शिमला: प्रदेश की सभी निजी विश्वविद्यालयों को अब हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग को अनुबंध भर्ती नीति का ब्यौरा देना होगा. यह रिकॉर्ड आयोग की ओर से सभी निजी विश्वविद्यालयों से तलब किया गया है.
इसके पीछे की वजह यह है कि प्रदेश के कई निजी विश्वविद्यालयों में जो शिक्षक और कर्मचारी रखे गए हैं या तो उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है या उनका वेतन नहीं दिया जा रहा है. इस तरह की शिकायतें लगातार निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के पास पहुंच रही हैं. यही वजह है कि अब नियामक आयोग निजी शिक्षण संस्थानों में भर्ती किए गए नियमित फैकल्टी के साथ ही अनुबंध आधार पर की गई भर्ती की जांच कर रहा है.
अनुबंध भर्ती की नीति को शिकायतों के आधार पर जांचने का फैसला
आयोग की ओर से सभी निजी विश्वविद्यालयों की अनुबंध भर्ती की नीति को शिकायतों के आधार पर जांचने का फैसला लिया गया है. यही वजह है कि सभी निजी विश्वविद्यालयों से भर्ती नीति का ब्यौरा तलब किया गया है. इस रिपोर्ट के आधार पर आयोग यह देखेगा कि किस आधार पर निजी विश्वविद्यालयों में फैकल्टी की भर्ती की जाती है और उसके लिए किस तरह के नियम तय किए जाते हैं.
जो भी खामियां हैं उन्हें दूर किया जाएगा
निजी विश्वविद्यालयों से उनके नियमित और अनुबंध पर नियुक्त फैकल्टी का ब्यौरा इसके लिए आयोग ने मांगा है. सभी विश्वविद्यालयों से यह विवरण आने के बाद आयोग भर्ती नीति का अध्ययन करेगा और इसमें जो भी खामियां हैं उन्हें दूर किया जाएगा.
बता दें कि कोविड-19 के संकट के बीच में अधिकतर ऐसे मामले निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के समक्ष पहुंचे जहां विश्वविद्यालय ने अपने स्टाफ को नौकरी से निकाला या तो उन्हें समय पर वेतन नहीं दिया. इस तरह के मामलों पर सुनवाई भी निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग में की गई.
लगातार बढ़ती हुई शिकायतों के बाद आयोग ने यह फैसला लिया कि निजी शिक्षण संस्थानों की अनुबंध भर्ती नीति की जांच की जाएगी जिसके बाद इसमें जो खामियां है उसे दूर कर कर्मचारियों को राहत दी जाएगी.
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