मानवनिर्मित पक्षी प्रजनन केंद्र से जाजुरााणा को जंगलों में छोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. प्रजनन केंद्र में जाजुराणा की कुल संख्या 52 हो गई है, जिसमें से छह जाजुराणा को जंगल में छोड़ा गया है.

Western tragopan released to jungle in Sarahan
Western tragopan released to jungle in Sarahan
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Published : Oct 29, 2020, 11:01 AM IST

Updated : Oct 29, 2020, 2:31 PM IST

रामपुर: अब हिमाचल प्रदेश के जंगलों में विलुप्तप्राय वेस्टर्न ट्रेगोपेन यानी हिमाचल का राज्य पक्षी जाजुरााणा फिर से दिखने लगेगा. सराहन स्थित मानवनिर्मित पक्षी प्रजनन केंद्र से जाजुरााणा को जंगलों में छोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.

वेस्टर्न ट्रेगोपेन को दुनिया की सबसे विलुप्त प्राय प्रजाति का दर्जा मिला हुआ है. आंकलन के अनुसार विश्व भर में केवल 4,500 जाजुरााणा ही बचे हैं. यह पक्षी बेहद शर्मीला और मानव गतिविधियों से परहेज करने वाले इस पक्षी का संरक्षण और प्रजनन नहीं होने के कारण इनकी संख्या लगातार घटती जा रही है.

ट्रेगोपेन विश्व में पांच प्रकार के पाए जाते हैं, लेकिन पश्चिमी हिमालय में जो जाजुरााणा पाया जाता है उसे 'वेस्टर्न ट्रेगोपेन' कहा जाता है. हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला के सराहन स्थित 7 हजार फीट की ऊंचाई पर बने पक्षी विहार की आबोहवा जाजुरााणा को भा गई है. करीब तीन दशकों से जाजुरााणा के संवर्धन का कार्य इस केंद्र में जारी है.

वीडियो.

शुरुआत में पिंजरे में रखे जाजुरााणा के अंडों को कुड़क मुर्गी के नीचे रख कर चूजे तैयार किए जाते रहे. इसके बाद स्वयं जाजुराणा ने अंडों पर बैठ कर सफल प्रजनन शुरू किया है.

इस बार मानवनिर्मित इस पक्षी विहार में जाजुराणा की संख्या बढ़ कर 52 हो गई है. वन्य प्राणी विभाग ने फिर से इस सुंदर पक्षी को जो राज्य पक्षी भी है, जंगलों में छोड़ने की मुहीम शुरू कर दी है. कुछ समय पूर्व जाजुराणा का दो परिवार यानी 6 पक्षी धारण घाटी अभ्यारण में छोड़ा गया था.

इसका मकसद एक तो जंगलों में जाजुराणा की संख्या को बढ़ाना है और दूसरा पक्षी के आचरण-विचरण समेत विभिन्न जानकारियों को जुटाना है. जंगल में छोड़े गए जाजुराणा की मॉनिटरिंग के लिए जीपीएस लगाए गए हैं और कैमरा ट्रेप भी.

इसके अलावा सैटेलाइट द्वारा भी इनकी फीड को इकट्ठा किया जाएगा और मॉनिटरिंग की जाएगी, ताकि भविष्य में जाजुराणा के संवर्धन में यह सहायक साबित हों.

डीएफओ वन्य प्राणी मंडल सराहन धर्मवीर मीणा ने बताया कि सराहन पक्षी प्रजनन केंद्र दुनिया का एकमात्र ऐसा केंद्र है जंहा जाजुराणा का सफलतपूर्वक प्रजनन हो रहा है. उन्होंने बताया इस बार दो परिवार यानी छह जाजुरााणा दारनघाटी अभ्यारण्य में छोड़े गए हैं.

