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प्रदेश पशुपालन विभाग को मिली बड़ी सफलता, कृत्रिम गर्भधारण से रम्बुलेट नस्ल के मेमने का जन्म

रामपुर उपमंडल के ज्यूरी में कृत्रिम गर्भाधान से भेड़ ने एक मेमने को जन्म दिया है. प्रदेश में पहली बार फ्रांस ऑरिजन की रम्बुलेट नस्ल के मेढ़ के सीमन को बुशहरी भेड़ से कृत्रिम गर्भाधान करा कर तैयार किया गया है, जिससे इस मेमने का जन्म हुआ.

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Published : Nov 22, 2019, 6:30 PM IST

रामपुर: प्रदेश पशुपालन विभाग को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. रामपुर उपमंडल के ज्यूरी में कृत्रिम गर्भाधान से भेड़ ने एक मेमने को जन्म दिया है.पशुपालन विभाग के चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर रवीन्द्र शर्मा ने बताया कि ये परीक्षण हिमाचल में पहली बार हुआ है. उन्होंने बताया कि इसके लिए रामपुर की पूरी टीम को श्रेय जाता है. परीक्षण के बाद प्रदेश के अन्य पशुपालकों को भी इसके बारे में बताया जाएगा.

प्रदेश में पहली बार फ्रांस ऑरिजन की रम्बुलेट नस्ल के मेढ़ के सीमन को बुशहरी भेड़ से कृत्रिम गर्भाधान करा कर तैयार किया गया है, जिससे इस मेमने का जन्म हुआ. इस नस्ल की भेड़ों और मेढ़ों का वजन अधिक होता है. वहीं, इनसे ऊन भी अधिक मात्रा में प्राप्त होती है. वहीं, मेमने में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक होती है.

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पशुपालन विभाग के ज्यूरी भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र में इसका सफल परीक्षण हो चुका है. हिमाचल में भेड़ों की नस्ल में सुधार के लिए रम्बुलेट नस्ल की भेड़ें मील का पत्थर साबित हो सकती हैं. इससे भेड़ पालकों की आर्थिकी भी अच्छी होगी.

ज्यूरी भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र ने रेम्बुलेट के सीमन को रामपुर क्षेत्र में पाई जाने वाली एफ टू भेड़ से गर्भधारण कराया , जिससे ये मेमना पैदा हुआ है. अंतररार्ष्ट्रीय लवी मेले के दौरान विभाग ने इसे विकासात्मक प्रदर्शनी में भी रखा था और भेड़ पालकों को नई नस्ल के बार में भी जागरूक किया था. इस मेमने का नाम अधिकारियों ने रैबू रखा है.

बता दें कि प्रदेश पशुपालन विभाग ने 70 के दशक में यूएसए के टेक्सास से रेम्बुलेट नस्ल के मेढ़ों को लाया था, जिसके बाद विभाग ने भेड़ प्रजनन केंद्र में इसका विस्तार किया. इस नस्ल के मेढ़ 85 किलो से अधिक वजनी और एक समय में साढ़े तीन किलो से अधिक ऊन देने वाले होते हैं.

वहीं, बुशहरी नसल की भेड़ों में बीमारियों का प्रकोप कम रहता है. कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को सहन करने की क्षमता भी इनमें होती है. अब दोनों नस्लों के मिश्रण से जो मेमने पैदा होंगे उससे नस्ल में सुधार होगा, जिससे भेड़पालकों की भी आय बढ़ेगी.

रामपुर: प्रदेश पशुपालन विभाग को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. रामपुर उपमंडल के ज्यूरी में कृत्रिम गर्भाधान से भेड़ ने एक मेमने को जन्म दिया है.पशुपालन विभाग के चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर रवीन्द्र शर्मा ने बताया कि ये परीक्षण हिमाचल में पहली बार हुआ है. उन्होंने बताया कि इसके लिए रामपुर की पूरी टीम को श्रेय जाता है. परीक्षण के बाद प्रदेश के अन्य पशुपालकों को भी इसके बारे में बताया जाएगा.

प्रदेश में पहली बार फ्रांस ऑरिजन की रम्बुलेट नस्ल के मेढ़ के सीमन को बुशहरी भेड़ से कृत्रिम गर्भाधान करा कर तैयार किया गया है, जिससे इस मेमने का जन्म हुआ. इस नस्ल की भेड़ों और मेढ़ों का वजन अधिक होता है. वहीं, इनसे ऊन भी अधिक मात्रा में प्राप्त होती है. वहीं, मेमने में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक होती है.

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पशुपालन विभाग के ज्यूरी भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र में इसका सफल परीक्षण हो चुका है. हिमाचल में भेड़ों की नस्ल में सुधार के लिए रम्बुलेट नस्ल की भेड़ें मील का पत्थर साबित हो सकती हैं. इससे भेड़ पालकों की आर्थिकी भी अच्छी होगी.

