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अब जंगलों में नहीं लगेगी आग! चीड़ की पत्तियों का सीमेंट उद्योगों के लिए बनेगा ईंधन

प्रदेश सरकार ने जंगलों को आग से बचाने के लिए चीड़ की पत्तियों पर आधारित लघु उद्योग स्थापित करने निर्णय लिया है. जिससे स्थानीय लोगों और किसानों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे.

चीड़ की पत्तियों का सीमेंट उद्योगों के लिए बनेगा ईंधन
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Published : Aug 3, 2019, 11:11 AM IST

शिमलाः प्रदेश भर में हर वर्ष जंगलों में आग लगने की शिकायतें आती हैं, जिसे पर्यावरण की दृष्टि से देखा जाए तो हिमाचल जैसे राज्य को बहुत नुकसान पहुंचता है. इसलिए पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने प्रदेश में स्थित सीमेंट उद्योगों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की. जिसमें सीमेंट उद्योगों को चीड़ की पत्तियों और लैटाना से बनी ब्रीकेट्स/पैलेट्स को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने के लिए आह्वान किया.

पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अतिरिक्त मुख्य सचिव आर. डी. धीमान ने कहा कि जंगलों को आग से बचाने के लिए चीड़ की पत्तियों पर आधारित उद्योग स्थापित करने के लिए पिछले वर्ष सरकार ने एक योजना शुरू की है. जिसमें 50 प्रतिशत अनुदान राशि दी जाएगी. इस साल सरकार ने कुल 25 लघु उद्योग स्थापित करने का लक्ष्य रखा है जिनमें 2 उद्योगों की स्थापना की जा चुकी है.

सीमेंट उद्योगों के प्रतिनिधियों के साथ की गई बैठक में निर्णय लिया गया कि सीमेंट उद्योगों में ईंधन की कुल लागत का 0.1 प्रतिशत भाग को बढ़ाकर 1 प्रतिशत कर दिया जाएगा. जिसमें चीड़ की पत्तियां एवं लैटाना शामिल है. पर्यावरण विभाग शीघ्र ही इस संदर्भ में आदेश जारी करेगा.

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इस निर्णय से प्रदेश में चीड़ की पत्तियों जैसे अत्यंत ज्वलनशील एवं लैटाना जैसे बायोमास का इस्तेमाल हो सकेगा. जो अमूल्य वन सम्पदा को आग से बचाने में सहायक सिद्ध होगा. साथ ही इससे चरागाहों व वनों को पुनः स्थापित करने में भी मदद मिलेगी.

बैठक में यह भी तय हुआ है कि चीड़ की पत्तियों और लैटाना के आधार पर स्थापित किये जाने वाले लघु उद्योगों में सीमेंट उद्योग के लिए बायोफ्यूल तैयार किया जाएगा. जिसे 10 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा जाएगा. इससे स्थानीय लोगों और किसानों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे.

आईआईटी मंडी की सहायक प्रवक्ता डॉ. आरती कश्यप ने ब्रीकेट्स/प्लैट्स पर हुए अनुसंधान के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि अनुसन्धान के अनुसार चीड़ व लैटाना की पत्तियों की उष्मीय ऊर्जा उद्योगों में ईधन के लिए उपयुक्त पाई गई है.

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शिमलाः प्रदेश भर में हर वर्ष जंगलों में आग लगने की शिकायतें आती हैं, जिसे पर्यावरण की दृष्टि से देखा जाए तो हिमाचल जैसे राज्य को बहुत नुकसान पहुंचता है. इसलिए पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने प्रदेश में स्थित सीमेंट उद्योगों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की. जिसमें सीमेंट उद्योगों को चीड़ की पत्तियों और लैटाना से बनी ब्रीकेट्स/पैलेट्स को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने के लिए आह्वान किया.

पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अतिरिक्त मुख्य सचिव आर. डी. धीमान ने कहा कि जंगलों को आग से बचाने के लिए चीड़ की पत्तियों पर आधारित उद्योग स्थापित करने के लिए पिछले वर्ष सरकार ने एक योजना शुरू की है. जिसमें 50 प्रतिशत अनुदान राशि दी जाएगी. इस साल सरकार ने कुल 25 लघु उद्योग स्थापित करने का लक्ष्य रखा है जिनमें 2 उद्योगों की स्थापना की जा चुकी है.

सीमेंट उद्योगों के प्रतिनिधियों के साथ की गई बैठक में निर्णय लिया गया कि सीमेंट उद्योगों में ईंधन की कुल लागत का 0.1 प्रतिशत भाग को बढ़ाकर 1 प्रतिशत कर दिया जाएगा. जिसमें चीड़ की पत्तियां एवं लैटाना शामिल है. पर्यावरण विभाग शीघ्र ही इस संदर्भ में आदेश जारी करेगा.

