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अगर मुकेश अग्निहोत्री मंत्री पद की शपथ लेते तो क्या फर्क पड़ता ?

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Published : Dec 12, 2022, 8:21 PM IST

Updated : Dec 12, 2022, 9:18 PM IST

डिप्टी सीएम कोई संवैधानिक पद नहीं है, ऐसे में सवाल है कि अगर मुकेश अग्निहोत्री डिप्टी सीएम पद की बजाय सिर्फ मंत्री पद की शपथ लेते तो क्या फर्क पड़ता ? डिप्टी सीएम की शपथ को लेकर संविधान के एक्सपर्ट क्या कहते हैं. आइये जानते हैं

oath ceremony of mukesh agnihotri
मुकेश अग्निहोत्री
वीडियो.

शिमला : रविवार 12 दिसंबर को शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर हिमाचल के नए मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण हुआ. राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सीएम और मुकेश अग्निहोत्री ने डिप्टी सीएम के पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. आपने राज्य सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री, मंत्री और राज्य मंत्री के रूप में शपथ लेते सुना और देखा होगा. लेकिन मुकेश अग्निहोत्री ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. डिप्टी सीएम कोई संवैधानिक पद नहीं है, ऐसे में सवाल है कि अगर मुकेश अग्निहोत्री डिप्टी सीएम पद की बजाय सिर्फ मंत्री पद की शपथ लेते तो क्या फर्क पड़ता ? डिप्टी सीएम की शपथ को लेकर संविधान के एक्सपर्ट क्या कहते हैं. आइये जानते हैं.

पहले जानते हैं कि ये सवाल उठा क्यों ?- दरअसल डिप्टी सीएम जैसी कोई व्यवस्था भारतीय संविधान में नहीं है. इसी साल अगस्त में बिहार में बीजेपी-आरजेडी की सरकार में तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम बनाया गया है लेकिन उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली थी. इसी तरह दिल्ली के मौजूदा डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया और राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भी मंत्री पद की शपथ ली थी. लेकिन सिसौदिया और पायलट दोनों ही डिप्टी सीएम बने थे.

संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप के मुताबिक अगर शपथ लेते वक्त किसी ने अपने पद का नाम डिप्टी चीफ मिनिस्टर कह भी दिया हो, तो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता. संविधान के तहत तो प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ही होता है, उसके डिप्टी की व्यवस्था नहीं है. शपथ सिर्फ मंत्रिपद की ही होती है. वैसे ऐसा पहले भी हुआ है. 1989 में चौधरी देवीलाल ने अपनी शपथ में ‘डिप्टी प्राइम मिनिस्टर’ कह दिया था. तो ये माना गया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. देवीलाल को दोबारा शपथ नहीं लेनी पड़ी, ये मान लिया गया था कि इससे संविधान की शुचिता पर कोई असर नहीं पड़ता. (deputy chief minister power) (how powerful is a deputy chief minister in india)

संविधान विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट अश्विनी चौबे के मुताबिक मंत्रिपरिषद कोई भी पद बना सकता है. संविधान में चूंकि legislative competence जरूरी नहीं है कि वहां हो, चीफ मिनिस्टर की पोस्ट होती है, मिनिस्टर की होती है, लेकिन मिनिस्टर को पोर्टफोलियो कुछ भी दिया जा सकता है. इस तरह डिप्टी चीफ मिनिस्टर एक मंत्री ही होता है. अगर कोई पहले से मंत्री है, और उसे डिप्टी चीफ मिनिस्टर बनाया जाता है, तो उसकी अलग से कोई शपथ नहीं होगी. संविधान में डिप्टी चीफ मिनिस्टर की कोई पोस्ट नहीं होती. वो पद मंत्रिपरिषद कभी भी सृजित कर सकता है.

मुकेश अग्निहोत्री ऐसे इकलौते नेता नहीं हैं- दरअसल ऐसा पहले भी हो चुका है जब किसी विधायक या नेता ने मंत्री पद नहीं बल्कि डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली. इसी साल यूपी में बनी बीजेपी की सरकार के दौरान केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने डिप्टी सीएम की शपथ ली थी. 2017 में बनी यूपी सरकार में दिनेश शर्मा ने भी ऐसा ही किया था. साल 2019 में हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी के गठबंधन की सरकार बनी तो जेजेपी नेता दुष्यंत सिंह चौटाला ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी. इसी तरह महाराष्ट्र में अजीत पवार भी डिप्टी सीएम पद की शपथ ले चुके हैं.

