शिमला: हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में शुक्रवार को कम मरीजों का ही ऑपरेशन हो पाएंगे. कम ऑपरेशन होने का कारण एनेस्थीसिया के स्टूडेंट्स का एगजाम होना है. जिसके चलते सर्जरी के डॉक्टरों ने मरीजों की एडमिशन को लेकर पहले ही मना कर दिया था. ऑपरेशन करने में एनेस्थीसिया के स्टूडेंट्स की विशेष भूमिका रहती है.
बता दें कि अगर एनेस्थीसिया के स्टूडेंट्स (Anesthesia students) नहीं होगे तो मरीज को बेहोश करना मुश्किल हो जाता है. आईजीएमसी अस्पताल (IGMC Hospital) में रोजाना 10 से 13 मरीजों के ऑपरेशन होते है. ऐसे में यहां पर एनेस्थीसिया के स्टूडेंट्स काफी अच्छी भूमिका निभा रहे हैं. जल्द ही ऑपरेशन की अगली तिथि घोषित की जाएगी.
आईजीएमसी में रूटीन के सभी ऑपरेशन चलते रहेंगे. आईजीएमसी के चिकित्सकों ने मरीजों को कोरोना काल में बेहतरीन चिकित्सा सुविधा प्रदान की है. कोरोना काल में स्टाफ को अलग अलग बांटा गया था. कुछ डॉक्टरों व अन्य स्टाफ की ड्यूटी कोविड तो कुछ की ड्यूटी नॉन कोविड मरीजों के चैकअप करने में लगाई गई थी.
आईजीएमसी अस्पताल में स्टाफ की कमी होना भी एक तरह से चुनौती था, लेकिन बावजूद इसके पूरे स्टाफ ने बेहतरीन कार्य किया है. आईजीएमसी में हिमाचल के कोने-कोने से सैकड़ों मरीज अपना उपचार करवाने आते हैं. कोविड काल में आईजीएमसी में रूटीन के ऑपरेशन जरूर कम किए थे, लेकिन आपातकालीन वाले ऑपरेशन चलते रहे.
अब इन दिनों भी सभी मरीजों के ऑपरेशन हो रहे हैं. रोजाना ओपीडी में 2,500 से 3,000 के बीच मरीज पहुंच रहे है. ऐसा कोई मरीज नहीं है जिसे बिना उपचार करवाए वापस घर की ओर जाना पड़े. प्रशासन ने मरीजों से यह अपील की है कि वह अपना उपचार जरूर करवाए, लेकिन कोविड के नियमों की पालना भी करें.
इस संबंध में आईजीएमसी के एमएस डॉ जनक राज (MS Dr Janak Raj) ने बताया कि ऑपरेशन बंद नहीं किए जाएंगे, ऑपरेशन चलते रहेंगे. ऐसा हो सकता है कि एक दिन थोड़े कम ऑपरेशन हो क्योंकि बच्चों के पेपर होना भी जरूरी है.
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