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हिमाचल में अब इच्छुक स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की 68 साल तक ली जा सकेंगी सेवाएं, सरकार ने पॉलिसी में किया बदलाव

Service Extension To Specialist Doctors In Himachal: विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को देखते हुए हिमाचल सरकार ने अपनी पॉलिसी में बदलाव किया है. अब प्रदेश में जो डॉक्टर 68 साल तक अपनी सेवाएं देना चाहते हैं वह दे सकते हैं. इससे विभिन्न अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को दूर किया जा सकेगा. पढ़ें पूरी खबर...

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सांकेतिक तस्वीर.
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 19, 2023, 2:59 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में चल रही विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को लेकर प्रदेश सरकार चिंतित है. सरकार ने अब अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को पूरा करने के लिए हल निकाला है. सरकार ने विशेषज्ञ चिकित्सकों को कहा है कि जो डॉक्टर 68 साल तक अपनी सेवाएं देना चाहते हैं वह दे सकते हैं. इससे विभिन्न अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को दूर किया जा सकेगा. सरकार के इस फैसले के बाद प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में इच्छुक विशेषज्ञ चिकित्सकों को रिटायरमेंट होने के बाद अब 68 साल तक पुन: रोजगार दिया जाएगा.

हिमाचल सरकार ने इसके लिए पॉलिसी में बदलाव कर दिया है. पहले शिमला के आईजीएमसी और कांगड़ा के टांडा मेडिकल कॉलेज में ही 62 साल में रिटायर होने वाले डॉक्टरों को 3 साल का पुन: रोजगार देकर 65 साल तक इनकी सेवाएं ली जाती थीं. सरकार ने पॉलिसी में बदलाव करते हुए अब हमीरपुर, नेरचौक, नाहन और चंबा मेडिकल कॉलेज में सेवाएं देने वाले इच्छुक डॉक्टरों को 65 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होने के बाद 3 साल तक पुन: रोजगार देने का फैसला किया है. ये डॉक्टर अब 68 साल तक सेवाएं दे सकेंगे. विभाग ने इसको लेकर अधिसूचना जारी की.

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हिमाचल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी: पॉलिसी में यह भी व्यवस्था की है कि चमियाणा, नेरचौक, हमीरपुर, चंबा और नाहन मेडिकल कॉलेजों से सेवानिवृत्त होने वाले स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के मना किए जाने के बाद ही आईजीएमसी और टांडा के डॉक्टरों को पुन: रोजगार दिया जाएगा. मेडिकल कॉलेजों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती होने के बाद इन्हें हटाया भी जा सकता है. हिमाचल प्रदेश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है. आईजीएमसी और टांडा को छोड़कर अन्य चारों मेडिकल कालेजों में विशेषज्ञ नहीं हैं.

रिटायर होने के बाद प्राइवेट में सेवाएं देते हैं डॉक्टर: देखा गया है कि विशेषज्ञ डॉक्टर सेवानिवृत होने के बाद या तो अपना क्लीनिक खोल लेते हैं या निजी अस्पताल में सेवा देने लग जाते हैं और वहां पर लोगों की भीड़ लगी रहती है. हिमाचल में कई ऐसे विशेषज्ञ चिकित्सक हैं जो सेवानिवृत होने के बाद निजी अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. ऐसे में सरकार ने यह फैसला लिया है और अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों को 68 साल तक नौकरी का मौका दे रही है. जिससे अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधा बेहतर हो सके.

ये भी पढ़ें- शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले बीजेपी ने खोला मोर्चा, गले में पोस्टर टांगकर सरकार से पूछा- कब पूरी होंगी गारंटियां ?

शिमला: हिमाचल प्रदेश में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में चल रही विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को लेकर प्रदेश सरकार चिंतित है. सरकार ने अब अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को पूरा करने के लिए हल निकाला है. सरकार ने विशेषज्ञ चिकित्सकों को कहा है कि जो डॉक्टर 68 साल तक अपनी सेवाएं देना चाहते हैं वह दे सकते हैं. इससे विभिन्न अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को दूर किया जा सकेगा. सरकार के इस फैसले के बाद प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में इच्छुक विशेषज्ञ चिकित्सकों को रिटायरमेंट होने के बाद अब 68 साल तक पुन: रोजगार दिया जाएगा.

हिमाचल सरकार ने इसके लिए पॉलिसी में बदलाव कर दिया है. पहले शिमला के आईजीएमसी और कांगड़ा के टांडा मेडिकल कॉलेज में ही 62 साल में रिटायर होने वाले डॉक्टरों को 3 साल का पुन: रोजगार देकर 65 साल तक इनकी सेवाएं ली जाती थीं. सरकार ने पॉलिसी में बदलाव करते हुए अब हमीरपुर, नेरचौक, नाहन और चंबा मेडिकल कॉलेज में सेवाएं देने वाले इच्छुक डॉक्टरों को 65 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होने के बाद 3 साल तक पुन: रोजगार देने का फैसला किया है. ये डॉक्टर अब 68 साल तक सेवाएं दे सकेंगे. विभाग ने इसको लेकर अधिसूचना जारी की.

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रिटायर होने के बाद प्राइवेट में सेवाएं देते हैं डॉक्टर: देखा गया है कि विशेषज्ञ डॉक्टर सेवानिवृत होने के बाद या तो अपना क्लीनिक खोल लेते हैं या निजी अस्पताल में सेवा देने लग जाते हैं और वहां पर लोगों की भीड़ लगी रहती है. हिमाचल में कई ऐसे विशेषज्ञ चिकित्सक हैं जो सेवानिवृत होने के बाद निजी अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. ऐसे में सरकार ने यह फैसला लिया है और अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों को 68 साल तक नौकरी का मौका दे रही है. जिससे अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधा बेहतर हो सके.

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