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बंद हो रहा शिमला का हर दिल अजीज बालजीज, अब चाय-कॉफी की चुसकियों के बीच नहीं तैरेगी स्मृतियां

शिमला जिले के मालरोड पर स्थित प्रसिद्ध रेस्तरां बालजीज का सुहाना सफर 10 जुलाई को खत्म होने जा रहा है. संपत्ति मालिक ज्यादा किराए की मांग कर रहे थे, जो 25 लाख के करीब है जबकि वतर्मान में किराया 1 लाख 75 हजार के करीब है. ऐसे में इतना किराया न देने पर अब इसे बंद किया जा रहा है.

shimla baljeej restaurant
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Published : Jul 9, 2019, 7:59 PM IST

Updated : Jul 10, 2019, 2:55 PM IST

शिमला: जिले के मालरोड पर स्थित प्रसिद्ध रेस्तरां बालजीज का 64 साल का सुहाना सफर 10 जुलाई को खत्म होने जा रहा है. अब न तो माल रोड पर ये रेस्तरां रहेगा और न ही इसके खास गुलाबजामुन, जिनके स्वाद के पीएम मोदी समेत प्रदेश के सभी मुख्यमंत्री व राजनेता और अभिनेता भी दिवाने हैं.

बता दें कि अब अगर शिमला के मालरोड पर टहलते हुए किसी का गुलाबजामुन खाने का मन होगा तो उसकी ये इच्छा पूरी नहीं हो पाएगी. इसकी वजह है इस फेमस रेस्तरां का बंद होना. देश-दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना चुके बालजीज रेस्तरां का 64 साल का सुहाना सफर खत्म होने जा रहा है.

गौरतलब है कि ये रेस्तरां स्थानीय लोगों की पसंदीदा जगह है, जहां बैठकर वो घंटो अपना समय बिताते हैं और यहां की खास चाय के साथ ही अपनी बातें भी सांझा करते हैं. अब उन्हें इस रेस्तरां में बैठना नहीं मिलेगा. रेस्तरां को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 15 जुलाई को बालजीज रेस्तरां के मालिकों को इसे खाली कर संपत्ति को इसके मालिक को सौंपना है, जिसकी वजह से इसे 10 जुलाई को बंद किया जा रहा है.

वीडियो

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कब हुई थी बालजीज रेस्तरां की शुरूआत
वर्ष 1954 को माल रोड पर इस रेस्तरां को चंद्र बालजीज ने शुरू किया था, जो वर्तमान समय में देश-दुनिया में नाम कमा चुका है. इस रेस्तरां ने एक नहीं अनेक स्वाद लोगों को चखाए जिनका जायका अब चखने को तो नहीं मिलेगा, लेकिन याद जरूर आएगा.

शिमला में इसी रेस्तरां में चॉकलेट की खालिस टॉफी को पहली बार लांच किया गया था, जो आज भी डिमांड में है. इसके साथ ही बालजीज ने ही बेकरी शिमला में शुरू कर यहां के लोगों को ब्रेड का स्वाद भी चखाया था. बालजीज की ब्रेड का स्वाद लोगों को इतना पसंद आया था कि आज भी लोग इसे खरीद रहे हैं.

इस रेस्तरां को चला रही रेणु बालजीज का कहना है कि इस रेस्तरां की शुरुआत उनके ससुर ने की थी. जिसके बाद उनके पति इस होटल को संभाल रहे था.1996 में उनके पति की मृत्यु के बाद उन्होंने खुद इस रेस्तरां को चलाया. उन्होंने कहा कि इस प्रोपर्टी को लेकर एक बार उन्होंने केस जीत भी लिया था, लेकिन प्रॉपर्टी के मालिक ने फिर से केस शुरू किया. जिसके बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने इसे बंद करने के आदेश दे दिए. उन्होंने बताया कि इसकी शुरुआत सबसे पहले इंडियन खाने से थाली सिस्टम से की गई थी और उसके बाद लोगों की डिमांड पर अलग-अलग तरह के खाने यहां बनने लगे.