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शिमला : रविवार 12 दिसंबर को शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर हिमाचल के नए मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण हुआ. राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सीएम और मुकेश अग्निहोत्री ने डिप्टी सीएम के पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. आपने राज्य सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री, मंत्री और राज्य मंत्री के रूप में शपथ लेते सुना और देखा होगा. लेकिन मुकेश अग्निहोत्री ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. डिप्टी सीएम कोई संवैधानिक पद नहीं है, ऐसे में सवाल है कि अगर मुकेश अग्निहोत्री डिप्टी सीएम पद की बजाय सिर्फ मंत्री पद की शपथ लेते तो क्या फर्क पड़ता ? डिप्टी सीएम की शपथ को लेकर संविधान के एक्सपर्ट क्या कहते हैं. आइये जानते हैं.

पहले जानते हैं कि ये सवाल उठा क्यों ?- दरअसल डिप्टी सीएम जैसी कोई व्यवस्था भारतीय संविधान में नहीं है. इसी साल अगस्त में बिहार में बीजेपी-आरजेडी की सरकार में तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम बनाया गया है लेकिन उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली थी. इसी तरह दिल्ली के मौजूदा डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया और राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भी मंत्री पद की शपथ ली थी. लेकिन सिसौदिया और पायलट दोनों ही डिप्टी सीएम बने थे.

संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप के मुताबिक अगर शपथ लेते वक्त किसी ने अपने पद का नाम डिप्टी चीफ मिनिस्टर कह भी दिया हो, तो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता. संविधान के तहत तो प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ही होता है, उसके डिप्टी की व्यवस्था नहीं है. शपथ सिर्फ मंत्रिपद की ही होती है. वैसे ऐसा पहले भी हुआ है. 1989 में चौधरी देवीलाल ने अपनी शपथ में ‘डिप्टी प्राइम मिनिस्टर’ कह दिया था. तो ये माना गया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. देवीलाल को दोबारा शपथ नहीं लेनी पड़ी, ये मान लिया गया था कि इससे संविधान की शुचिता पर कोई असर नहीं पड़ता. (deputy chief minister power) (how powerful is a deputy chief minister in india)

संविधान विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट अश्विनी चौबे के मुताबिक मंत्रिपरिषद कोई भी पद बना सकता है. संविधान में चूंकि legislative competence जरूरी नहीं है कि वहां हो, चीफ मिनिस्टर की पोस्ट होती है, मिनिस्टर की होती है, लेकिन मिनिस्टर को पोर्टफोलियो कुछ भी दिया जा सकता है. इस तरह डिप्टी चीफ मिनिस्टर एक मंत्री ही होता है. अगर कोई पहले से मंत्री है, और उसे डिप्टी चीफ मिनिस्टर बनाया जाता है, तो उसकी अलग से कोई शपथ नहीं होगी. संविधान में डिप्टी चीफ मिनिस्टर की कोई पोस्ट नहीं होती. वो पद मंत्रिपरिषद कभी भी सृजित कर सकता है.

मुकेश अग्निहोत्री ऐसे इकलौते नेता नहीं हैं- दरअसल ऐसा पहले भी हो चुका है जब किसी विधायक या नेता ने मंत्री पद नहीं बल्कि डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली. इसी साल यूपी में बनी बीजेपी की सरकार के दौरान केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने डिप्टी सीएम की शपथ ली थी. 2017 में बनी यूपी सरकार में दिनेश शर्मा ने भी ऐसा ही किया था. साल 2019 में हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी के गठबंधन की सरकार बनी तो जेजेपी नेता दुष्यंत सिंह चौटाला ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी. इसी तरह महाराष्ट्र में अजीत पवार भी डिप्टी सीएम पद की शपथ ले चुके हैं.

Last Updated : Dec 12, 2022, 9:18 PM IST
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