शिमला: बीजेपी विधायक रमेश धवाला ने अपनी ही सरकार को घेरा है. धवाला ने कहा कि कई विभागों में अफसरों की फौज है, लेकिन कर्मचारियों की भारी कमी है. उन्होंने एचआरटीसी का उदाहरण देते हुए कहा कि निगम में करीब 50 आरएम हैं, लेकिन ड्राइवर और कंडक्टर के पद भारी संख्या में खाली हैं. यही सबसे बड़ा कारण है कि आज प्रदेश में कई निगम और बोर्ड घाटे में चल रहे हैं. अफसरों की फौज खड़ी हो गई है, निगम-बोर्ड घाटे में हैं. इनके लिए काम ढूंढना चाहिए.
बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए विधायक रमेश धवाला ने अफसरशाही पर नकेल कसने और फिजूलखर्ची पर भी रोक लगाने की मांग की है. प्रदेश में नेताओं के अलावा अधिकारियों द्वारा गाड़ियों के फिजूल इस्तेमाल पर भी लगाम लगाने की जरूरत है. गाड़ियों की माइलेज कागजों में कुछ और भरी जाती है, जबकि होती कुछ और है.
पेंशन योजना पर उठाए सवाल
धवाला ने अब संपन्न महिलाओं को 1000 रुपये पेंशन देने की योजना पर सवाल उठाया है. नारी संबल योजना में संशोधन की जरूरत बताते हुए धवाला ने कहा कि 65 से 69 आयु की सिर्फ जरूरतमंद महिलाओं को इस योजना का लाभ मिलना चाहिए. धवाला ने कहा कि मेरी पत्नी भी इस आयु वर्ग के तहत आती हैं. उन्हें 1000 रुपये देने की जरूरत नहीं है.
आर्थिक तौर पर मजबूत होने की अपार संभावनाएं
इसी तरह कई सरकारी कर्मी जो पेंशन के तौर पर अच्छा पैसा ले रहे हैं, उनकी पत्नियों को भी इस दायरे से बाहर करना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रदेश में रोजगार प्राप्त करने और आर्थिक तौर पर मजबूत होने की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन योजनाएं फाइलों तक ही सीमित है. हालात यही रहे तो वेतन देना तक मुश्किल हो जाएगा.
धवाला ने कहा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक बच्चे को पढ़ाने के लिए करीब 70 हजार का वेतन लेने वाला एक शिक्षक नियुक्त है. चार-पांच बच्चों की संख्या वाले कई स्कूल हैं. इन्हें समायोजित किया जाना चाहिए. इस पर विचार करने की जरूरत है.
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