शिमला : विधानसभा में बुधवार को आउटसोर्स कर्मियों का मुद्दा गूंजा.बड़सर के विधायक इन्द्रदत्त लखनपाल ने आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन विसंगतियों व इनके सुरक्षित भविष्य के लिए सरकार के स्तर पर क्या कदम उठाए गए हैं,
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बताया कि सरकार आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन विसंगतियों को दूर कर इनका भविष्य सुरक्षितकर रही है. समय पर वेतन मिले व इनका शोषण न हो. सरकार ने इसके लिए सेवा प्रदाता कंपनी को ब्यौरा देने के लिए मासिक पर्ची जारी करने के निर्देश दिए हैं.
सीएम ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में ही आउटसोर्स कर्मियों के वेतन में 3 बार वेतन हुई. इन कर्मियों को पे स्लिप देना भी 2019 में हमारी सरकार ने ही सुनिश्चित किया है. माकपा विधायक राकेश सिंघा ने भी कहा कि आउटसोर्सिंग वाले कर्मियों का शोषण होता रहा है. सीएम ने जवाब में कहा कि यदि शोषण की शिकायत आती है तो कार्रवाई की जाएगी. इन कर्मियों को तय अवकाश मिलते हैं. ये कम्पनी के एम्प्लॉयी हैं, लिहाजा सरकार नियमों के अनुसार ही चलेगी. जहां तक ग्रेच्युटी देने का सवाल है तो इस पर चर्चा की जरूरत है.
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस सरकार पर आउटसोर्स कर्मियों को नियमित करने के लिए लॉलीपॉप देने के आरोप लगाया. इस पर सदन में विपक्ष ने हंगामा शुर कर दिया. सदन में नारेबाजी के बाद विपक्ष ने वॉकआउट किया. कांग्रेस विधायक लखनपाल ने सरकार पर गैर जिम्मेदाराना व्यवहार का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार आउटसोर्स कर्मियों के साथ अन्याय कर रही है.
कांग्रेस विधायक सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति बनाने को लेकर कांग्रेस विधायक ने सवाल पूछा, लेकिन सरकार की तरफ से कोई संतोषजनक जवाब नही दिया गया. बीजेपी के दृष्टिपत्र में आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति लाने की बात कही गई थी, लेकिन अब सरकार इस सवाल से भाग रही है. प्रदेश में विभिन्न विभागों में 60 हजार के करीब आउटसोर्स कर्मी है जिनका शोषण हो रहा है. सुक्खू ने कहा कि निश्चित तौर पर कांग्रेस शासन में इन्हें लगाया गया और कांग्रेस नीति भी ला रही थी, लेकिन तब तक चुनाव आ गए. अब दोबारा सत्ता में आने पर आउटसोर्स के लिए नीति बनाएगी.