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फर्जी डिग्री मामला: MBU और APG यूनिवर्सिटी में नए सत्र में एडमिशन पर रोक

निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने मानव भारती और एपीजी यूनिवर्सिटी पर इस साल के लिए दाखिले पर बैन लगा दिया है. जारी किए गए आदेशों के अनुसार जब तक फर्जी डिग्री मामले पर जांच चल रही है, तब तक इन विश्वविद्यालयों में छात्रों को प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

new admissions get banned
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Published : Jul 4, 2020, 4:57 PM IST

Updated : Jul 4, 2020, 6:06 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में जिन दो निजी विश्वविद्यालयों पर फर्जी डिग्री मामले पर जांच चल रही है, अब वह विश्वविद्यालय सत्र 2020-21 में छात्रों को प्रवेश अपनी यूनिवर्सिटी में नहीं दे पाएंगे. निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग की ओर से इन विश्वविद्यालयों पर इस सत्र प्रवेश देने पर रोक लगा दी है.

आयोग ने लिखित में इन विश्वविद्यालयों को आदेश जारी किए हैं कि वह इस सत्र छात्रों को यूनिवर्सिटी में प्रवेश ना दें. आयोग की ओर से मानव भारती और एपीजी यूनिवर्सिटी को यह निर्देश जारी किए हैं. इन दोनों ही विश्वविद्यालयों पर फर्जी डिग्रियां बेचने का आरोप हैं और उन पर एसआईटी का गठन कर जांच भी की जा रही है.

इस जांच के बीच में ही आयोग ने यह सख्त कार्रवाई की है और इन विश्वविद्यालयों के इस वर्ष के दाखिलों पर रोक लगा दी गई है. ऐसे में सत्र 2020-21 के दाखिले इन विश्वविद्यालयों में तब तक नहीं होंगें जब तक कि इन विश्वविद्यालयों पर चल रही जांच पूरी नहीं होती है.

बता दें की इन दोनों विश्वविद्यालयों पर फर्जी डिग्रियां बेचने के आरोप हैं. मानव भारती यूनिवर्सिटी के मामले पर अभी तक तीन गिरफ्तारियां भी हो चुकी हैं. इस यूनिवर्सिटी पर आरोप हैं कि इन्होंने विदेशों सहित बाहरी राज्यों में फर्जी डिग्रियां बेची हैं.

ऊना की इंडस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में भी जांच शुरू

इन दोनों यूनिवर्सिटीज में हुए फर्जीवाड़े के बाद अब आयोग की ओर से अन्य इस तरह के विश्वविद्यालयों की भी जांच की गई है. जिसमें ऊना की इंडस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी देने के आरोप है.

कांगड़ा स्थित अरनी यूनिवर्सिटी में पाई गई अनियमितताएं

वहीं, कांगड़ा स्थित अरनी यूनिवर्सिटी पर भी जांच को लेकर पत्र लिखा है. इस युनिवर्सिटी में भी काफी अनियमितताएं है और एक साल से यह विश्वविद्यालय बंद पड़ा है.

ऐसे में इस विश्वविद्यालय पर भी एफआईआर दर्ज करने को लेकर आयोग ने सरकार को लिखा है. निजी विश्वविद्यालयों में फर्जी डिग्रियों के मामले आने के बाद अब आयोग अपनी कार्यप्रणाली में भी सुधार कर रहा है.

निजी विश्वविद्यालयों पर सख्ती बरती जा रही है और यही वजह भी है कि कई निजी यूनिवर्सिटीज में फर्जीवाड़ों के मामले सामने आ रही है. जिसकी रिपोर्ट अभी हाल ही में आयोग ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के समक्ष भी रखी थी. एक यूनिवर्सिटी ने दाखिलों के लिए दे दिए हैं विज्ञापन

जिन दो निजी विश्वविद्यालयों पर फर्जी डिग्री मामले पर जांच चल रही है, उसमें से एक यूनिवर्सिटी ने इस सत्र 2020-21 के लिए छात्रों को यूनिवर्सिटी में चलाए जा रहे कोर्सेज के लिए प्रवेश के लिए विज्ञापन भी जारी कर दिए हैं और यह विश्वविद्यालय छात्रों को इस सत्र में प्रवेश भी दे रहा है, जबकि आयोग में स्पष्ट किया है कि जब तक जांच पूरी नहीं होती तब तक प्रवेश नहीं दिया जाएगा.

इन विश्वविद्यालयों के छात्रों को किया जा सकता है शिफ्ट

प्रदेश में फर्जी डिग्री मामले पर जिन दो विश्वविद्यालयों पर एसआईटी का गठन कर जान चलाई जा रही है. उन विश्वविद्यालयों में जो छात्र वर्तमान समय में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

उनके विषय में भी आयोग की ओर से विचार किया जा रहा है. आयोग इस बात पर विचार कर रहा है कि उन छात्रों को दूसरे विश्वविद्यालयों के विकल्प देकर उन्हें वहां शिफ्ट कर दिया जाए, जिससे कि छात्रों का भविष्य पूरी तरह से सुरक्षित रहे और अगर जांच में यह विश्वविद्यालय दोषी पाए जाते हैं, तो उसे छात्रों की डिग्री पर किसी तरह का कोई प्रभाव ना आए जिससे कि उनका भविष्य भी सुरक्षित रह सके.

