शिमला: कांग्रेस सरकार द्वारा पूर्व सरकार के समय शुरू की गई लोकतंत्र प्रहरी योजना बंद करने पर बुधवार को सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष में गहमागहमी देखने को मिली. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर द्वारा सदन में यह मामला उठाया गया जिस पर संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान द्वारा सरकारी धन के दुरुपयोग के आरोप लगाए गए और योजना में आरएसएस के लोगों को फायदा देने की बात कही गई. जिस पर विपक्ष भड़क गया और कुछ समय तक सदन में गहमागहमी का माहौल बना रहा. वहीं, मुख्यमंत्री ने बिल आने पर ही जवाब देने की बात कही.
इस दौरान नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि इमरजेंसी के समय बहुत से लोग ऐसे हैं जो जेलों में काफी समय तक रहे. लोगों के लिए सरकार द्वारा लोकतंत्र प्रहरी योजना सरकार द्वारा शुरू की गई थी और इसके लिए बाकायदा सदन में बिल पास किया गया था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही इस योजना को बंद कर दिया है जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है. इसको लेकर आज सदन में भी प्रश्न किया गया. तो सरकार की ओर से सही जवाब नहीं दिया गया.
जयराम ठाकुर ने कहा कि इलाहाबाद कोर्ट द्वारा उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सदस्यता को लेकर फैसला सुनाया गया था. इसके बाद देश में इमरजेंसी लगाई गई थी और उसका विरोध करने वालों को जेल में डाल दिया गया था और इस विरोध प्रदर्शन में आरएसएस के लोग नहीं बल्कि अलग-अलग विचारधारा के लोग शामिल हुए थे. लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश की जा रही थी जिन्हें उस समय सलाखों के पीछे डाल दिया गया था.
हिमाचल में भी काफी लोगों को उस समय जेलों में डाला गया था. ऐसे लोगों के लिए पूर्व सरकार द्वारा लोकतंत्र का प्रहरी योजना शुरू की गई, जिसके तहत शर्मा 20 हजार और 12 हजार इन लोकतंत्र प्रहरी को देने का प्रावधान किया गया था. लेकिन इस सरकार ने आते ही इस योजना को बंद कर दिया है जबकि यह योजना हिमाचल में ही नहीं बल्कि कई राज्यों में चल रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस इमरजेंसी के साथ है या विरोध में है इसको लेकर स्थिति स्पष्ट करें.