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वहीं, इस रेस्तरां में 30-40 साल से काम करने वाले वेटरों को कहना है कि उन्होंने इस रेस्तरां से ही अपने काम की शुरुआत की और यहां से ही अपनी शादी के बाद अपने बच्चों को पढ़ाने के बाद उनकी भी शादियां की. अब जब उनकी सेवाएं समाप्त होने की कगार पर थी तो ये रेस्तरां बंद होने जा रहा है, जिससे उन्हें ये लग रहा है कि वो अपने परिवार को छोड़ कर जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यहां काम करते हुए उन्हें एक अलग पहचान मिली.

कर्मचारी ने बताया कि कई मुख्यमंत्री, राजनेताओं, अभिनेताओं समेत बड़े अधिकारियों व हिमाचल भाजपा के प्रबंधक रहे पीएम मोदी भी यहां के गुलाबजामुन के दिवाने हैं. उन्होंने बताया कि इस रेस्तरां के बंद होने से पहले यहां आने वाले स्थानीय लोग भी इसके बंद होने से पहले यहां आखिरी बार बैठने आए और यहां अपनी पंसदीदा डिश खाई. कोई गुलाबजामुन तो कोई चाय तो कोई वड़ा सांभर खाने के लिए बालजीज पहुंचे.

स्थानीय लोगों का कहना है कि उनका पसंदीदा रेस्तरां बालजीज फेसिनेशन था जो अब बंद होने जा रहा है. वो यहां 30 सालों से अधिक समय से आ रहे हैं और यहां के स्टॉफ के साथ भी उनकी अच्छी पहचान है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में इस रेस्तरां को लेकर केस चला था. संपत्ति मालिक ज्यादा किराए की मांग कर रहे थे, जो 25 लाख के करीब है जबकि वतर्मान में किराया 1 लाख 75 हजार के करीब है. ऐसे में इतना कियारा न देने पर अब इसे बंद किया जा रहा है.

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शिमला: जिले के मालरोड पर स्थित प्रसिद्ध रेस्तरां बालजीज का 64 साल का सुहाना सफर 10 जुलाई को खत्म होने जा रहा है. अब न तो माल रोड पर ये रेस्तरां रहेगा और न ही इसके खास गुलाबजामुन, जिनके स्वाद के पीएम मोदी समेत प्रदेश के सभी मुख्यमंत्री व राजनेता और अभिनेता भी दिवाने हैं.

बता दें कि अब अगर शिमला के मालरोड पर टहलते हुए किसी का गुलाबजामुन खाने का मन होगा तो उसकी ये इच्छा पूरी नहीं हो पाएगी. इसकी वजह है इस फेमस रेस्तरां का बंद होना. देश-दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना चुके बालजीज रेस्तरां का 64 साल का सुहाना सफर खत्म होने जा रहा है.

गौरतलब है कि ये रेस्तरां स्थानीय लोगों की पसंदीदा जगह है, जहां बैठकर वो घंटो अपना समय बिताते हैं और यहां की खास चाय के साथ ही अपनी बातें भी सांझा करते हैं. अब उन्हें इस रेस्तरां में बैठना नहीं मिलेगा. रेस्तरां को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 15 जुलाई को बालजीज रेस्तरां के मालिकों को इसे खाली कर संपत्ति को इसके मालिक को सौंपना है, जिसकी वजह से इसे 10 जुलाई को बंद किया जा रहा है.

वीडियो

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कब हुई थी बालजीज रेस्तरां की शुरूआत
वर्ष 1954 को माल रोड पर इस रेस्तरां को चंद्र बालजीज ने शुरू किया था, जो वर्तमान समय में देश-दुनिया में नाम कमा चुका है. इस रेस्तरां ने एक नहीं अनेक स्वाद लोगों को चखाए जिनका जायका अब चखने को तो नहीं मिलेगा, लेकिन याद जरूर आएगा.

