शिमलाः हिमाचल के ऊपरी क्षेत्र में बूढ़ी दिवाली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने घरों से रात के समय बाहर निकल कर एक स्थान पर इक्ट्ठा होते हैं और आग जलाकर रामायण व महाभारत का गान करते हैं.
वहीं, इस बारे में निरमंड निवासी इतिहासकार दीपक शर्मा ने बताया कि निरमंड में बूढ़ी दिवाली के मौके पर मेला भी लगाया जाता है. इस मेले को असुरों को भगाने और क्षेत्र में शांति लाने के लिए मनाया जाता है.
दीपक शर्मा का ने बताया कि प्रजापती पुत्र वृत्रासुर ने जल और अग्नि पर कब्जा कर लिया था. इससे ऋष्टि पर संकट छा गया था. देवताओं ने पानी तो प्राप्त कर लिया था, लेकिन अग्नि को प्राप्त करने के लिए देव और दानव के बीच अग्नि के लिए कड़ा संघर्ष हुआ था.
दीपक शर्मा ने बताया कि संघर्ष में दानव हार गए और वृत्रासुर के दो दैत्य मित्र मैदान छोड़ कर भाग गए थे. कहीं गांव में छिप जाते हैं. दैत्यों को भगाने के बाद देव सेना अग्नि के चारों तरफ नाचते हैं और आग पर अपना कब्जा कर लेती है.