ज्यूरी भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र ने रेम्बुलेट के सीमन को रामपुर क्षेत्र में पाई जाने वाली एफ टू भेड़ से गर्भधारण कराया , जिससे ये मेमना पैदा हुआ है. अंतररार्ष्ट्रीय लवी मेले के दौरान विभाग ने इसे विकासात्मक प्रदर्शनी में भी रखा था और भेड़ पालकों को नई नस्ल के बार में भी जागरूक किया था. इस मेमने का नाम अधिकारियों ने रैबू रखा है.

बता दें कि प्रदेश पशुपालन विभाग ने 70 के दशक में यूएसए के टेक्सास से रेम्बुलेट नस्ल के मेढ़ों को लाया था, जिसके बाद विभाग ने भेड़ प्रजनन केंद्र में इसका विस्तार किया. इस नस्ल के मेढ़ 85 किलो से अधिक वजनी और एक समय में साढ़े तीन किलो से अधिक ऊन देने वाले होते हैं.

वहीं, बुशहरी नसल की भेड़ों में बीमारियों का प्रकोप कम रहता है. कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को सहन करने की क्षमता भी इनमें होती है. अब दोनों नस्लों के मिश्रण से जो मेमने पैदा होंगे उससे नस्ल में सुधार होगा, जिससे भेड़पालकों की भी आय बढ़ेगी.

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हिमाचल प्रदेश पशुपालन विभाग को एक बहुत बड़ी कामयाबी हासील हुई है। यह कामयाबी रामपुर उपमंडल के ज्यूरी में कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र में कृत्रिम गर्भधारण से एक मेमना पैदा कराने में सफलता हासील की है। पशुपालन विभाग के चिकित्सा अधिकारी डाक्टर रवीन्द्र शर्मा ने बताया कि यह प्ररीक्षण हिमाचल में पहली बार हुआ है। उन्होंने बताया कि इसके लिए रामपुर की पुरी टीम को श्रय जाता है। उन्होंने बताया कि अभी इस तरह का परीक्षण ज्युरी भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र में ही किया जा रहा है। इसके बाद अन्य केन्द्र व पशुपालकों को भी इस बारे में बताया जाएगा।
हिमाचल में पहली बार फ्रांस ऑरिजन की रम्बुलेट नस्ल के मेढ़ के सीमन को बुशहरी भेड़ से कृत्रिम गर्भाधान करा कर तैयार हुआ है रैबु। इस नस्ल से जहाँ भेड़ का वजन और उन अधिक होगी वही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी इस में होगी । पशुपालन विभाग के ज्यूरी भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र में इसका सफल परीक्षण हो चुका है। हिमाचल में भेड़ों के नस्ल सुधार में रेम्बो आने वाले समय में मील का पत्थर साबित हो सकता है। इससे भेड़ पालको की आर्थिकी भी मजबूत हो सकती है। पशुपालन विभाग के ज्यूरी स्थित भेड़ प्रजजन प्रक्षेत्र ने कृत्रिम गर्भधारण से मेमने पैदा कराने में सफलता हासिल की है। यह प्रयोग हिमाचल प्रदेश में पहली बार ज्यूरी में सफल हुआ है। ज्यूरी भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र ने रेम्बुलेट के सीमन को रामपुर क्षेत्र में पाई जाने वाली एफ टू भेड़ से गर्भधारण कराया और 3 नवम्बर को मेमना पैदा हुआ । अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले के दौरान विभाग ने इसे विकासात्मक प्रदर्शनी में भी रखा था और भेड़ पालको को जागरूक किया जा रहा था। अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले के दौरान ही इस मेमंने का अधिकारियो ने नामकरण कर रैबु नाम दिया ।
उल्लेखनीय हैकि पशुपालन विभाग ने यूएसए के टेक्सास से 70 के दशक में रेम्बुलेट नस्ल के मेढ़ो को लाया था। उस के बाद विभाग के भेड़ प्रजजन केंद्र में इस का विस्तार किया गया। मूल रूप से यह नस्ल फ्रांस की है और इस नस्ल के मेढ़ 85 किलो से अधिक वजनी और एक समय में ऊन साढ़े तीन किलो से अधिक निकलता है। बुशहरी नसल की भेड़ो में बीमारियों का प्रकोप कम रहता है और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को सहन करने की क्षमता रहती है। अब दोनों नस्लों के मिश्रण से सभी गुण इन भेड़ो में विध्यमान होंगे । इस से भेड़ पलकों को अपनी आय बढ़ाने के लिए नस्ल सुधार का रास्ता साफ़ हो गया है।

वहीं इस मेमने का नाम उप निदेशक शिमला द्वारा रैबु रखा गया है।



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