शिमला: हिमाचल में गुरुवार से भगवान शिव के प्रिय सावन मास की शुरुआत हो रही है. सावन माह को शास्त्रों के अनुसार बेहद ही शुभ और पवित्र महीना माना गया है और इस माह में भगवान शिव की पूजा आराधना का एक विशेष महत्व है.
इस माह में जो भी लोग भगवान शिव की पूजा आराधना करते हैं उनकी मनोकामना भगवान भोलेनाथ पूरी करते हैं. देश में जहां कुछ क्षेत्रों में 6 जुलाई से ही इस पवित्र मास की शुरुआत हो गई है वहीं हिमाचल में इसकी शुरुआत 16 जुलाई यानी सक्रांति से होगी.
कल गुरुवार को सक्रांति से सावन मास की शुरुआत हो जाएगी जो 15 अगस्त तक चलेगी. 15 अगस्त जितने भी सोमवार आएंगे उन सोमवार को उपवास कर भगवान शिव की पूजा अर्चना करने पर विशेष फल प्राप्त होगा. प्रदेश में अन्य राज्यों के मुकाबले सावन मास की शुरुआत 10 से 12 दिन बाद ही होती है.
इसकी खास वजह यह भी है कि यहां सक्रांति के बाद ही जब सूर्य अपनी दशा बदलता है और कर्क राशि में प्रवेश करता है तब से लोग सावन मास को मानते है. हिमाचल में भी धार्मिक दृष्टि से माह की खास महता है और लोग इस माह में भगवान शिव की विशेष पूजा अराधना करते है और उपवास भी करते है.
हिमाचल में अभी तक नहीं खुले मंदिर
सावन मास में प्रदेश जितने भी बड़े शिव धाम है उनमें खास तौर पर श्रद्धालुओं की भीड़ भगवान शिव की पूजा आराधना के लिए आते हैं, लेकिन इस बार कोविड-19 की परिस्थितियों की वजह से यह संभव नहीं हो पाएगा. प्रदेश में मंदिरों को खोलने को लेकर सरकार पक्ष में नहीं है और अभी तक मंदिर नहीं खोले गए हैं, ऐसे में इस सावन मास में भक्त शिवालयों में आकर भगवान शिव का जलाभिषेक नहीं कर सकेंगे.
उन्हें घर पर ही भगवान शिव की पूजा आराधना करनी होगी. मंदिरों के पंडित भी लोगों को यही सलाह दे रहे हैं कि अभी जब मंदिर नहीं खुले हैं तो वह अपने घरों में रहकर भगवान भोले शंकर की पूजा आराधना करें. भगवान भोले शंकर उन्हें उतना ही फल उस पूजा का प्राप्त करेंगे जितना मंदिरों में आकर जलाभिषेक करने से उन्हें प्राप्त होगा.
शिमला के प्राचीन शिव मंदिर के पंडित वासुदेव ने बताया कि हिमाचल में सावन मास की शुरुवात कल से हो रही है. शास्त्रों के अनुसार जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है तब से सावन मास की शुरुवात होती है. सावन मास भगवान शिव का प्रिय महीना होता है और इसी मास में भगवान शिव ओर मां पार्वती का मिलन हुआ था.माता पार्वती में इसी माह में भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की थी.
इसी को देखते हुए सावन मास का खास महत्व धार्मिक दृष्टि से होता है.इस महीने के बीच आने वाले सोमवार को उपवास रखा जाता है. भगवान शिव की पूजा आराधना की जाती है और उनका जलाभिषेक किया जाता है, जिससे भगवान भोले शंकर प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
इस सावन मास में चारों और हरियाली ही हरियाली होती है जिससे मन प्रसन्न रहता है और नई शुरुआत के लिए भी इस सावन मास को बेहद ही शुभ और पवित्र माना जाता है कोई भी कार्य इस सावन मास में शुरू किया जा सकता है. प्रदेश में सावन मास की शुरुवात से ही मणिमहेश, श्री खड़, किन्नर कैलाश की यात्राओं की भी शुरुआत होती है लेकिन इस बार कोविड 19 कि वजह से इन यात्राओं को लेकर भी असमंजस है.
कहीं पर चन्द्र मास तो कहीं सक्रांति से मानी जाती है सावन माह की शुरुआत
कुछ प्रदेशों में आज से सावन मास की शुरुवात हो गई है जिसकी वजह यह है कि वहां चन्द्र मास लिया जाता है ओर बुद्ध पूर्णिमा से लेकर रक्षाबंधन की पूर्णिमा तक यह महीना मनाया जाता है. यही वजह है कि मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश ओर झारखंड के शिवधामों में आज से ही सावन मास ओर ज्योतिर्लिंगों की पूजा अर्चना शुरू हो गई है. वहीं, कुछ जगहों पर इसकी शुरुवात 21 जुलाई से भी होगी ओर हिमाचल में 16 जुलाई से 15 अगस्त तक सावन महीना रहेगा.
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