शिमला में इसी रेस्तरां में चॉकलेट की खालिस टॉफी को पहली बार लांच किया गया था, जो आज भी डिमांड में है. इसके साथ ही बालजीज ने ही बेकरी शिमला में शुरू कर यहां के लोगों को ब्रेड का स्वाद भी चखाया था. बालजीज की ब्रेड का स्वाद लोगों को इतना पसंद आया था कि आज भी लोग इसे खरीद रहे हैं.

इस रेस्तरां को चला रही रेणु बालजीज का कहना है कि इस रेस्तरां की शुरुआत उनके ससुर ने की थी. जिसके बाद उनके पति इस होटल को संभाल रहे था.1996 में उनके पति की मृत्यु के बाद उन्होंने खुद इस रेस्तरां को चलाया. उन्होंने कहा कि इस प्रोपर्टी को लेकर एक बार उन्होंने केस जीत भी लिया था, लेकिन प्रॉपर्टी के मालिक ने फिर से केस शुरू किया. जिसके बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने इसे बंद करने के आदेश दे दिए. उन्होंने बताया कि इसकी शुरुआत सबसे पहले इंडियन खाने से थाली सिस्टम से की गई थी और उसके बाद लोगों की डिमांड पर अलग-अलग तरह के खाने यहां बनने लगे.

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वहीं, इस रेस्तरां में 30-40 साल से काम करने वाले वेटरों को कहना है कि उन्होंने इस रेस्तरां से ही अपने काम की शुरुआत की और यहां से ही अपनी शादी के बाद अपने बच्चों को पढ़ाने के बाद उनकी भी शादियां की. अब जब उनकी सेवाएं समाप्त होने की कगार पर थी तो ये रेस्तरां बंद होने जा रहा है, जिससे उन्हें ये लग रहा है कि वो अपने परिवार को छोड़ कर जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यहां काम करते हुए उन्हें एक अलग पहचान मिली.

कर्मचारी ने बताया कि कई मुख्यमंत्री, राजनेताओं, अभिनेताओं समेत बड़े अधिकारियों व हिमाचल भाजपा के प्रबंधक रहे पीएम मोदी भी यहां के गुलाबजामुन के दिवाने हैं. उन्होंने बताया कि इस रेस्तरां के बंद होने से पहले यहां आने वाले स्थानीय लोग भी इसके बंद होने से पहले यहां आखिरी बार बैठने आए और यहां अपनी पंसदीदा डिश खाई. कोई गुलाबजामुन तो कोई चाय तो कोई वड़ा सांभर खाने के लिए बालजीज पहुंचे.

स्थानीय लोगों का कहना है कि उनका पसंदीदा रेस्तरां बालजीज फेसिनेशन था जो अब बंद होने जा रहा है. वो यहां 30 सालों से अधिक समय से आ रहे हैं और यहां के स्टॉफ के साथ भी उनकी अच्छी पहचान है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में इस रेस्तरां को लेकर केस चला था. संपत्ति मालिक ज्यादा किराए की मांग कर रहे थे, जो 25 लाख के करीब है जबकि वतर्मान में किराया 1 लाख 75 हजार के करीब है. ऐसे में इतना कियारा न देने पर अब इसे बंद किया जा रहा है.

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Intro:शिमला के मालरोड पर टहलते हुए अगर आपको माल रोड पर स्थित प्रसिद्ध रेस्तरां बालजीज के गुलाबजामुन खाने का मन होगा तो आपकी यह इच्छा अब पूरी नहीं हो पाएगी। इसकी वजह है इस फेमस रेस्तरां का बंद होना। देश-दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना चुके बालजीज रेस्तरां का 64 साल का सुहाना सफर 10 जुलाई को खत्म होने जा रहा है। अब ना तो माल रोड पर यह रेस्तरां रहेगा और ना ही इसके वो खास गुलाबजामुन जिनके स्वाद के पीएम मोदी सहित प्रदेश के सभी मुख्यमंत्री और राजनेता ओर अभिनेता भी है। स्थानीय लोगों की तो यह पसंदीदा जगह है जहां बैठकर वो घंटो अपना समय बिताते थे और यहां की खास चाय के साथ ही अपनी बातें भी सांझा करते है। अब उन्हें इस रेस्तरां में बैठना नहीं मिलेगा। रेस्तरां को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 15 जुलाई को बालजीज रेस्तरां के मालिकों को इसे खाली कर संपति को इसके मालिक को सौंपना है जिसकी वजह से इसे 10 जुलाई को बंद किया जा रहा है। 1954 को माल रोड पर इस रेस्तरां को चंद्र बालजीज ने शुरू किया था जो वर्तमान समय में देश दुनिया में नाम कमा चुका है।


