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सेब के बगीचों में पेड़ों की काट-छांट में जुटे बागवान, अच्छी फ्लावरिंग के लिए कर रहे ये काम - Farmers' economic depend on apple

जिला शिमला, किन्नौर, कुल्लू, चंबा कई जिलों के लोगों की आर्थिकी सेब पर निर्भर करती है. इस कारण बागवानों को सर्दी के मौसम में सेब की अच्छी पैदावार के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है.

Pruning of trees in apple orchards
सेब के बगीचों में पेड़ों की कांट-छांट में जुटे बागवान
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Published : Feb 3, 2020, 11:30 PM IST

रामपुर: हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों की मुख्य फसल सेब मानी जाती है. सेब की अच्छी पैदावार के लिए बागवान आए दिन अपने सेब के बगीचों में पेड़ो की कांट-छांट कर रहे हैं.

बता दें कि जिला शिमला, किन्नौर, कुल्लू, चंबा कई जिलों के लोगों की आर्थिकी सेब पर निर्भर करती है. इस कारण बागवानों को सर्दी के मौसम में सेब की अच्छी पैदावार के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, जिसको लेकर आए दिन बागवान अपने सेब के बगीचों में कांट-छांट व अन्य कार्य में लगे हुए हैं.

वीडियो.

बागवानों का कहना है कि सेब के बगीचों में काट-छांट करना अच्छी पैदावार के लिए बहुत जरूरी है. पेड़ों की काट-छांट करने से सेब के पेड़ों में किसी भी प्रकार की कोई बीमारी नहीं लगती. इसके साथ ही सेब के पेड़ों में फ्लावरिंग भी अच्छी होती है. इसके बाद सेब के पेड़ में फल भी अच्छे लगते हैं.

पेड़ों की काट-छांट करने से पेड़ों का आकार सही बन जाता है और फल भी पेड़ में अच्छे लगते हैं. वहीं फल, सब्जी, पुष्प उत्पादक संघ रामपुर मंडल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष केडी कश्मीरी ने बताया कि हिमाचल प्रदेश सेब राज्य की और बनने के लिए बड़ी तीव्र गति से अग्रसर हो रहा है. प्रदेश में अधिकांश किसान व बागवान बागवानी की ओर अपना रूझान बनाए हुए हैं.

ये भी पढ़ें: गुप्त नवरात्रि में नैना देवी पहुंचे 20 हजार श्रद्धालु, मां के दरबार में नवाया शीश

रामपुर: हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों की मुख्य फसल सेब मानी जाती है. सेब की अच्छी पैदावार के लिए बागवान आए दिन अपने सेब के बगीचों में पेड़ो की कांट-छांट कर रहे हैं.

बता दें कि जिला शिमला, किन्नौर, कुल्लू, चंबा कई जिलों के लोगों की आर्थिकी सेब पर निर्भर करती है. इस कारण बागवानों को सर्दी के मौसम में सेब की अच्छी पैदावार के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, जिसको लेकर आए दिन बागवान अपने सेब के बगीचों में कांट-छांट व अन्य कार्य में लगे हुए हैं.

वीडियो.

बागवानों का कहना है कि सेब के बगीचों में काट-छांट करना अच्छी पैदावार के लिए बहुत जरूरी है. पेड़ों की काट-छांट करने से सेब के पेड़ों में किसी भी प्रकार की कोई बीमारी नहीं लगती. इसके साथ ही सेब के पेड़ों में फ्लावरिंग भी अच्छी होती है. इसके बाद सेब के पेड़ में फल भी अच्छे लगते हैं.

पेड़ों की काट-छांट करने से पेड़ों का आकार सही बन जाता है और फल भी पेड़ में अच्छे लगते हैं. वहीं फल, सब्जी, पुष्प उत्पादक संघ रामपुर मंडल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष केडी कश्मीरी ने बताया कि हिमाचल प्रदेश सेब राज्य की और बनने के लिए बड़ी तीव्र गति से अग्रसर हो रहा है. प्रदेश में अधिकांश किसान व बागवान बागवानी की ओर अपना रूझान बनाए हुए हैं.

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Intro:रामपुर बुशहर 3 फरवरी मीनाक्षी


Body:हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों की मुख्य फसल सेब मानी जाती है । सेब की अच्छी पैदावार के लिए बागवान आए दिन अपने सेब के बगीचों में पेड़ो की कांट-छांट कर रहे हैं ।
बता दें कि जिला शिमला, किन्नौर, कुल्लू, चंबा आदि कई जिलों के लोगों की आर्थिकी सेब पर निर्भर करती है।इस कारण बागवानों को सर्दी के मौसम में सेब की अच्छी पैदावार के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है । जिसको लेकर आए दिन बागवान अपने सेब के बगीचों में कांट-छांट व अन्य कार्य में लगे हुए हैं ।
बागवानों का कहना है कि सेब के बगीचों में कांट-छांट करना अच्छी फसल के लिए अति आवश्यक है । पेड़ो की कांट-छांट करनें से सेब के पेड़ो में किसी भी प्रकार की कोई बीमारी नहीं लगती । इसके साथ ही सेब के पेड़ो में फ्लावरिंग भी अच्छी होती है । इसके बाद सेब के पेड में फल भी अच्छे लगते हैं । इस लिए ही सेब के पेड़ों की कांट-छांट करनी आवश्यक है। सेब के पेड़ की कांट-छांट करनें से सेब के पेड़ो का आकार सही बन जाता है और फल भी पेड़ में अच्छे लगते हैं ।
वहीं इस बार में फल, सब्जी, पुष्प उत्पादक संग रामपुर मंडल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष केडी कश्मीरी ने बताया कि हिमाचल प्रदेश सेब राज्य की और बनने हेतु बड़ी तीव्र गति से अग्रसर हो रहा है । इस प्रदेश में अधिकांश किसान व बागवान बागवानी की और अपना रूझान बनाए हुए हैं । कयोंकि यह प्रदेश पहाड़ी क्षेत्र है यहां फसलों की अपेक्षा फल,सब्जियों एव पुषपो के उत्पादन से अधिक मुनाफा एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकते हैं । ऐसे क्षेत्र जो आज तक उबड खाबड तथा पथरीली होने की वजह से सदियों से भूमी बंजर पडीं थी आज वहां सेब, नाशपाती खुमानी, प्लम, चैरी आदि की पैदा की जा रही है । किसानों की आए पहले की अपेक्षा अब कई गुना बढ़ी है । इसके और उतपादन हेतु सरकार एवं बागवानी विभाग किसानों व बागवानों को नई तकनीक का
प्रशिक्षण देकर उन्हो उतम किसम अपनाने और बिमारियों से बचाओ करने के विभिन्न तरीके बताएं । इसके लिए सरकार को उन्हे सबसिडी पर नए रूटसटाक, बीज ,खाद,औजार, दवाईया आदि समय पर पर मुहैया करवानी चाहिए ।


बाईट : फल, सब्जी, पुष्प उत्पादक संग रामपुर मंडल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष केडी कश्मीरी।


Conclusion:
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