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कोरोना काल में सहारा बनी मनरेगा, दूर हुआ ग्रामीणों का आर्थिक संकट

छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल में कोरोना संकट के दौरान मनरेगा योजना ग्रामीण इलाकों में रहने वाले मजदूरों के लिए रोजी रोटी का जरिया बन गई है. केंद्र सरकार ने अधिक से अधिक मजदूरों को मनरेगा में रोजगार देने के लिए कार्य दिवस में वृद्धि की है. जिसका फायदा कोरोना काल में अपनी नौकरी गवां चुके ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को मिल रहा है.

people of himachal are getting the benefit of mnrega during corona pandemic
ईटीवी भारत डिजाइन फोटो.
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Published : Sep 25, 2020, 10:19 AM IST

Updated : Sep 25, 2020, 11:50 AM IST

शिमला: कोरोना संकट के समय में लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे थे. ऐसे में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना लोगों खासकर ग्रामीण जनता का सहारा बनी है. हिमाचल प्रदेश में हाल ही में केंद्र सरकार ने इस योजना के तहत 80 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जारी की है.

प्रदेश में सभी 12 जिलों में पिछले वित्त वर्ष के दौरान 260 लाख कार्य दिवस सृजित हुए थे. इसके तहत कुल 589 करोड़ रुपए खर्च किए गए. मौजूदा वित्त वर्ष में अभी तक 54 करोड़ रुपए खर्च कर 22 लाख कार्य दिवस सृजित किए गए हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

इन जिलों में मिल रहा ज्यादा मानदेय

बड़ी बात ये है कि हिमाचल प्रदेश में भौगोलिक विशेषताओं के कारण जनजातीय क्षेत्रों किन्नौर, लाहौल-स्पीति आदि में मनरेगा का मानदेय 248 रुपए प्रतिदिन है जबकि राज्य के अन्य भागों में यह राशि 198 रुपए रोज के हिसाब से हैं. जनजातीय जिला किन्नौर में भौगोलिक विविधताओं के कारण कार्य करने की सीमा तकरीबन 5 से 6 महीने तक रहती है. इस समय मनरेगा के तहत कुल 65 में से 61 पंचायतों में विकास कार्य आवंटित किए गए हैं, जहां कार्य युद्धस्तर पर जारी है.

प्राथमिकता के आधार पर आवंटित किए जा रहे काम

पूरे प्रदेश में 785 विकास कार्य प्रगति पर हैं, जिनमें कार्य करने वाले 6931 श्रमिक समय पर मजदूरी की राशि के भुगतान के लिए सरकार के आभारी हैं. ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कार्यों को पूरा करने के लिए पंचायतों और मजदूरों का प्राथमिकता के आधार पर आवंटित किया गया है. कल्पा खंड की 25 पंचायतों में लगभग 328 विकास कार्य किए जा रहे हैं जबकि निचार विकास खंड की 18 पंचायतों में 399 कार्य और पूह विकास खंड की 20 पंचायतों में 58 कार्य किए जा रहे हैं.

राज्य में 13 लाख से ज्यादा जॉब कार्ड

हिमाचल प्रदेश की 80 विकास खंडों की 3221 पंचायतों में मनरेगा के तहत कार्य किए जा रहे हैं. राज्य में 13 लाख 39 हजार जॉब कार्ड हैं, जिनके जरिए 24.98 लाख लोग पंजीकृत हैं. हालांकि सक्रिय श्रमिकों की संख्या 11 लाख के करीब है. अनुसूचित जाति के कामगारों की संख्या 26 फीसदी से अधिक है. कोरोना काल में अपनी नौकरी गवां चुके ग्रामीणों को भी मनरेगा के तहत काम मिल रहा है.

खेतों में काम करने पर मिल रही मनरेगा की दिहाड़ी

बड़ी बात ये है कि कोरोना काल में हिमाचल सरकार ने इच्छुक बेरोजगार ग्रामीणों को मनरेगा के अंतर्गत अपनी भूमि में कार्य करने की स्वीकृति दी है. इससे अपने खेतों में काम करने पर भी मनरेगा की दिहाड़ी मिल सकेगी. यह कार्य ग्रामसभा की ओर से मंजूर परियोजनाओं की शेल्फ में शामिल न होने पर भी किए जा सकेंगे. इससे ग्रामीण इलाके की जनता को बहुत लाभ हुआ है.

ग्रामीणों को मिला मनरेगा का सहारा

ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर के अनुसार कोरोना संकट के समय में हिमाचल की ग्रामीण जनता को मनरेगा से सहारा मिला है. केंद्र सरकार से भी हिमाचल प्रदेश को भरपूर मदद मिली है. राज्य में मनरेगा के तहत होने वाले कार्यों में पूरी पारदर्शिता रहे, इसके लिए लोकपाल की नियुक्ति की गई है. छह जिला में लोकपाल नियुक्त हो चुके हैं, बाकी में प्रक्रिया जारी है.

