शिमला: पहाड़ों की रानी शिमला का ऐतिहासिक बैंटनी कैसल आम लोगों के लिए खुल गया है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बैंटनी कैसल के रेनोवेट किए गए परिसर का उद्घाटन किया और कहा कि यह परिसर हमारी संस्कृति और इतिहास का जीवंत प्रतिबिंब है. उन्होंने कहा कि बैंटनी कैसल परिसर शिमला की समृद्ध विरासत का साक्षी है और ग्रीष्मकालीन राजधानी रही 'श्यामला' (शिमला) के समृद्ध इतिहास के दर्शन करवाता है. इस परिसर में तीन ऐतिहासिक भवन हैं और इसके जीर्णोद्धार पर 25 करोड़ रुपये की राशि व्यय की गई है. लगभग 20,000 वर्ग मीटर में फैला यह परिसर एंग्लो-गॉथिक वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण पेश करता है, जो पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र बनेगा.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि बैंटनी कैसल परिसर में महात्मा गांधी की शिमला यात्राओं, डॉ. यशवंत सिंह परमार और सत्यानंद स्टोक्स की विस्तृत जीवनियां और शिमला शहर के व्यापक इतिहास को प्रदर्शित किया जाएगा जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वालों के प्रति श्रद्धांजलि है. इसमें जनजातीय क्षेत्र स्पीति की समृद्ध संस्कृति को भी प्रदर्शित किया गया है जो क्षेत्र की अनूठी परंपराओं को प्रतिबिंबित करती हैं.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बैंटनी कैसल परिसर में शिमला के वैभवशाली इतिहास पर आधारित लेजर लाइट एंड साउंड शो भी देखा, जिसमें बॉलीवुड के महान अभिनेता अनुपम खेर ने आवाज दी है. प्रदेश की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता यह शो भावी पीढ़ियां को प्रदेश के समृद्ध इतिहास से अवगत करवाएगा.
उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (सूचना प्रौद्योगिकी एवं नवाचार) गोकुल बुटेल, विधायक, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भरत खेड़ा और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित रहे.
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शिमला के ऐतिहासिक बैंटनी कैसल परिसर को बतौर संग्रहालय आम जनता को समर्पित किया। इस कैसल के जीर्णोद्धार में 25 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इस भवन में हिमाचल प्रदेश की संस्कृति एवं सभ्यता, शिमला के इतिहास और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की यादों को संजोकर रखा जाएगा। लाइट एंड साउंड… pic.twitter.com/W8N288V438
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— Sukhvinder Singh Sukhu (@SukhuSukhvinder) September 21, 2023शिमला के ऐतिहासिक बैंटनी कैसल परिसर को बतौर संग्रहालय आम जनता को समर्पित किया। इस कैसल के जीर्णोद्धार में 25 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इस भवन में हिमाचल प्रदेश की संस्कृति एवं सभ्यता, शिमला के इतिहास और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की यादों को संजोकर रखा जाएगा। लाइट एंड साउंड… pic.twitter.com/W8N288V438
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बैंटनी कैसल शिमला की तीसरी प्रतिष्ठित इमारत है जिसका जीर्णोद्धार किया गया है. बैंटनी कैसल का निर्माण कैप्टन बैंटनी ने साल 1830 में एक कॉटेज के रूप में किया था. साल 1880 में सिरमौर के महाराजा ने इसका पुनर्निर्माण करवाया. प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान महाराजा सिरमौर ने बैंटनी इस्टेट को आर्मी कार्यालय स्थापित करने के लिए भारत सरकार को सौंप दिया था. साल 1968 में इस इस्टेट को राम कृष्ण एंड सन्ज ने 3.50 लाख रुपये में खरीदा था. हिमाचल सरकार ने साल 2017 में 27.84 करोड़ की लागत से बैंटनी कैसल का अधिग्रहण किया था और अब इसके जीर्णोद्धार पर लगभग 25 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
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