Body:इस रेस्तरां ने एक नहीं अनेक स्वाद लोगों को चखाए जिनका जायका अब चखने को तो नहीं मिलेगा लेकिन याद जरूर आएगा। शिमला में इसी रेस्तरां में चॉकलेट की खालिस टॉफी पहली बार लांच किया गया था ओर आज भी यह डिमांड में है। इसके साथ ही बालजीज ने ही बेकरी शिमला में शुरू कर यहां के लोगों को ब्रेड का स्वाद कि चखाया था। बालजीज की ब्रेड का स्वाद लोगों को इतना पसंद आया था कि आज भी लोग इसे खरीद रहे है। इस रेस्तरां को चला रही रेणु बालजी का कहना है कि इस रेस्तरां की शुरुआत उनके ससुर ने की थी जिसके बाद उनके पति और 1996 में उनकी पति की मृत्यु के बाद उन्होंने खुद इस रेस्टोरेंट को चलाया। उन्होंने कहा कि इस प्रोपर्टी को लेकर एक बार उन्होंने केस जीत भी लिया था लेकिन पॉपर्टी के मालिक ने फिर से केस शुरू किया जिसके बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने इसे बंद करने के आदेश दे दिए। उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत सबसे पहले इंडियन खाने से थाली सिस्टम से की गई थी और उसके बाद लोगों की डिमांड पर अलग-अलग तरह के खाने यहां बनने लगे।


Conclusion:वहीं इस रेस्तरां में 40 ओर 30 साल से काम करने वाले वेटरों को कहना है कि उन्होंने इस रेस्तरां से ही अपने काम की शुरुआत की ओर यहां से ही अपनी शादी के बाद अपने बच्चों को पढ़ाने के बाद उनकी भी शादियां की। अब जब उनकी सेवाएं समाप्त होने की कगार पर थी तो यह रेस्तरां बंद होने जा रहा है जिससे उन्हें यह लग रहा है कि वो अपने परिवार को छोड़ कर जा रहे है। उन्होंने कहा कि यहां काम करते हुए उन्हें एक अलग पहचान मिली। क़ई मुख्यमंत्री ,राजनेताओं, अभिनेताओं सहित बड़े अधिकारियों से उनकी मुलाकात हुई। इसके साथ ही इस रेस्तरां के बंद होने से पहले यहां बैठकर वाले स्थानीय लोग भी इसके बंद होने से पहले यहां आखिरी बार बैठने आए ओर यहां अपनी पंसदीदा डिश खाई। कोई गुलाबजामुन तो कोई चाय तो कोई वड़ा सांभर खाने के लिए बालजीज पहुंचे। उन्होंने कहा कि उनका पसंदीदा रेस्तरां बालजीज फेसिनेशन था जो अब बंद होने जा रहा है। वो यहां 30 सालों से अधिक समय से आ रहे है और यहां के स्टॉफ के साथ भी पहचान है। बता दे की सुप्रीमकोर्ट में इस रेस्तरां को लेकर केस चला था। संपति मालिक ज्यादा किराए की मांग कर रहे थे जो थी 25 लाख के करीब है जबकि वतर्मान में किराया 1 लाख 75 हजार के करीब है। ऐसे में इतना कियारा ना देने पर अब इसे बंद किया जा रहा है।
Last Updated : Jul 10, 2019, 2:55 PM IST
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