महिलाएं भी मनरेगा के तहत कर रही काम

ग्रामीण विकास मंत्री का कहना है कि प्रदेश के गांवों में महिलाएं भी बढ़-चढ़कर मनरेगा के तहत कार्य कर रही हैं. किसानों को भी इससे लाभ हुआ है. अपने खेतों में कार्य करने को भी मनरेगा के तहत शामिल किया गया है. प्रदेश के सभी जिलों से इस योजना में अच्छा रिस्पांस देखने को मिला है. नियमित आमदनी होने के कारण ग्रामीण इलाकों में लोगों को आर्थिक संकट से भी निजात मिली है.

शिमला: कोरोना संकट के समय में लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे थे. ऐसे में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना लोगों खासकर ग्रामीण जनता का सहारा बनी है. हिमाचल प्रदेश में हाल ही में केंद्र सरकार ने इस योजना के तहत 80 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जारी की है.

प्रदेश में सभी 12 जिलों में पिछले वित्त वर्ष के दौरान 260 लाख कार्य दिवस सृजित हुए थे. इसके तहत कुल 589 करोड़ रुपए खर्च किए गए. मौजूदा वित्त वर्ष में अभी तक 54 करोड़ रुपए खर्च कर 22 लाख कार्य दिवस सृजित किए गए हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

इन जिलों में मिल रहा ज्यादा मानदेय

बड़ी बात ये है कि हिमाचल प्रदेश में भौगोलिक विशेषताओं के कारण जनजातीय क्षेत्रों किन्नौर, लाहौल-स्पीति आदि में मनरेगा का मानदेय 248 रुपए प्रतिदिन है जबकि राज्य के अन्य भागों में यह राशि 198 रुपए रोज के हिसाब से हैं. जनजातीय जिला किन्नौर में भौगोलिक विविधताओं के कारण कार्य करने की सीमा तकरीबन 5 से 6 महीने तक रहती है. इस समय मनरेगा के तहत कुल 65 में से 61 पंचायतों में विकास कार्य आवंटित किए गए हैं, जहां कार्य युद्धस्तर पर जारी है.

प्राथमिकता के आधार पर आवंटित किए जा रहे काम

पूरे प्रदेश में 785 विकास कार्य प्रगति पर हैं, जिनमें कार्य करने वाले 6931 श्रमिक समय पर मजदूरी की राशि के भुगतान के लिए सरकार के आभारी हैं. ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कार्यों को पूरा करने के लिए पंचायतों और मजदूरों का प्राथमिकता के आधार पर आवंटित किया गया है. कल्पा खंड की 25 पंचायतों में लगभग 328 विकास कार्य किए जा रहे हैं जबकि निचार विकास खंड की 18 पंचायतों में 399 कार्य और पूह विकास खंड की 20 पंचायतों में 58 कार्य किए जा रहे हैं.

राज्य में 13 लाख से ज्यादा जॉब कार्ड

हिमाचल प्रदेश की 80 विकास खंडों की 3221 पंचायतों में मनरेगा के तहत कार्य किए जा रहे हैं. राज्य में 13 लाख 39 हजार जॉब कार्ड हैं, जिनके जरिए 24.98 लाख लोग पंजीकृत हैं. हालांकि सक्रिय श्रमिकों की संख्या 11 लाख के करीब है. अनुसूचित जाति के कामगारों की संख्या 26 फीसदी से अधिक है. कोरोना काल में अपनी नौकरी गवां चुके ग्रामीणों को भी मनरेगा के तहत काम मिल रहा है.

खेतों में काम करने पर मिल रही मनरेगा की दिहाड़ी

बड़ी बात ये है कि कोरोना काल में हिमाचल सरकार ने इच्छुक बेरोजगार ग्रामीणों को मनरेगा के अंतर्गत अपनी भूमि में कार्य करने की स्वीकृति दी है. इससे अपने खेतों में काम करने पर भी मनरेगा की दिहाड़ी मिल सकेगी. यह कार्य ग्रामसभा की ओर से मंजूर परियोजनाओं की शेल्फ में शामिल न होने पर भी किए जा सकेंगे. इससे ग्रामीण इलाके की जनता को बहुत लाभ हुआ है.

ग्रामीणों को मिला मनरेगा का सहारा

ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर के अनुसार कोरोना संकट के समय में हिमाचल की ग्रामीण जनता को मनरेगा से सहारा मिला है. केंद्र सरकार से भी हिमाचल प्रदेश को भरपूर मदद मिली है. राज्य में मनरेगा के तहत होने वाले कार्यों में पूरी पारदर्शिता रहे, इसके लिए लोकपाल की नियुक्ति की गई है. छह जिला में लोकपाल नियुक्त हो चुके हैं, बाकी में प्रक्रिया जारी है.

महिलाएं भी मनरेगा के तहत कर रही काम

ग्रामीण विकास मंत्री का कहना है कि प्रदेश के गांवों में महिलाएं भी बढ़-चढ़कर मनरेगा के तहत कार्य कर रही हैं. किसानों को भी इससे लाभ हुआ है. अपने खेतों में कार्य करने को भी मनरेगा के तहत शामिल किया गया है. प्रदेश के सभी जिलों से इस योजना में अच्छा रिस्पांस देखने को मिला है. नियमित आमदनी होने के कारण ग्रामीण इलाकों में लोगों को आर्थिक संकट से भी निजात मिली है.

Last Updated : Sep 25, 2020, 11:50 AM IST
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