डीएफओ ने कहा कि जंगल में छोड़े गए जाजुराणा से उनकी रहने और खाने-पीने संबंधी जानकारी जुटाई जाएगी, ताकि जाजुराणा के संबंध में और जानकारी मिल सके. उन्होंने बताया कि पक्षी विहार में अब 46 जाजुराणा रह गए हैं.

रामपुर: अब हिमाचल प्रदेश के जंगलों में विलुप्तप्राय वेस्टर्न ट्रेगोपेन यानी हिमाचल का राज्य पक्षी जाजुरााणा फिर से दिखने लगेगा. सराहन स्थित मानवनिर्मित पक्षी प्रजनन केंद्र से जाजुरााणा को जंगलों में छोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.

वेस्टर्न ट्रेगोपेन को दुनिया की सबसे विलुप्त प्राय प्रजाति का दर्जा मिला हुआ है. आंकलन के अनुसार विश्व भर में केवल 4,500 जाजुरााणा ही बचे हैं. यह पक्षी बेहद शर्मीला और मानव गतिविधियों से परहेज करने वाले इस पक्षी का संरक्षण और प्रजनन नहीं होने के कारण इनकी संख्या लगातार घटती जा रही है.

ट्रेगोपेन विश्व में पांच प्रकार के पाए जाते हैं, लेकिन पश्चिमी हिमालय में जो जाजुरााणा पाया जाता है उसे 'वेस्टर्न ट्रेगोपेन' कहा जाता है. हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला के सराहन स्थित 7 हजार फीट की ऊंचाई पर बने पक्षी विहार की आबोहवा जाजुरााणा को भा गई है. करीब तीन दशकों से जाजुरााणा के संवर्धन का कार्य इस केंद्र में जारी है.

वीडियो.

शुरुआत में पिंजरे में रखे जाजुरााणा के अंडों को कुड़क मुर्गी के नीचे रख कर चूजे तैयार किए जाते रहे. इसके बाद स्वयं जाजुराणा ने अंडों पर बैठ कर सफल प्रजनन शुरू किया है.

इस बार मानवनिर्मित इस पक्षी विहार में जाजुराणा की संख्या बढ़ कर 52 हो गई है. वन्य प्राणी विभाग ने फिर से इस सुंदर पक्षी को जो राज्य पक्षी भी है, जंगलों में छोड़ने की मुहीम शुरू कर दी है. कुछ समय पूर्व जाजुराणा का दो परिवार यानी 6 पक्षी धारण घाटी अभ्यारण में छोड़ा गया था.

इसका मकसद एक तो जंगलों में जाजुराणा की संख्या को बढ़ाना है और दूसरा पक्षी के आचरण-विचरण समेत विभिन्न जानकारियों को जुटाना है. जंगल में छोड़े गए जाजुराणा की मॉनिटरिंग के लिए जीपीएस लगाए गए हैं और कैमरा ट्रेप भी.

इसके अलावा सैटेलाइट द्वारा भी इनकी फीड को इकट्ठा किया जाएगा और मॉनिटरिंग की जाएगी, ताकि भविष्य में जाजुराणा के संवर्धन में यह सहायक साबित हों.

डीएफओ वन्य प्राणी मंडल सराहन धर्मवीर मीणा ने बताया कि सराहन पक्षी प्रजनन केंद्र दुनिया का एकमात्र ऐसा केंद्र है जंहा जाजुराणा का सफलतपूर्वक प्रजनन हो रहा है. उन्होंने बताया इस बार दो परिवार यानी छह जाजुरााणा दारनघाटी अभ्यारण्य में छोड़े गए हैं.

डीएफओ ने कहा कि जंगल में छोड़े गए जाजुराणा से उनकी रहने और खाने-पीने संबंधी जानकारी जुटाई जाएगी, ताकि जाजुराणा के संबंध में और जानकारी मिल सके. उन्होंने बताया कि पक्षी विहार में अब 46 जाजुराणा रह गए हैं.

Last Updated : Oct 29, 2020, 2:31 PM IST
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