शिमला: अकसर अफसरशाही पर ये आरोप लगते रहे हैं कि वो विभागों में तैनात क्लास फोर कर्मचारियों से घर का काम करवाते हैं. इसी तरह का आरोप स्वास्थ्य विभाग में आउटसोर्स पर तैनात कर्मचारियों ने लगाया है. कर्मचारियों ने स्वास्थ्य विभाग के टॉप मोस्ट ऑफिसर पर आरोप लगाया है कि उन्हें घरेलू कार्य के लिए मजबूर किया जा रहा है. उधर, स्वास्थ्य विभाग ने आरोप लगाने वाले तीन कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए हैं. सेवाएं समाप्त करने के आदेश के पीछे तर्क दिया गया है कि वे ड्यूटी में लापरवाही बरत रहे थे.
इस मामले के सामने आने पर स्वास्थ्य विभाग एक अलग तरह के विवाद में फंस गया है. जिन तीन कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की गई हैं, उन्होंने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिलकर न्याय की गुहार लगाने की बात कही है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग की टॉप चेयर संभाल रहे अफसर ने कर्मचारियों के आरोप नकार दिए हैं. उपरोक्त तीन कर्मचारी राज्य सरकार के स्वास्थ्य सचिव के कार्यालय में अटैच किए गए थे. शुक्रवार को डिप्टी मिशन डायरेक्टर एनएचएम की तरफ से आउटसोर्स के आधार पर कर्मचारी रिक्रूट करने वाली एजेंसी सरस्वती डॉट कॉम प्राइवेट लिमिटेड पत्र लिखा गया.
इस पत्र में कहा गया है कि आउटसोर्स पर तैनात तीन कर्मचारियों सोहन लाल, अनिल कुमार और नीना को हैल्पर-कम-क्लास फोर की नौकरी पर रखा गया था. पत्र के अनुसार इन तीनों कर्मचारियों का कार्य संतोषजनक नहीं पाया गया है. ये कर्मचारी ड्यूटी में लापरवाही बरत रहे हैं. ऐसे में उक्त तीन कर्मचारियों की सेवाएं आज यानी शुक्रवार चार अगस्त से समाप्त की जा रही हैं. यही नहीं, आदेश में डिप्टी मिशन डायरेक्टर ने आउटसोर्स एजेंसी को ही कहा है कि इन तीन कर्मचारियों की रिप्लेसमेंट के तौर पर तीन अन्य कर्मचारी उपलब्ध करवाए जाएं. इसके लिए एजेंसी को तीन दिन का समय दिया गया है. जिन तीन कर्मचारियों सोहनलाल, अनिल कुमार व नीना के हटाया गया है, उन्होंने मीडिया के समक्ष आरोप लगाया कि उन्हें घरेलू कार्य के लिए बाध्य किया जा रहा था.
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सचिव दफ्तर के बजाय घर में काम करवाना चाहती हैं और उनका शोषण भी किया जा रहा है. इनकार करने पर नौकरी से निकालने का फैसला ले लिया गया. महिला कर्मचारी का कहना है कि वो एकल नारी की श्रेणी में है. तीनों कर्मचारियों ने स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल से भी मुलाकात की, लेकिन कोई राहत नहीं मिली. स्वास्थ्य मंत्री ने भी उन्हें विभाग की आला अफसर से मिलने को कहा. ऐसे में ये कर्मचारी अब मुख्यमंत्री से सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिलने की बात कर रहे हैं. वहीं, विभाग की मुखिया अफसर ने कहा कि ये आरोप सरासर झूठे हैं. यह मामला पूरी तरह से सेवा में लापरवाही और अक्षमता से जुड़ा हुआ है. इस बारे में विभाग के पास सारा रिकॉर्ड मौजूद है. संतोषजनक काम न करने की सूरत में ही इन्हें रिप्लेस किया गया है.
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