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इस निर्णय से प्रदेश में चीड़ की पत्तियों जैसे अत्यंत ज्वलनशील एवं लैटाना जैसे बायोमास का इस्तेमाल हो सकेगा. जो अमूल्य वन सम्पदा को आग से बचाने में सहायक सिद्ध होगा. साथ ही इससे चरागाहों व वनों को पुनः स्थापित करने में भी मदद मिलेगी.

बैठक में यह भी तय हुआ है कि चीड़ की पत्तियों और लैटाना के आधार पर स्थापित किये जाने वाले लघु उद्योगों में सीमेंट उद्योग के लिए बायोफ्यूल तैयार किया जाएगा. जिसे 10 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा जाएगा. इससे स्थानीय लोगों और किसानों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे.

आईआईटी मंडी की सहायक प्रवक्ता डॉ. आरती कश्यप ने ब्रीकेट्स/प्लैट्स पर हुए अनुसंधान के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि अनुसन्धान के अनुसार चीड़ व लैटाना की पत्तियों की उष्मीय ऊर्जा उद्योगों में ईधन के लिए उपयुक्त पाई गई है.

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Intro:सीमेंट उद्योगां में चीड़ की पत्तियों व लैंटाना ब्रीकेट्स के उपयोग का आह्वान
अतिरिक्त मुख्य सचिव (पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) आर.डी. धीमान ने आज यहां प्रदेश में स्थित सीमेंट उद्योगों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सीमेंट उद्योगों को चीड़ की पत्तियों और लैंटाना से बनी ब्रीकेट्स/पैलेट्स को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने के लिए आगे आना चाहिए।
श्री धीमान ने कहा कि राज्य सरकार ने जंगलों को आग से बचाने के लिए चीड़ की पत्तियों पर आधारित उद्योग स्थापित करने के लिए 50 प्रतिशत अनुदान राशि प्रदान करने के लिए पिछले वर्ष एक योजना आरंभ की है। इस साल सरकार ने कुल 25 लघु उद्योग स्थापित करने का लक्ष्य रखा है जिनमें दो उद्योगों की स्थापना की जा चुकी है।Body:बैठक में निर्णय लिया गया कि सीमेंट उद्योगों में ईधन की कुल लागत का 0.1 प्रतिशत भाग बायोमास (जिसमें चीड़ की पत्तियां एवं लैंटाना और आरडीएफ शामिल है), को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने का प्रावधान बढ़ाकर एक प्रतिशत कर दिया जाएगा। पर्यावरण विभाग शीघ्र ही इस संदर्भ में आदेश जारी करेगा। इस निर्णय से प्रदेश में चीड़ की पत्तियों जैसे अत्यंत ज्वलनशील एवंम लैंटाना जैसे बायोमास का इस्तेमाल हो सकेगा जो अमूल्य वन सम्पदा को आग से बचाने में सहायक सिद्ध होगा। साथ ही लैंटाना ग्रसित क्षेत्रों का भी सुधार हो सकेगा तथा इन क्षेत्रों में चरागाहों व वनों को पुनः स्थापित करने में मदद मिलेगी।
Conclusion:बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि चीड़ की पत्तियों और लैंटाना के आधार पर स्थापित किये जा रहे लघु उद्योगों में बनाये जा रहे ब्रीकेट्स/पैलेट्स को सीमेंट उद्योग ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने के लिए 10 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा जाएगा। इससे स्थानीय लोगों और किसानों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।
बैठक में सुझाव दिया गया कि चीड़ की पत्तियों पर आधारित लघु उद्योग की स्थापना के लिए दिए जा रहे 50 प्रतिशत अनुदान की योजना का लाभ लैंटाना पर आधारित उद्योगों को भी मिलना चाहिए। आर.डी धीमान ने कहा कि इस बारे में शीघ्र ही वन विभाग से मामला उठाया जाएगा।
बैठक के दौरान विधायक होशियार सिंह ने भी अपने बहुमूल्य सुझाव दिए और लैंटाना से बने ब्रीकेटस/पैलेट्स के सैम्पल भी दिखाए।
आईआईटी, मण्डी की सहायक प्रवक्ता डा. आरती कश्यप ने ब्रीकेटस/पैलेटस पर हुए अनुसन्धान के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि अनुसन्धान के अनुसार चीड़ व लैंटाना की पत्तियों की उष्मीय ऊर्जा उद्योगों में ईधन के लिए उपयुक्त पाई गई है।
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