शिमला: प्रदेश की राजधानी शिमला में प्रसिद्ध बिशप कॉटन स्कूल ने शुक्रवार को अपना 164वां स्थापना दिवस मनाया. वहीं, स्थापना दिवस पर लोक निर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य सिंह मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे ओर केक काट कर स्थापना दिवस मनाया. इस स्कूल से पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह सहित कई बड़ी हस्तियां यही से पढ़े हैं. वर्तमान सरकार में लोकनिर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी इसी स्कूल पढ़े हैं. दरअसल, स्थापना दिवस पर स्कूल में पहुचे विक्रमादित्य सिंह ने अपने स्कूली दिनों को याद किया और कहा कि बिशप कॉटन स्कूल से पढ़ाई करने के बाद आज मुख्य अतिथि के रूप में इसी स्कूल में आना मेरे लिए बड़े सम्मान की बात है.
'नहीं पता था मुख्य अतिथि के रूप में आने का मिलेगा सौभाग्य': विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि यह स्कूल मेरे लिए एक विशेष स्थान रखता है ओर आज छात्र जीवन में स्कूल में बिताए हुए पल याद आ गए है. यहां बिताया हर पल और सीखा हुआ हर सबक अभी भी याद है. उन्होंने कहा कि युवा छात्र के रूप में बिशप कॉटन स्कूल से पढ़ाई करके निकाला तो उन्हें नहीं पता था एक बार फिर से लौट कर मुख्य अतिथि के रूप में इसी में इसी स्कूल में आने का उन्हें सौभाग्य मिलेगा. यह स्कूल अपने उत्कृष्टता अखंडता और करुणा के सिद्धांतों पर स्थापित यह संस्थान वास्तव में समग्र शिक्षा का प्रतीक है. बिशप कॉटन स्कूल शैक्षणिक प्रतिभा और चित्र चरित्र निर्माण की अपनी विरासत को बरकरार रखे हुए है यह जानकर आज भी मुझे बेहद खुशी होती है. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि बिशप कॉटन स्कूल में जो ज्ञान और कौशल हासिल किया है. उसने मेरे करियर को बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
1859 में हुई थी इसकी स्थापना: बता दें बिशप कॉटन स्कूल एशिया का सबसे पुराना स्कूल है. 28 जुलाई, 1859 को इसकी स्थापना हुई थी. साल 1905 में स्कूल की बिल्डिंग में आग लग गई. इसके बाद साल 1907 में इसे फिर से बनाया गया. स्कूल कई ऐतिहासिक धरोहरों को समेटे हुए है. साल 1914 में हुए विश्व युद्ध के शहीदों के नाम भी इस स्कूल में सुरक्षित रखे गए हैं. 1922 में स्कूल में इंफ्लुएंजा फैला था. हेड मिस्ट्रेस की मौत हो गई. 22 अक्टूबर 1947 को भारत-पाक विभाजन के समय स्कूल के दरवाजे बंद कर दिए गए थे. इस समय यहां पाकिस्तान के 42 छात्र पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन विभाजन की वजह से इन विद्यार्थियों को स्कूल छोड़ना पड़ा था. विभाजन के बाद दोबारा से फिर से ये स्कूल शुरू किया गया.
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