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शिमलावासियों को मिल रहा है शुद्ध पानी, पुणे भेजे सैंपल की रिपोर्ट आई निगेटिव

शिमला में सप्लाई के लिए जो पानी पहुंच रहा है वह गुणवत्ता की कसौटी पर खरा उतरा है. लैब टेस्ट के बाद इन सैंपलों की रिपोर्ट निगेटिव आई है. सैंपल में हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई वायरस नहीं मिला है.

शिमला वाटर स्किम
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Published : Dec 11, 2020, 8:22 PM IST

शिमला: राजधानी के लोगों के लिए राहत भरी खबर है. शहर में जो पानी पहुंच रहा है वह गुणवत्ता की कसौटी पर खरा उतरा है. शिमला को पानी की आपूर्ति करने वाली मुख्य परियोजना गुम्मा के क्रैगनैनो और संजौली इनलैट के भंडारण टैंक से 17 नवंबर को राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान पुणे द्वारा पानी के सैंपल भरे गए थे.

लैब टेस्ट के बाद इन सैंपलों की रिपोर्ट निगेटिव आई है. दोनों जगह से लिए गए सैंपल में हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई वायरस नहीं मिला. हेपेटाइटिस ए और ई वायरस लीवर को प्रभावित करते हैं, जिससे पीलिया संक्रमण होता है.

सैंपल सही आने के बाद शिमला शहर के लोगों को डरने की कोई जरूरत नहीं है. शिमला जल प्रबंधन निगम हर माह पानी की जांच के लिए सैंपल भरे जाते हैं और पुणे जांच के लिए भेजे जाते हैं. इसके लिए शिमला जल निगम द्वारा लैब को प्रत्येक सैंपल के पांच हजार रुपये अदा करने पड़ते हैं.

जल प्रबंधन निगम के एमडी धर्मेंद्र गिल ने कहा कि 17 नवंबर के लिए गए गुम्मा परियोजना के इनलैट टैंक के सैंपल की रिपोर्ट गुरुवार को मिली, जिसमें सैंपल सही पाए गए हैं. ऐसे में शहर के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है.

जल निगम समय-समय पर सभी पानी के टैंकों के सैंपल लेता है. शिमला पीलिया को झेल चुका है. साल 2016 में यहां 32 लोगों की मौत हुई थी. वहीं, इस दौरान सैकड़ों लोग बीमार हुए थे. इसके बाद से शिमला में एहतियात बरती जा रही है. एसजेपीएनएल की ओर से समय-समय पर विभिन्न पेयजल परियोजनाओं और टैंकों से सैंपल लेकर जांच के लिए एनआईवी पुणे भेजे जा रहे हैं.

शिमला: राजधानी के लोगों के लिए राहत भरी खबर है. शहर में जो पानी पहुंच रहा है वह गुणवत्ता की कसौटी पर खरा उतरा है. शिमला को पानी की आपूर्ति करने वाली मुख्य परियोजना गुम्मा के क्रैगनैनो और संजौली इनलैट के भंडारण टैंक से 17 नवंबर को राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान पुणे द्वारा पानी के सैंपल भरे गए थे.

लैब टेस्ट के बाद इन सैंपलों की रिपोर्ट निगेटिव आई है. दोनों जगह से लिए गए सैंपल में हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई वायरस नहीं मिला. हेपेटाइटिस ए और ई वायरस लीवर को प्रभावित करते हैं, जिससे पीलिया संक्रमण होता है.

सैंपल सही आने के बाद शिमला शहर के लोगों को डरने की कोई जरूरत नहीं है. शिमला जल प्रबंधन निगम हर माह पानी की जांच के लिए सैंपल भरे जाते हैं और पुणे जांच के लिए भेजे जाते हैं. इसके लिए शिमला जल निगम द्वारा लैब को प्रत्येक सैंपल के पांच हजार रुपये अदा करने पड़ते हैं.

जल प्रबंधन निगम के एमडी धर्मेंद्र गिल ने कहा कि 17 नवंबर के लिए गए गुम्मा परियोजना के इनलैट टैंक के सैंपल की रिपोर्ट गुरुवार को मिली, जिसमें सैंपल सही पाए गए हैं. ऐसे में शहर के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है.

जल निगम समय-समय पर सभी पानी के टैंकों के सैंपल लेता है. शिमला पीलिया को झेल चुका है. साल 2016 में यहां 32 लोगों की मौत हुई थी. वहीं, इस दौरान सैकड़ों लोग बीमार हुए थे. इसके बाद से शिमला में एहतियात बरती जा रही है. एसजेपीएनएल की ओर से समय-समय पर विभिन्न पेयजल परियोजनाओं और टैंकों से सैंपल लेकर जांच के लिए एनआईवी पुणे भेजे जा रहे हैं.

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