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शिमला में दशहरे के लिए ये मुस्लिम परिवार बनाता है पुतले, पिछले 15 सालों से हिमाचल में कर रहे काम - मुस्लिम कारगिर

राजधानी शिमला में दशहरे के उत्सव के लिए पंजाब का एक मुस्लिम परिवार प्रसिद्ध जाखू मंदिर,संकटमोचन और सुन्नी में जलाए जाने वाले रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों को बना रहा है.

राजधानी शिमला में दशहरा
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Published : Oct 6, 2019, 12:04 AM IST

Updated : Oct 6, 2019, 8:07 AM IST

शिमला: पंजाब का एक मुस्लिम परिवार दशहरे पर शिमला के प्रसिद्ध जाखू मंदिर,संकटमोचन और सुन्नी में जलाए जाने वाले रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों को आकार दे रहे हैं. पंजाब के मोगा से आए यह मुस्लिम कारीगर इस बार ही नहीं बल्कि 15 सालों से इन पुतलों को यहां तैयार करते आ रहे हैं.

मुस्लिम कारीगरों का कहना है कि इस हुनर का इस्तेमाल वह दो धर्मों के लोगों को एक सूत्र में पिरोने के लिए कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भले ही वह मुस्लिम समुदाय से संबंध रखते हैं, लेकिन रावण के पुतले बनाने के लिए जिन नियमों का पालन करना चाहिए उन सभी नियमों का वह पालन करते हैं.

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बता दें कि राजधानी शिमला में दशहरे को लेकर हर साल इन कारीगरों को पुतले बनाने के लिए बुलाया जाता है. इस बार दशहरे के लिए रावण का 40 फुट पुतला ,मेघनाथ का 35 और कुंभकर्ण का 30 फुट का पुतला तैयार किया जा रहा है.

शिमला: पंजाब का एक मुस्लिम परिवार दशहरे पर शिमला के प्रसिद्ध जाखू मंदिर,संकटमोचन और सुन्नी में जलाए जाने वाले रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों को आकार दे रहे हैं. पंजाब के मोगा से आए यह मुस्लिम कारीगर इस बार ही नहीं बल्कि 15 सालों से इन पुतलों को यहां तैयार करते आ रहे हैं.

मुस्लिम कारीगरों का कहना है कि इस हुनर का इस्तेमाल वह दो धर्मों के लोगों को एक सूत्र में पिरोने के लिए कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भले ही वह मुस्लिम समुदाय से संबंध रखते हैं, लेकिन रावण के पुतले बनाने के लिए जिन नियमों का पालन करना चाहिए उन सभी नियमों का वह पालन करते हैं.

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बता दें कि राजधानी शिमला में दशहरे को लेकर हर साल इन कारीगरों को पुतले बनाने के लिए बुलाया जाता है. इस बार दशहरे के लिए रावण का 40 फुट पुतला ,मेघनाथ का 35 और कुंभकर्ण का 30 फुट का पुतला तैयार किया जा रहा है.

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भारत धर्मनिरपेक्ष है ओर यहां सभी धर्मों के लोग को एक साथ मिलकर रहते है, सभी धर्मों का सम्मान करते है। सभी त्यौहार को मिल जुल कर मनाते है। इसी का एक उदाहरण राजधानी शिमला में भी दिखने को मिल रहा है जहां हिन्दुओं के त्यौहार दशहरे के लिए पंजाब का मुस्लिम परिवार पुतले बना रहा है। शिमला में पंजाब का एक मुस्लिम परिवार ही दशहरे पर शिमला के प्रसिद्ध जाखू मंदिर,संकटमोचन ओर सुन्नी में जलाए जाने वाले रावण, कुंभकर्ण ओर मेघनाथ के पुतलों को आकार दे रहे है। पंजाब के मोगा से आए यह मुस्लिम कारगिर इस बार ही नहीं बल्कि 15 सालों से यह इन पुतलों को यहां तैयार करते आ रहे है।


Body:पुश्त दर पुश्त यह काम यह करते आ रहे है और भाईचारे की एक अनोखी मिसाल पेश कर रहे है। पुतलों को तैयार करने के लिए मुस्लिम कारीगरों में शहनवाज के साथ आए कारीगरों का कहना है कि हमें यह हुनर अल्लाह में बख्शा है और इसका इस्तेमाल वह दो धर्मों के लोगों को एक सूत्र में पिरोने के लिए कर रहे है। उनका कहना है कि भले ही वह मुस्लिम समुदाय से है लेकिन रावण के पुतले बनाने के लिए जिन नियमों का पालन करना चाहिए उन सभी नियमों का वह पालन करते है। उन्होंने बताया कि पहले यह काम उनके अब्बु करते थे और अब उन्होंने इस काम को आगे बढ़ाने का जिम्मा उठाया है।


Conclusion:इनका मानना है कि कारीगिरी केवल धर्म को ही नहीं दिलों को जोड़ने का भी काम करती है। यही वजह है कि इतने सालों से वह राजधानी शिमला में दशहरे पर जलाए जाने वाले इन पुतलों को बना रहे है। राजधानी में दशहरे को लेकर तैयारियां काफी धूमधाम से की जाती है और हर साल इन कारीगरों को यहां आ कर पुतले बनाने के लिए बुलाया जा रहा है। इन कारीगरों का भी यही मानना है कि यही उनके पूर्वजों को एक सच्ची श्रद्धांजलि है जो इस काम को आगे भी बरकरार रखते आ रहे है। उन्हें भी इस बात का इंतजार रहता है कि वह दशहरे के लिए शिमला जाएं और यहां पुतले बनाए। उनके परिवार के अन्य सदस्य भी इस काम को कर रहे है। रावण का पुतला 40 फुट,मेघनाथ का 35 ओर कुंभकर्ण का 30 फुट का पुतले दशहरे के लिए बनाकर तैयार किया जा रहा है।
Last Updated : Oct 6, 2019, 8:07 AM IST
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