शिमला: हिमाचल प्रदेश में जिन दो निजी विश्वविद्यालयों पर फर्जी डिग्री मामले पर जांच चल रही है, अब वह विश्वविद्यालय सत्र 2020-21 में छात्रों को प्रवेश अपनी यूनिवर्सिटी में नहीं दे पाएंगे. निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग की ओर से इन विश्वविद्यालयों पर इस सत्र प्रवेश देने पर रोक लगा दी है.

आयोग ने लिखित में इन विश्वविद्यालयों को आदेश जारी किए हैं कि वह इस सत्र छात्रों को यूनिवर्सिटी में प्रवेश ना दें. आयोग की ओर से मानव भारती और एपीजी यूनिवर्सिटी को यह निर्देश जारी किए हैं. इन दोनों ही विश्वविद्यालयों पर फर्जी डिग्रियां बेचने का आरोप हैं और उन पर एसआईटी का गठन कर जांच भी की जा रही है.

इस जांच के बीच में ही आयोग ने यह सख्त कार्रवाई की है और इन विश्वविद्यालयों के इस वर्ष के दाखिलों पर रोक लगा दी गई है. ऐसे में सत्र 2020-21 के दाखिले इन विश्वविद्यालयों में तब तक नहीं होंगें जब तक कि इन विश्वविद्यालयों पर चल रही जांच पूरी नहीं होती है.

बता दें की इन दोनों विश्वविद्यालयों पर फर्जी डिग्रियां बेचने के आरोप हैं. मानव भारती यूनिवर्सिटी के मामले पर अभी तक तीन गिरफ्तारियां भी हो चुकी हैं. इस यूनिवर्सिटी पर आरोप हैं कि इन्होंने विदेशों सहित बाहरी राज्यों में फर्जी डिग्रियां बेची हैं.

ऊना की इंडस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में भी जांच शुरू

इन दोनों यूनिवर्सिटीज में हुए फर्जीवाड़े के बाद अब आयोग की ओर से अन्य इस तरह के विश्वविद्यालयों की भी जांच की गई है. जिसमें ऊना की इंडस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी देने के आरोप है.

कांगड़ा स्थित अरनी यूनिवर्सिटी में पाई गई अनियमितताएं

वहीं, कांगड़ा स्थित अरनी यूनिवर्सिटी पर भी जांच को लेकर पत्र लिखा है. इस युनिवर्सिटी में भी काफी अनियमितताएं है और एक साल से यह विश्वविद्यालय बंद पड़ा है.

ऐसे में इस विश्वविद्यालय पर भी एफआईआर दर्ज करने को लेकर आयोग ने सरकार को लिखा है. निजी विश्वविद्यालयों में फर्जी डिग्रियों के मामले आने के बाद अब आयोग अपनी कार्यप्रणाली में भी सुधार कर रहा है.

निजी विश्वविद्यालयों पर सख्ती बरती जा रही है और यही वजह भी है कि कई निजी यूनिवर्सिटीज में फर्जीवाड़ों के मामले सामने आ रही है. जिसकी रिपोर्ट अभी हाल ही में आयोग ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के समक्ष भी रखी थी. एक यूनिवर्सिटी ने दाखिलों के लिए दे दिए हैं विज्ञापन

जिन दो निजी विश्वविद्यालयों पर फर्जी डिग्री मामले पर जांच चल रही है, उसमें से एक यूनिवर्सिटी ने इस सत्र 2020-21 के लिए छात्रों को यूनिवर्सिटी में चलाए जा रहे कोर्सेज के लिए प्रवेश के लिए विज्ञापन भी जारी कर दिए हैं और यह विश्वविद्यालय छात्रों को इस सत्र में प्रवेश भी दे रहा है, जबकि आयोग में स्पष्ट किया है कि जब तक जांच पूरी नहीं होती तब तक प्रवेश नहीं दिया जाएगा.

इन विश्वविद्यालयों के छात्रों को किया जा सकता है शिफ्ट

प्रदेश में फर्जी डिग्री मामले पर जिन दो विश्वविद्यालयों पर एसआईटी का गठन कर जान चलाई जा रही है. उन विश्वविद्यालयों में जो छात्र वर्तमान समय में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

उनके विषय में भी आयोग की ओर से विचार किया जा रहा है. आयोग इस बात पर विचार कर रहा है कि उन छात्रों को दूसरे विश्वविद्यालयों के विकल्प देकर उन्हें वहां शिफ्ट कर दिया जाए, जिससे कि छात्रों का भविष्य पूरी तरह से सुरक्षित रहे और अगर जांच में यह विश्वविद्यालय दोषी पाए जाते हैं, तो उसे छात्रों की डिग्री पर किसी तरह का कोई प्रभाव ना आए जिससे कि उनका भविष्य भी सुरक्षित रह सके.

Last Updated : Jul 4, 2020, 6:06 PM IST
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