शिमला: हिमाचल सरकार ने शहरी निकायों में सालों से पड़े सॉलिड वेस्ट को वैज्ञानिक तरीके से ठिकाने लगाने के लिए कसरत शुरू कर दी है. सरकार इस वेस्ट को आरडीएफ यानी रिफ्यूज डिराइव्ड फ्यूल में बदलेगी, जिसका इस्तेमाल फ्यूल के पर औद्योगिक इकाईयों में किया जा सकता है. इसके लिए सरकार निजी क्षेत्र का सहयोग ले रही है. पहले चरण में उन 6 शहरी निकायों के सॉलिड वेस्ट को ठिकाने लगाया जाएगा, जहां इसकी बहुत ज्यादा मात्रा है.
17 नगर निकायों में समस्या: हिमाचल में करीब 17 नगर निकायों में कई सालों से वेस्ट की समस्या है, जिसको लीगेसी वेस्ट भी कहा जाता है. इन जगहों पर कभी डंपिंग साइटें हुआ करती थीं, जहां की कचरा जमा होता गया और आज यह कचरा इंसान के स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बन गया है. इन निकायों में करीब 2.63 लाख टन कचरा पड़ा हुआ था, इनमें से तीन जगहों सुंदरनगर, सरकाघाट और रोहड़ू में करीब 79 हजार टन कचरे को डिस्पोज ऑफ कर दिया गया. इसके अलावा करीब 1.84 हजार टन वेस्ट अभी भी बचा हुआ है, जिसको ठिकाने लगाने के लिए अब कवायद तेज हो गई है.
रिफ्यूज डिराइव्ड फ्यूल में बदला जाएगा: हिमाचल में इस वेस्ट को आरडीएफ यानी रिफ्यूज डेराइविड फ्यूल में बदला जाएगा. इसके लिए शहरी विकास विभाग ने निजी क्षेत्र का सहयोग लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. वे फर्म जो इस क्षेत्र में काम कर रही हैं उनको इन निकायों में वेस्ट को आरडीएफ में बदलने का काम दिया जाएगा. इस काम में सॉलिड वेस्ट को वेस्ट कन्वर्जन तकनीक से टुकड़ों में काटकर और डिहाइड्रेट कर आरडीएफ में बदला जाता है, जिसका इस्तेमाल कई उद्योगों में फोसिल फ्यूल के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है.
पहले चरण में 6 शहरी निकायों में काम: शहरी विभाग पहले चरण में उन निकायों के वेस्ट को ठिकाने लगाएगा जहां ज्यादा मात्रा में यह है. इनमें धर्मशाला, मंडी, सोलन, कुल्लू, मनाली और बद्दी के निकायों का वेस्ट शामिल है. इन निकायों में धर्मशाला 36000, मंडी में 39000 टन, सोलन (सलोगड़ा) 28000 टन, कुल्लू 20000 टन, मनाली में 37000 और बद्दी 15000 टन को ठिकाने लगया जाएगा.
फिर आएगा यहां का नंबर: जानकारी के मुताबिक उसके बाद बिलासपुर 6400 टन, हमीरपुर 1868 टन, ऊना 1200 टन, संतोखगढ़ 1800 टन, बैजनाथ 28 टन, चुवाड़ी 500 टन, डलहौजी 24 टन और रिवालसर में 18 टन कचरे को ठिकाने लगया जाएगा. बता दें कि सॉलिड वेस्ट स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है. बारिश के समय इसका पानी रिसकर नदियों, तालाबों और जलाशयों तक पहुंच जाता, जिससे इनका पानी जहरीला हो जाता है. यही वजह है कि सरकार भी इसको ठिकाने लगाने के लिए अब तेजी से कार्य कर रही है.
एनजीटी कर रहा निगरानी: शहरी निकायों में वेस्ट को लेकर एनजीटी ने सरकार को कड़े निर्देश दे रखे हैं. निकायों में सॉलिड वेस्ट को वैज्ञानिक तरीके से ठिकाने लगाने के लिए सरकार को समय-समय पर कहा गया है. हिमाचल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी इस बारे में कार्रवाई करने को कहा है. हाल ही में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वेस्ट को लेकर शहरी विकास विभाग और ग्रामीण विकास विभाग और पंचायती राज विभाग को निर्देश दिए थे.
आरडीएफ में कन्वर्ट करने का जल्द शुरू होगा काम: मुख्य संसदीय सचिव शहरी विकास विभाग आशीष बुटेल ने कहा है कि लीगेसी वेस्ट को लेकर शहरी विकास विभाग, शहरी निकायों के अधिकारियों के साथ बैठक हुई है. इसमें इसको आरडीएफ में कन्वर्ट करने के लिए खाका तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि इसके लिए निजी क्षेत्र का सहयोग लिया जा रहा है. पहले चरण में उन निकायों में इसका काम किया जाएगा जहां ज्यादा मात्रा में वेस्ट पड़ा है, इसके बाद बाकी जगहों का कचरा भी डिस्पोज ऑफ किया जाएगा. उन्होंने कहा कि लोगों को भी कचरे को लेकर जागरूक किया जाएगा ,ताकि भविष्य में इस तरह का कूड़े की समस्या पैदा न हो.