शिमला: पीजीटी शिक्षक संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि पालमपुर में संघ अधिवेशन के दौरान सीएम जयराम ने पीजीटी शिक्षकों को प्रवक्ता पदनाम देने का ऐलान किया था, लेकिन अब शिक्षा सचिव की ओर से जारी अधिसूचना में प्रवक्ता के साथ स्कूल न्यू को साथ में क्यों जोड़ा गया है. संघ के अध्यक्ष चितरंजन कालटा सहित अन्य पदाधिकारियों ने यह मांग रखी की सरकार इस अधिसूचना को निरस्त करें.
'मांगों को लेकर शिक्षा मंत्री का रवैया नकारात्मक'
चितरंजन कालटा ने कहा कि अगर पीजीटी शिक्षक संघ की मांगें नहीं मानी जाती, तो शिक्षक आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे. मांगों को लेकर शिक्षा मंत्री का रवैया नकारात्मक था, जबकि मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा कि अब वो अपनी मांगों को लेकर शिक्षा सचिव और शिक्षा निदेशक को ज्ञापन देंगे, जिसमें मांगों को पूरा करने के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया जाएगा. इस तय समय के बीच अगर मांगे पूरी नहीं होती तो शिक्षक आंदोलन करेंगे.
पीजीटी शिक्षक संघ की मुख्य मांगें
पीजीटी शिक्षक संघ द्वारा मुख्यमंत्री को सौंपे गए ज्ञापन में पीजीटी के प्रमोशन चैनल को बंद करने का विरोध किया गया है. संघ ने कहा कि वर्ष 2010 से लेकर नियुक्तियां होती जा रही है, लेकिन तब से लेकर अभी तक एक भी पीजीटी को प्रमोट नहीं किया गया है. संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि पीजीटी की प्रमोशन हेडमास्टर और प्रिंसिपल के चैनल पर होती है. बावजूद इसके न तो प्रमोशन दी जा रही है और न ही 2010 से अभी तक कोई सीनियोरिटी लिस्ट बन पाई है.
संघ के पदाधिकारियों की शिकायत है कि उनपर नए-नए नियम थोपे जाते रहे हैं, जिसके तहत पीजीटी शिक्षकों को अभी भी छठी कक्षा से जमा दो तक के छात्रों को पढ़ाना पड़ता है. छठी से दसवीं तक उन्हें यूजी स्तर पर पढ़े गए विषयों को छात्रों को पढ़ाना होगा, जबकि जमा एक और जमा दो में शिक्षक पोस्ट ग्रेजुएशन में पढ़े गए विषयों को पीजीटी शिक्षक छात्रों को पढ़ा रहे हैं. जबकि उच्च शिक्षा के तहत मात्र नौवीं कक्षा से बारहवीं कक्षा तक के छात्रों को ही पीटीटी शिक्षक पढ़ाते हैं.
सरकार को दी चेतावनी
संघ के अध्यक्ष चितरंजन कालटा ने कहा कि पीटीजी कैडर पूरे भारत में है. हिमाचल में हमारे कैडर की क्षमता 16 हजार के पार है और करीब दो हजार प्रवक्ता हैं. ऐसे में मात्र दो हजार लोगों को लाभ देने के लिए सरकार 17 हजार शिक्षकों की अनदेखी कर रही है और संघ इसका विरोध करता है. उन्होंने कहा कि यदि आश्वासन के बाद इसे वापिस नहीं लिया जाता तो ये मामला कोर्ट में जाएगा और प्रदेश भर में आंदोलन होंगे. चितरंजन कालटा ने सरकार को चेताते हुए कहा कि शिक्षक दिवस पर काले बिल्ले लगाकर इस अधिसूचना का विरोध किया जाएगा.