शिमला: हिमाचल में बीते दो माह में 207 जानें गई हैं. इनमें भी करीब दो तिहाई मौतें पांच जिलों शिमला, सोलन, सिरमौर, मंडी और कुल्लू जिले में हुई हैं. वहीं, सभी तरह के डिजास्टर से मरने वालों में सबसे अधिक रोड एक्सीडेंट से संबंधित हैं. प्रदेश में कुल 207 मौतों से 144 लोगों की जान सड़क हादसों की वजह से हुई है. स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.
प्रदेश प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से संवेदनशील है. यहां की भौगोलिक स्थिति के चलते सड़क हादसों में जानें भी ज्यादा जा रही हैं. बीते दो माह यानी मार्च माह से लेकर अब तक के आंकड़े बता रहे हैं कि प्रदेश में 207 जानें इस दौरान गई हैं. यानी हर रोज तीन से चार लोगों की जान यहां पर गई हैं. सबसे अधिक मरने वालों की संख्या सड़क हादसों में है. यह भी ध्यान देने वाली बात है कि सबसे अधिक मौतें शिमला, सोलन, शिमला, सिरमौर जिला, कुल्लू और मंडी जिले में हुई हैं.
कुल मौतों में से करीब दो तिहाई मौतें इन जिलों में हुई हैं. इनमें शिमला जिले में 34, मंडी में 30, सिरमौर जिले में 27, सोलन जिले में 33 और कुल्लू जिले में 20 मौतें इस दौरान हुई हैं. इसी तरह बिलासपुर जिले में 17 मौतें, चंबा जिले में 10, हमीरपुर में 4, कांगड़ा जिले में 13, किन्नौर में 3, लाहौल स्पीति में 2 और ऊना जिला में 14 मौतें इस दौरान हुई हैं.
144 लोगों की सड़क हादसों में, 45 की गिरने से मौत: प्रदेश डिजास्टर मैनेजमेंट आथोरिटी की रिपोर्ट की अनुसार प्रदेश में हुई 207 मौतों में से सबसे अधिक 144 मौतें सड़क हादसों में हुई हैं. वहीं प्रदेश में 45 लोगों की मौत गिरने से भी हुई हैं. इसके अलावा 3 मौतें लैंड स्लाइड की वजह से हुई है. पानी में डूबने से 7 लोगों की जानें, बिजली के करंट लगने से 4 और एक मौत आग की वजह से हुई है. 3 मौतें अन्य कारणों से हुई हैं.
10 सालों में 11 हजार लोगों की गई जान: हिमाचल में सबसे अधिक जानें सड़क हादसों में हो रही हैं. बीते दस सालों में हिमाचल में 11 हजार से अधिक लोगों की मौतें हुई हैं. बीते 10 सालों के आंकड़ों को देखें तो राज्य में साल 2013 से लेकर 2022 तक 1097 जानें सड़क हादसों में गई हैं. साल 2013 में 2981 हादसों में 1054 जानें, 2014 में 3059 सड़क हादसों में 1199, साल 2015 में 3010 हादसों में 1097, साल 2016 में 3156 हादसों में 1163. साल 2017 में 3119 हादसों में 1176 जानें गई हैं. इसी तरह साल 2018 में 3118 सड़क हादसों में 1168 जानें, 2019 में 2896 हादसों में 1199, साल 2020 में 2236 हादसों में 866 जानें, 2021 में 2408 सड़क हादसों में 1014 और 2022 में 2592 हादसों में 1001 जानें गई हैं, इसी तरह इस साल मार्च माह तक हिमाचल में 574 सड़क हादसे हुए हैं, जिनमें 229 जानें गई हैं.
अधिकांश सड़क हादसों के पीछे मानवीय लापरवाही: प्रदेश में सड़क हादसे की एक बड़ी वजह मानवीय लापरवाही है. प्रदेश में होने वाले 95 फीसदी सड़क हादसों के पीछे मानवीय चूक है. सरकार ने कुछ समय पहले एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें बताया गया था कि प्रदेश में होने वाले 51 फीसदी से अधिक हादसे ओवर स्पीड की वजह से हो रहे हैं. वहीं गाड़ी को गफलत से मोड़ने की वजह से 16 फीसदी हादसे और लापरवाही से गाड़ी चलाने पर 9 फीसदी हादसे हो रहे हैं. खराब सड़क, खराब गाड़ी और खराब मौसम की वजह से करीब 4.5 फीसदी हादसे होते हैं. वहीं हिमाचल की भौगोलिक परिस्थिति ऐसी है कि यहां पर गाड़ी के दुर्घटनाग्रस्त होने से अधिक जाने जाती हैं. राज्य का अधिकतर हिस्सा पहाड़ी है जहां पर एक छोटा हादसा भी मौत की वजह बन जाता है.
विभाग क्रैश बैरियर, साइनेज लगाने के साथ ब्लैक स्पॉट को कर रहा दुरूस्त: पीडब्ल्यूडी के ईएनसी अजय गुप्ता का कहना है कि लोक निर्माण विभाग सड़कों को बेहतर बनाने के लिए लगातार कदम उठा रहा है. वहीं संभावित हादसों को रोकने के लिए तहत हर साल सड़कों पर क्रैश बैरियर और साइनेज आदि लगाए जा रहे हैं. वहीं एक्सीडेंट संभावित जगहों यानी ब्लैक स्पॉट पर विभाग ज्यादा फोकस कर रहा है. इन जगहों पर हादसों का पता लगाकर उसी अनुसार कदम उठाए जा रहे हैं.
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